कोरोना संक्रमित की हुई मौत तो पड़ोसियों ने डर से बंद किये खिड़कियां-दरवाजे, सगे भाई और रिश्तेदार भी नहीं पहुंचे
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
जनज्वार। कोरोना की भयावहता के बीच खत्म होती इंसानियत के भी तमाम उदाहरण सामने आ रहे हैं। कोविड मरीज की मौत के बाद जहां परिवार तक लाश के पास नहीं छू रहा है, वहीं पड़ोसी-रिश्तेदार भी झांकने नहीं पहुंच रहे। ऐसे तमाम मामले देशभर से सामने आ रहे हैं। अब बिहार के सुपौल से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है।
जानकारी के मुताबिक बिहार के सुपौल जिल के वार्ड संख्या 14 में 41 वर्षीय कोविड मरीज की मौत के बाद पड़ोसियों ने खिड़की-दरवाजे तक बंद कर दिये। यहां एक घर में 12 घंटे तक कोविड पाॅजिटिव मरीज की लाश पड़ी रही, मगर कोई भी उसके पास नहीं फटका।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कोर्ट में काम करने वाले शख्स की मंगलवार 20 अप्रैल की रात मौत हो गई थी और वह कोविड पाॅजिटिव था। कोविड पेशेंट की मौत की खबर मिलते ही पड़ोसियों ने अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियां तक बंद कर लीं। मृतक के के परिजनों के पास न तो कोई दुख जताने गया और न ही परिजनों को कोई सांत्वना ही दे रहा था।
इस मामले में सामने यह आया कि मरने वाले शख्स का भाई और कुछ रिश्तेदार जो घर के आसपास ही रहते थे, वो भी वहां नहीं फटके। मरने वाले शख्स की एक बेटी और बेटा था, ऐसे में उसे अंतिम यात्रा के लिए 4 कंधे तक नसीब नहीं हो पाये। 12 घंटे तक लाश घर में ही पड़ी रही, बाद में प्रशासन तक खबर पहुंची तो अंतिम संस्कार हो पाया।
जानकारी के मुताबिक कोरोना पाॅजिटिव की मौत की सूचना और लाश 12 घंटे तक घर में पड़े रहने की खबर मिलने पर एसडीएम मनीष कुमार वहां पहुंचे और शव के अंतिम संस्कार का इंतजाम किया।
दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक 41 वर्षीय कोर्ट कर्मचारी की तबीयत मंगलवार 20 अप्रैल को अचानक बिगड़ गई थी, तो उन्हें सदर अस्पताल ले जाया गया जहां कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई। रात में ही लाश को घर पहुंचा दिया गया। सुबह मरने वाले के बेटे के साथ मोहल्ले का एक युवक अंतिम संस्कार की तैयारी के लिए मुक्तिधाम पहुंचा। वहां अंतिम संस्कार की तैयारियों के दौरान मुक्तिधाम के आसपास रहने वाले लोगों को जैसे ही मृतक के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी हुई, उन्होंने वहां अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। बाद में एंबुलेंस पर पिता का शव और बेटा साइकिल से पीछे-पीछे गया। प्रशासन की पहलकदमी से लाश का किसी तरह अंतिम संस्कार हो पाया।