UP : कानपुर में भी हालात बेकाबू हजार पार हुआ मौतों का आंकड़ा, श्मशानों में एडवांस बुकिंग के बाद भी नहीं मिल रही चिता को जमीन
कानपुर से मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार, कानपुर। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के साथ मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद के बाद अब कानपुर में भी मौतों के आंकड़ों से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। कानपुर में मंगलवार को यहाँ के अलग अलग घाटों में लगभग साढ़े तीन सौ शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। इन शवों में तमाम शव कोरोना संक्रमितों के रहे।
कानपुर के डयोढ़ी घाट और बर्रा के स्वर्गाश्रम में शवदाह स्थलों पर जगह कम पड़ गई। स्वर्गाश्रम घाट के बाहर तो हालात यह हो गए की सामने बने पार्क में ही लोगों को अपने अपनो के शव जलानो पड़े। यही कुछ हाल डयोढ़ी घाट का भी रहा। शहर में शवों की लाईन देखते हुए लोग शव लेकर डयोढ़ी घाट पहुँचे थे, लेकिन यहाँ भी उन्हें वैसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा। आपको बता दें कि डयोढ़ी घाट पर एक साथ 24 तो स्वर्गाश्रम में 10 शवों का एक साथ अंतिम संस्कार किया जा सकता है।
शहर में मंगलवार 20 अप्रैल को 15 और मौतें हो गईं। वहीं 1525 नए संक्रमित मरीज पाए गए हैं। कोरोना से मौतों का आंकड़ा हजार की संख्या को पार कर गया है। अब तक 1003 कुल मौतें हो चुकी हैं। इसके साथ ही संक्रमितों की संख्या 50 हजार के आंकड़े को पार कर गई है। अब तक कुल 50736 संक्रमित हो चुके हैं। तो वहीं 13334 केस अब भी एक्टिव हैं। इसके अलावा मंगलवार को ही 968 रोगियों ने कोरोना से लड़ाई भी जीती है।
कल मंगलवार को हैलट में 9 कोरोना मरीजों की मौत हुई वहीं रामा मेडिकल कॉलेज में 6 रोगियों की मौत हुई है। 24 घण्टे में 15 रोगियों की मौत हुई है। कोरोना के इस दौर में रोज मानवता को शर्मसार कर देने वाले मामले सामने आ रहे हैं। वेंटिलेटर जरूरत के समय मिल ही नहीं पा रहा है। कल्याणपुर के केशवपुरम में रहने वाले आदित्य कुमार वर्मा कासगंज में एसएसपी हैं। कल उनकी कोरोना संक्रमित पत्नी की मौत हो गई।
हालत यह है कि लोग घण्टों भटक रहे हैं। अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा है। नौबस्ता में चार दिन पहले पिता की तो अब बेटे की मौत हो गई। उनकी बहू भी अस्पताल में मौत और जिंदगी से लड़ाई लड़ रही है। सिफारिशों तक का कोई असर नहीं पड़ रहा है। अस्पताल वाले इलाज करने की बजाए इंतजार करवा रहे हैं। ऐसे में मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। ना अस्पताल में जगह है और ना ही श्मशान में जलाने के लिए जमीन ही मिल रही है।