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कोविड -19

12 दिन में भरे-पूरे परिवार को खा गया कोरोना, दादा-दादी और मां-बाप की मौत के गवाह हैं 2 मासूम

Janjwar Desk
10 May 2021 11:58 AM GMT
12 दिन में भरे-पूरे परिवार को खा गया कोरोना, दादा-दादी और मां-बाप की मौत के गवाह हैं 2 मासूम
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(प्रतीकात्मक तस्वीर)

दुर्गेश प्रसाद की मौत के बाद एक हफ्ते बाद यानी चार मई को बेटे अश्वनी कुमार ने शारदा हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली, पहले से कोरोना पॉजिटिव और पति और जवान बेटे की मौत से सदमे में गयी संतोषी देवी की भी 5 मई को मौत हो गयी....

जनज्वार। कोरोना के कहर ने कितने परिवार को पूरा खत्म कर दिया है, यह आंकड़ा आना अभी बाकी है। बहुत सारे घर ऐसे हैं जिसमें पूरा परिवार खत्म होने के बाद सिर्फ मासूम बच्चे बचे हुए हैं, जिन्हें यह भी बोध नहीं है कि आखिर उनके बड़ों के साथ हुआ क्या था और अब उनकी जिंदगी का क्या होगा।

ऐसा ही एक मामला गाजियाबाद के क्रॉसिंग रिपब्लिकन स्थित पंचशील वेलिंगटन सोसायटी में सामने आया है। इस सोसाइटी में एक भरा पूरा परिवार कोरोना से खत्म हो गया है। यहां रहने वाले लोगों के मुताबिक पिछले 12 दिन में पति-पत्नी और बेटे-बहू की एक के बाद एक कोरोना से मौत हुयी है।

गौरतलब है कि पंचशील वेलिंगटन सोसायटी में कोरोना के कारण हर दिन किसी न किसी की मौत हो रही है। यहां दर्जनभर लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है।

हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक पंचशील वेलिंगटन सोसाइटी के टॉवर-दो के फ्लैट नंबर-205 में पिछले कई सालों से दुर्गेश प्रसाद अपनी पत्नी, बेटे एवं अपनी पुत्रवधू के साथ रह रहे थे। कोरोना के चलते 27 अप्रैल को दुर्गेश प्रसाद की कोरोना से मौत हुयी थी। उसी दौरान उनके बेटे और बहू भी कोविड पॉजिटिव थे। बेटे अश्वनी और बहू निर्मला ग्रेटर नोएडा एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे।

दुर्गेश प्रसाद की मौत के बाद एक हफ्ते बाद यानी चार मई को बेटे अश्वनी कुमार ने शारदा हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली थी। पहले से कोरोना पॉजिटिव और पति और जवान बेटे की मौत से सदमे में गयी संतोषी देवी की भी 5 मई को मौत हो गयी। इस घटना के दो दिन बाद अश्वनी की पत्नी जो कोरोना पॉजिटिव होने के बाद से ही अस्पताल में भर्ती थी, हालत गंभीर होने के बाद 7 मई को मौत हो गयी।

अब इस भरे-पूरे परिवार में सिर्फ दो बच्चे बचे हैं, जिनमें से एक की उम्र 8 साल और दूसरे की उम्र मात्र 6 साल है। अश्वनी की पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए सोसायटी वालों ने 112 नंबर पर एंबुलेंस के लिए फोन किया था, मगर किसी तरह की सहायता नहीं मिली। किसी तरह प्राइवेट एंबुलेंस का इंतजाम कर उनका अंतिम संस्कार करवाया गया।

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