कोरोना: भारत की हालत सीरिया और नेपाल से भी खराब, सरकार से कहां पर हुई लापरवाही?
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण
दिसम्बर में भारत सरकार ने कोरोना वायरस में आये परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए इंडियन सार्स-कोव-2 जेनेटिक्स कंसोर्टियम स्थापित किया था और इस कंसोर्टियम ने फरवरी में ही पता कर लिया था कि देश में वायरस के परिवर्तित स्वरुप का विस्तार हो रहा है और यह पहले के वायरस से अधिक संक्रामक और खतरनाक है, और मार्च के आरम्भ में ही इसकी जानकारी सरकार को दे दिया था, और साथ में इससे सम्बंधित एक प्रेस रिलीज़ को अनुमोदन के लिए भेजा था।
सरकार ने इस रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं की और प्रेस रिलीज़ को भी दो सप्ताह बाद प्रकाशित किया। प्रकाशित प्रेस रिलीज़ में खात्रनाम और अधिक संक्रामक जैसे शब्द हटा दिए गए थे। जाहिर है, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के लिए जनता की मौत से अधिक महत्वपूर्ण चुनावी रैलियाँ थीं।
सरकार की इस लापरवाही का खामियाजा दुनिया भुगत रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोनावायरस का यह परिवर्तित स्वरुप 17 से अधिक देशों तक पहुँच चुका है। अनेक देशों ने अब भारत से आने पर पाबंदी लगा दी है। ऑस्ट्रेलिया ने भारत से सीधी विमान सेवा रोक दी है और तीसरे देश में माध्यम से भारत से ऑस्ट्रेलिया जाने वालों पर 66600 डॉलर का जुर्माना या पांच वर्ष की कैद का ऐलान कर दिया है।
अब तक सीरिया जैसे बहुत गरीब और लम्बे समय से गृह युद्ध की विभीषिका झेल रहे देशों में ही हॉस्पिटल के बाहर तड़पते लोगों, चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था, ऑक्सीजन की किल्लत और भारी संख्या में मौत की खबरें आती थीं – अब ऐसी ही खबरें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की पहचान बन चुकी हैं। सीरिया में भी इन दिनों कोविड 19 के मामले बढ़ रह रहे हैं, लोगों के टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं, ऑक्सीजन और वेंटीलेटर की किल्लत है और टीकाकरण का काम रुका हुआ है।
भारत में कोविड 19 के बढ़ते मामलों का असर सीधा नेपाल पर पड़ रहा है और सीमावर्ती क्षेत्रों के अस्पताल कोविड 19 के मरीजों से भरे हैं। सीमावर्ती बाँके जिले में स्थित भेरी हॉस्पिटल के डोक्टरों के अनुसार यहाँ की हालत मिनी इंडिया जैसी हो चली है और 80 से अधिक स्टाफ अबतक संक्रमित हो चुके हैं। काठमांडू में कोविड 19 के बढ़े मामलों को देखते हुए दो सप्ताह का लॉकडाउन लगा दिया गया है।
नेपाल में कोविड 19 के लगभग 330000 मामले आ चुके हैं और 3300 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। पिछले वर्ष 24 घंटे में सबसे अधिक 5743 मामले अक्टूबर में देखे गए थे, पर इस वर्ष अप्रैल के अंत तक फिर से 24 घंटे में संक्रमित व्यक्तियों के संख्या 5657 तक पहुँच चुकी है।
नेपाल को शुरू में भारत ने वैक्सीन डिप्लोमेसी के तहत एक लाख टीके दिए थे, इसके बाद चीन टीके के सन्दर्भ में नेपाल की मदद कर रहा है। वहां की 7 प्रतिशत आबादी को टीका लगाया जा चुका है। कुछ समय पहले खबर आई थी की नेपाल में माउंट एवेरेस्ट के बेस कैम्प तक कोविड 19 के मामले पहुँच चुके हैं। नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री हृदयेश पाण्डेय के अनुसार कोविड 19 की इस लहर के लिए कोरोनावायरस का भारतीय प्रकार ही जिम्मेदार है, जो अधिक संक्रामक और खतरनाक है और बड़े पैमाने पर युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है।
अपने देश में रूस की वैक्सीन स्पुतनिक को उपयोग की मंजूरी दे दी गयी है, पर अधिकतर यूरोपीय देश अभी तक स्पुतनिक के प्रति विश्वास पैदा नहीं कर पाए हैं। यूरोपियन यूनियन के देशों में केवल हंगरी और स्लोवाकिया ने इसे इस्तेमाल की स्वीकृति डी है और इसे लगाने का काम केवल हंगरी में किया जा रहा है। बुल्गारिया, ऑस्ट्रिया और जर्मनी की सरकारें अभी टीके पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में हैं।
अधिकतर देशों के अनुसार स्पुतनिक वैक्सीन टीके से अधिक रूस की विदेश नीति का हिस्सा है, और इसके माध्यम से रूस देशों को अपने गुट में शामिल करना चाहता है। फ्रांस ने इसे रूस के प्रचार तंत्र का हिस्सा बताया है। जाहिर है, मोदी जी का न्यू इंडिया और आत्मनिर्भर भारत 5 ख़रब डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना पाले सीरिया और नेपाल के समकक्ष पहुँच चुका है।