Begin typing your search above and press return to search.
कोविड -19

कोविड डेथ ऑडिट के नाम पर राज्यों में फर्जीवाड़ा, जानिए कम मौतों का सच

Janjwar Desk
10 Sept 2020 2:59 PM IST
कोविड डेथ ऑडिट के नाम पर राज्यों में फर्जीवाड़ा, जानिए कम मौतों का सच
x
मध्यप्रदेश में आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने 11 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर इंदौर में जिला प्रशासन द्वारा कोविड संक्रमितों की मौत का आंकड़ा छिपाए जाने और महामारी से निपटने में आपराधिक लापरवाही का मुद्दा उठाया था......

भोपाल। मध्यप्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु ओर महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने अपने यहां कोविड-19 से हुई मौतों की जांच के लिए डेथ ऑडिट करना शुरू किया है। हालांकि, इस तरह के डेथ ऑडिट का एकमात्र उद्देश्य कोविड संक्रमण से हुई मौतों का सच नहीं, बल्कि उन्हें छिपाने का ही रहा है।

मध्यप्रदेश में आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने 11 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर इंदौर में जिला प्रशासन द्वारा कोविड संक्रमितों की मौत का आंकड़ा छिपाए जाने और महामारी से निपटने में आपराधिक लापरवाही का मुद्दा उठाया था।

अजय दुबे कहते हैं कि इंदौर के एक कोविड अस्पताल में 300 लोगों की मौतें हुईं। लेकिन सरकार इन मौतों को कोविड से हुई मौतें नहीं मान रही हैं। वे पूछते हैं कि अगर कोविड कयेर अस्पताल में केवल कोरोना का ही इलाज हो रहा है तो फिर 300 लोगों की मौत किसी अन्य बीमारी से कैसे हो सकती है ?

मध्यप्रदेश के तत्कालीन स्वास्थ्य आयुक्त फैज अहमद किदवई ने 30 अप्रैल को जारी निर्देश में सभी जिलों में कोविड मौतों का डेथ ऑडिट करवाने को कहा था। डेथ ऑडिट से सामने आया कि मध्यप्रदेश में कोविड से मरने वाले 41 फीसदी लोगों में किसी अन्य बीमारी के कोई संकेत नहीं थे। यह भी पता चला कि कोविड संक्रमित 30 प्रतिशत लोगों की अस्पताल में भर्ती कराए जाने के पहले ही दिन मौत हो गई।

इस सच्चाई के सामने आने के बाद काफी हंगामा मचा। उसके बाद से राज्य में कोविड से हुई मौतों के डेथ ऑडिट की कोई जानकारी सामने नहीं आई है। दिलचस्प बात यह है कि आईसीएमआर ने अपनी गाइडलाइन में कोविड मौतों की डेथ ऑडिट कराने की कोई बात नहीं लिखी है। इसके बाद भी राज्यों ने अपने स्तर पर पारदर्शिता लाने के नाम पर डेथ ऑडिट का सहारा लिया। लेकिन ऐसे ऑडिट में गंभीर लापरवाहियां सामने आने के बाद कोविड से हुई मौतों को छिपाने की कोशिश शुरू हो गई।

केवल मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि असम में भी डेथ ऑडिट के नाम पर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जुलाई की शुरुआत में नारायण मित्रा नाम के व्यक्ति की कोविड संक्रमण से मौत को मायस्थेनिया ग्रेविस नाम की बीमारी से मौत बताने की रिपोर्ट पर हल्ला मचने के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने चार सदस्यों का एक डेथ ऑडिट बोर्ड बना दिया।

इसका नतीजा यह हुआ कि 550 ऐसे लोगों की मौत को सरकारी आंकड़ों में गैर कोविड मौत बताया गया है, जो कोविड पॉजिटिव थे। राज्य में 7 सितंबर तक कुल 1.30 लाख कोविड मामले दर्ज हुए थे, लेकिन मौतों का आंकड़ा केवल 370 ही है। डेथ ऑडिट बोर्ड की मेहरबानी से सरकार ने करीब 60 फीसदी कोविड मौतों को गैर कोविड मान लिया है।

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध