'आम आदमी को भूल जाओ, मेरे लिए भी बेड उपलब्ध नहीं होगा', दिल्ली हाईकोर्ट के जज विपिन सांघी ने कहा
जनज्वार डेस्क। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों में बेड की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की। जस्टिस विपिन सांघी ने अस्पतालों में बेड की कमी को लेकर कहा कि आम आदमी को भूल जाओ, अगर मैं अपने लिए बेड के लिए कहूं तो मेरे लिए भी बेड उपलब्ध नहीं होगा। जस्टिस सांघी ने कहा कि लोगों की जरूरतों को तत्काल पूरा किया जाना चाहिए।
जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र कोविड बेड की आवश्यकताओं पर ध्यान देगा और बेड की संख्या बढ़ाने पर काम करेगा। बेंच रोहिणी के सरोज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की मांग वाली तत्काल याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
बेंच ने विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की खरीद, परिवहन और वितरण पर कई सिफारिशें करने के अलावा केंद्र से अस्पतालों में बेड की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भी कहा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा दिल्ली सरकार की ओर से पेश में पेश हुए, उन्होंने कोर्ट को बताया कि भले ही केंद्र सरकार दावा करती है कि केंद्र द्वारा नियंत्रित कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ा दी गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं किया गया है।
मेहरा ने कहा कि बेड की बढ़ी हुई संख्या ऐप पर दिखाई नहीं दे रहा है। आगे कहा कि लोगों को कैसे पता चलेगा कि कितने बेड और कहां बेड उपलब्ध है? आईसीयू बेड और सामान्य बेड की कोई भी जानकारी नहीं है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं। किसी को भी बेड नहीं मिल रहा है।
दूसरी तरफ अतिरिक्त सचिव (स्वास्थ्य) आरती आहूजा ने स्पष्ट किया कि सभी मौजूद बेड की संख्या दिल्ली ऐप पर दिखाई दे रहा है और सौंपने की कोई प्रक्रिया नहीं है। आहूजा ने कहा कि हमारे योगदान में ईएसआईसी अस्पताल और रेलवे कोच शामिल है। दिल्ली सरकार को बेस अस्पताल में 300 बेड को छोड़कर 4159 बेड दिए गए हैं। हम कार्पोरेट्स, पीएसयू के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और साथ ही साथ इनसे अस्पतालों के लिए सीएसआर फंड इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस पर एडवोकेट मेहरा ने कहा कि ये केवल आइसोलेशन बेड हैं। चिकित्सकीय रूप से सुसज्जित अस्पताल के बेड नहीं हैं।