कोरोना का गुजरात मॉडल, एक चिता पर जलाई जा रहीं 5-5 लाशें, मगर सरकारी कागजों में मौतों का आंकड़ा कम क्यों?
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अहमदाबाद, जनज्वार। कोरोना महामारी के बढ़ते कहर के बीच पीएम मोदी के गृहराज्य गुजरात में हालात बहुत ज्यादा बेकाबू हैं। यहां पर न केवल श्मशान घाटों की चिमनियां तक पिघल गयी हैं, बल्कि स्थिति की विकटता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक एक चिता पर 5-5 लाशें जलायी जा रही हैं।
मीडिया में आई तमाम वीडियोज और खबरों में सूरत के श्मशान घाट की तमाम तस्वीरें आयी हैं, जिसमें साफ साफ देखा जा सकता है कि एक ही चिता पर किस तरह पांच लाशें जलाई गईं। श्मशान घाट पर काम करने वाले लोगों ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि अनगिनत लाशें अपनी अंतिम क्रिया का इंतजार कर रही थीं। एक ही चिता पर 5 लाशें इसलिए जलायी गयीं, ताकि घंटों दाह संस्कार का इंतजार कर रही लाशों की संख्या को कम किया जा सके।
कहा जा रहा है कि न सिर्फ अहमदाबाद बल्कि पूरे गुजरात के श्मशान घाटों का यही हाल है। श्मशान घाट 24 घंटे सुलग रहे हैं, फिर भी लाशों की कतारें कम नहीं हो रही हैं। जो लाशें श्मशान घाटों पर पहुंच रही हैं, उनमें अधिकांश मौतें कोरोना वायरस के कारण हो रही हैं। हैरानी वाली बात है कि कोरोना वायरस से मौत के बाद श्मशान पहुंच रहीं लाशों की संख्या और आधिकारिक आंकड़ों में जमीन आसमान का अंतर है।
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक मुचार प्रमुख शहरों सूरत, वडोदरा, अहमदाबाद और राजकोट के नगर निगमों द्वारा जारी किए गए बुलेटिन के आंकड़े देखें तो रोज महज 25 मौतों का दावा किया जा रहा है, जबकि मृत्युदर इससे कहीं ज्यादा है।
मध्य गुजरात के सबसे बड़े अस्पताल वडोदरा के एसएसजी अस्पताल में पिछले नौ दिनों में कोविड आईसीयू में लगभग 180 लोगों की मौत हुई है। भरुच में 8 दिनों में 260 कोविड मरीजों की मौतें, मगर सरकार के आधिकारिक आंकड़ों में सिर्फ 36 कोरोना मौतें दर्ज की गयी हैं। वडोदरा के प्रमुख अस्पताल GMERS मेडिकल कॉलेज और अस्पताल गोत्री के कोविड आईसीयू में सिर्फ 7 अप्रैल से 15 अप्रैल तक 90 मौतें हुई हैं, जबकि चौथी और पांचवीं मंजिल पर आईसीयू में रोजाना कम से कम 15 लोग दम तोड़ रहे हैं, मगर सरकारी आंकड़े इन मौतों को झुठला रहे हैं।
वडोदरा के प्रमुख सरकारी अस्पताल GMERS मेडिकल कॉलेज और अस्पताल गोत्री में अकेले एक सप्ताह में 350 लोगों की मौत हुई है। वहीं भरूच के श्मशान घाट के रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों को देखकर पता चलता है कि यहां एक हफ्ते में कोरोना से मरने वाले 260 लोगों का दाह संस्कार किया गया, जबकि जिले में आधिकारिक मौतों का आंकड़ा सिर्फ 36 दर्शाया गया है।
एनबीटी में प्रकाशित खबर में नर्मदा नदी के तट पर दाह संस्कार करने वाले धर्मेश सोलंकी ने कहा है, 'पिछले एक सप्ताह से रोज 22-25 कोरोना मौतों के शवों का दाह संस्कार हो रहा है। हर दिन लगभग 7,500 किलोग्राम लकड़ी की सप्लाई हो रही है। अहमदाबाद में बीते चार दिनों में 10 श्मशान घाट में लगभग 100 शवों का दाह संस्कार हो चुका है।
जानकारी के मुताबिक बीते एक हफ्ते से हर रोज लगभग 50 कोरोना मरीजों की लाशें उनके परिजनों को सौंपी जा रही हैं। अब यह आंकड़ा सौ को छू रहा है। राजकोट जिले में भी 8 अप्रैल से 14 अप्रैल के बीच कोविड अस्पतालों में 298 से अधिक मौतें होने की बात सामने आयी है, मगर सरकारी कागजों में यहां भी सिर्फ 57 मौतें दर्शायी गयी हैं।
मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक सिर्फ गुरुवार 15 अप्रैल को राजकोट में 82 लोगों की मौत हुई। सूरत के दो बड़े श्मशान घाटों में 5 अप्रैल से 13 अप्रैल तक रोज लगभग 80 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। खबरों के मुताबिक बढ़ती मौतों के आंकड़े को देखते हुए यहां तीन नए श्मशान भी शुरू किए गए हैं। नवनिर्मित पाल श्मशान में प्रतिदिन कम से कम 20 शवों का अंतिम संस्कार किये जाने की सूचना सामने आ रही है।
सूरत नगर निगम ने गुरुवार 15 अप्रैल को जो आंकड़े जारी किए, उसमें 25 मौतें दर्शायी गयीं। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने एनबीटी से बातचीत में कहा, 'यह सच है कि सरकारी आंकड़ों में कोरोना की मौतें कम दिखाई जा रही हैं।'
गुजरात के सूरत में एक बार में पांच शवों को जलाने के लिए 18 फीट लंबी और आठ फीट चौड़ी चिता बनाई गई है। इसमें एक साथ शवों को फीट की दूरी पर रखकर जलाया जा रहा है।