Video : बेटी के सामने माँ ने तड़पकर तोड़ा दम, बेटी रोते हुए प्रशासन को लगाती रही फोन 20 हजार में खुद बुलानी पड़ी एम्बुलेंस
जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। किसी ने लिखा है कि 'तबाह होकर भी तबाही नहीं दिखती, ये अंधभक्ती है साहब इसकी दवाई नहीं मिलती' ये वहां के हालात है जहाँ खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी फर्जी टीम 11 के साथ बैठकर ना पता क्या करते हैं और अब तक क्या करते रहे। उनकी टीम 11 ही कहीं उनके लिए सुरंग ना बना रही हो। राजधानी लखनऊ का ये हाल है तो बाकी जनपदों का क्या होगा इश्वर ही जाने।
एक बेटी अपनी कोरोना पीड़ित मां को लेकर कई दिन तक अस्पतालों के चक्कर काटती रही। 10 दिनों तक तो उसका टेस्ट ही नहीं हुआ, ना ही किसी जिम्मेदार का कोई फ़ोन उठा। ना इलाज मिला, आख़िरकार बेटी की माँ की मृत्यु हो गयी। मृत्यु होने के बाद शव लेने भी कोई एंबुलेंस नहीं आयी और परिवार को 20000 रु देकर पेड सर्विस लेनी पड़ी। आपको हैरत होगी और सुनकर यकीन नहीं होगा की ये वाकया लखनऊ का है।
हाल-ए-लखनऊ: 10 दिन तक टेस्ट नहीं हुआ, ना कोई फ़ोन उठा, ना इलाज मिला, आख़िरकार बेटी की माँ की मृत्यु हो गयी, मृत्यु होने के बाद शव लेने भी कोई एंबुलेंस नहीं आयी और परिवार को 20000 रु देकर पेड सर्विस लेनी पड़ी।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) April 20, 2021
योगी जी, ये वीडियो पूरा देख पाएँगे आप? pic.twitter.com/4YD6qkifdy
अपनी माँ की मौत के बाद बेटी बताती है कि कल मेरी माँ की मौत हो गई। हम लोगों को 10 तारीख से फीवर आ रहा है कोरोना के सिम्टम्स को लेकर। कोई यहाँ पर टेस्ट करने नहीं आया। हमने कई बार हेल्पलाईन नम्बर 1057 मिलाया लेकिन एक बार भी फोन नहीं उठा। फोन उठाता भी है तो डिटेल लिख लेता है फिर बोला जाता है कि हम आपसे सम्पर्क करेंगे। इसके बाद कोई सम्पर्क नहीं करता है।
बेटी कहती है कि उसकी माँ को ब्रेन ट्यूमर की शिकायत थी और फिर कोरोना हो गया। बेटी बताते बताते रोने लगती है। लेकिन उसके चेहरे पर चढ़ा मास्क उसके भाव छुपा लेता है। वह कहती है कि हमने लखनऊ के डीएम को फोन भी मिलाया। लेकिन कहीं कोई रिलीफ नहीं मिला। माँ की मौत के बाद उनकी डेड बॉडी कई घण्टों तक घर पर पड़ी रही। उनकी लाश तक उठाने कोई नहीं आया। हमने बाद में पर्सनल एम्बूलेंस करके उनकी डेड बॉडी को श्मशान तक पहुँचवाया।
एम्बुलेंस को 20 हजार रूपये देने पड़े। लेकिन हालात इतने बुरे हैं कि अभी तक किसी ने पूछा तक नहीं। हमने जितने भी फोन किए उसका अब तक कोई कोई भी जवाब नहीं आया है। हम लोग गूगल के सहारे या किसी से पूछकर अपना खुद से इलाज ले रहे हैं। प्रशासन पूरे तौर पर बेसुध हो चुका है। किसी को किसी की कोई फिक्र नहीं है, बहुत बुरे हालात हैं इस समय यहां के।