बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटी वाले ख्वाबों के बीच पति की चिता इस तरह जलती हुई देखती रही मजबूर महिला
पति की जलती लाश देखती महिला photo - social media
जनज्वार ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार की नाकामी और आपदा के बीच परिवार के परिवार उजड़ जा रहे हैं। सरकारें अब भी हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। केंद्र और राज्यों की सरकारें महज आंकड़ें छुपाने की लीपापोती में मशरूफ हैं। महामारी अब ग्रामीण इलाकों में पहुँच गई है। इससे सरकार के पास निपटने की ना कोई रणनीति है और ना ही प्रयास ही किया जा रहा है। गांवों से पहले देश की राजधानी दिल्ली के हालात दुखद हैं।
पति की जलती चिता को देख रही इस महिला की फोटो पर पूर्व नौकरशाह विजय शंकर सिंह लिखते हैं 'स्मार्ट सिटी और बुलेट ट्रेन के ख्वाबो के बीच श्मशान में अपने पति की जलती चिता देखती हुयी यह महिला, इस क्रूर और निकम्मे शासन पर कितनी लानतें भेज रही होगी, क्या पता। ऐसी हत्यारी और अक्षम सरकार का नाश हो।'
महिला की फोटो पोस्ट कर आवेश तिवारी लिखते हैं 'हम उस देश के नागरिक हैं जिसका कोई माई बाप नही है। देश का गृहमंत्री लापता है प्रधानमंत्री को चुप रहने का श्राप मिला है, स्वास्थ्यमंत्री के पास न तो रीढ़ है न शर्म। सांसद, विधायक या तो गायब हैं या अस्पताल में सोर्स फ़ोर्स से इलाज करा रहे।'
यह वो वक्त है जब देश के लाखों युवा बेबसी में दम तोड़ रहे हैं, लाखों लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया है या खोते देखने को विवश हैं। अफसोस है इस एक वक्त में भी विक्षिप्त कर दी गई आधी भीड़ मैं फिलिस्तीन के साथ हूँ तो आधी मैं इजरायल के साथ हूँ चिल्ला रही है।
कोविड के कुप्रबंधन ने इस देश के आत्मसम्मान को चकनाचूर कर दिया है। अब सच मे महसूस होता है कि हम संपेरों के देश के रहने वाले हैं। दुनिया अब या तो हम पर दया कर रही है या हम पर हंस रही है। मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसे नारे अश्लील साबित हुए हैं।
इस देश को अब कोई बचा सकता है तो सिर्फ और सिर्फ देश की जनता। किसी भी कीमत पर प्रधानमंत्री को इस्तीफे के लिए मजबूर करना ही होगा। मोदी , हिन्दुस्तान की जनता से प्रेम नही करता यह बात साबित हो चुकी है। उसे अपने समर्थकों से भी प्रेम नही है यह भी साबित है। अब उन्हें जाना चाहिए और कोई विकल्प नही है।