कोरोना से भारत में 1000 से ज्यादा डॉक्टरों की मौत, दूसरी लहर में 270 डॉक्टरों ने गंवाई जान

(आईएमए भारत के 12 लाख से ज्यादा डॉक्टरों में से केवल 3.5 लाख डॉक्टरों के ही रिकॉर्ड अपने पास रखता है। प्रतीकात्मक तस्वीर)
जनज्वार डेस्क। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मंगलवार को कहा कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश भर में 270 डॉक्टरों की अब तक कोरोनावायरस संक्रमण से मौत हो चुकी है। एसोसिएशन ने कहा कि पिछले साल पहली लहर के दौरान 748 डॉक्टरों की मौत हुई थी।
दूसरी लहर में भारत हर दिन हजारों में मौतों की गिनती कर रहा है। लेकिन कई समाचार रिपोर्ट्स में आरोप है कि सरकार कोविड 19 से हुई मौतों की कम गिनती कर रही है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टरों की मौत का आंकड़ा और अधिक हो सकता है क्योंकि एसोसिएशन अपने सदस्यों में से केवल 3.5 लाख के ही रिकॉर्ड रखता है। जबकि भारत में 12 लाख से अधिक डॉक्टर हैं।
कोरोना वायरस से मरने वाले 270 डॉक्टरों में डॉक्टरों के संगठन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल भी शामिल हैं, सोमवार 17 मई को कोरोना वायरस से उनकी मौत हो गई।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल ने कहते हैं, "महामारी की दूसरी लहर सभी के लिए और विशेष रूप से सबसे आगे रहने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बेहद घातक साबित हो रही है।"
78 मौतों के साथ ही बिहार में सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौत का आंकड़ा दर्ज किया गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 37, दिल्ली में 29 और आंध्र प्रदेश में 22 डॉक्टरों की मौत हुई। अकेले रविवार 16 मई को पचास डॉक्टरों की मौतें दर्ज की गईं।
कोरोना काल के दौरान बिहार में अबतक 40 नर्सों की मरीजों की सेवा और देखभाल के दौरान कोरोना संक्रमित होने से मौत हो चुकी है। बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री विश्वनाथ सिंह के अनुसार 40 नर्सों की अबतक विभिन्न जिलों में मौत की सूचना मिली है। सभी जिलों के संगठन इकाई को जिलावार मृतक नर्सों की सूची बनाने का संदेश दिया गया है।
अबतक भारत के केवल 66 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को पूरी तरह से वैक्सीन लगायी गई है। मरने वाले डॉक्टरों में से केवल तीन प्रतिशत को ही वैक्सीन के दोनों डोज मिले थे। आईएमए के महासचिव डॉ जयेश लेले ने एनडीटीवी को बताया कि एसोसिएशन डॉक्टरों को वैक्सीन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। लेले ने यह भी कहा कि डॉक्टर अधिक काम करते हैं और चिकित्सा केंद्रों में स्टाफ की कमी है।
उन्होंने समाचार चैनल को बताया कि 'वे कभी-कभी बिना आराम के 48 घंटे तक काम करते हैं, यह वायरल लोड को जोड़ता है और वे अंततः संक्रमण के शिकार हो जाते हैं। सरकार को हेल्थकेयर वर्कफोर्स को बढ़ावा देने के लिए उपाय करने की जरूरत है।'
