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आर्थिक

8 साल में पूंजीपतियों का कर्ज हुआ 10 लाख करोड़, 6 लाख करोड़ की सब्सिडी भी डकार गए 'मोदी के मित्र'

Janjwar Desk
23 Nov 2022 10:42 AM GMT
8 साल में पूंजीपतियों का कर्ज हुआ 10 लाख करोड़, 6 लाख करोड़ की सब्सिडी भी डकार गए मोदी के मित्र
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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार ( Modi Government ) से पूछा है कि जिन उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है उनका नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है? बड़े-बड़े घोटाले करके जो लोग देश छोड़कर भाग गए हैं, उन्हें वापस लाने की क्या योजना है?

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को कंगाल बनाने का आरोप कांग्रेस ( Congress ) की पूर्व की सरकारों पर लगाते आये हैं, लेकिन हकीकत यह है कि मोदी सरकार ( Modi Government ) के आठ साल के कार्यकाल में बैंकों के एनपीए ( NPA ) में 365 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यानि बैंकों ( Indian Bnaks ) के 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बट्टे खाते में चले गए। या आम लोगों की भाषा में कहें तो डूब गए। इस बात के आरोप कांग्रेस ने 22 नवंबर को मोदी सरकार के आरोप लगाए हैं।

कांग्रेस का आरोप है कि नरेंद्र मोदी सरकार में गैर-निष्पादित आस्तियां ( NPA ) यानि एनपीए 365 प्रतिशत बढ़ गईं और गत पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि बट्टे खाते में डाली गई। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पिछले पांच वर्षों में सरकार ने 10,09,510 करोड़ के एनपीए को बट्टे खाते में डाला है। इनमें से केवल 13 प्रतिशत कर्ज यानी 1,32,000 करोड़ की ही वसूली हो पाई है। बट्टे खाते में डाले गए एनपीए का मूल्य वित्त वर्ष 2022-23 के राजकोषीय घाटे का लगभग 61 प्रतिशत है।

सुप्रिया ( Supriya Shrinate ) ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में एनपीए में 365 प्रतिशत का उछाल आया है। जान बूझकर ऋण चुकता नहीं करने के मामलों में राशि 23 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 2.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है। मोदी सरकार के कार्यकाल में 38 पूंजीपति बड़ा बैंक घोटाला करने के बाद देश छोड़कर भाग गए।

उन्होंने सवाल किया कि 10,09,510 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डालने का फैसला किन मानकों के तहत हुआ? अभी तक बट्टे खाते में डाली गई राशि के केवल 13 प्रतिशत की ही वसूली हो पायी है, बाक़ी कितनी वसूली सम्भव है, सरकार इन सवालों का जवाब दे। सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी पूछा कि जिन उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है उनका नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है? बड़े-बड़े घोटाले करके जो लोग देश छोड़कर भाग गए हैं, उन्हें वापस लाने की क्या योजना है?

गुजरात चुनाव के बीच कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा मुद्दों पर या अपने रिपोर्ट कार्ड के आधार पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ती है, इसलिए मोदी सरकार को इस बात का जवाब देनी पड़ेगी कि पीएसयू बैंकों को औने-पौने दामों पर संपत्ति बेचने के लिए बेलगाम अधिकार क्यों दिए जा रहे हैं। मोदी सरकार केवल कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों लाभ पहुंचा रही है इसलिए कोई जवाब नहीं आ रहा है।

उन्होंने कहा कि अगर आम आदमी ईएमआई का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उनका नाम लिया जाएगा और उन्हें शर्मिंदा किया जाएगा और वसूली की जाएगी, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि जिन लोगों ने बड़े पैमाने पर चूक की है, उनका नाम अभी तक नहीं लिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पैसा कर चुकाने वाले पैसे से दिया जा रहा है और उस पैसे का इस्तेमाल कॉरपोरेट्स को उनकी देनदारियों से मुक्त करने के लिए किया जा रहा है।

एनसीएलटी और आईबीसी ने कॉर्पोरेट कर्जदारों को उनकी देनदारी से मुक्त कर दिया है क्योंकि बैंक उन्हें क्लीन चिट दे रहे हैं और 70 से 90 प्रतिशत के हेयरकट दिए जा रहे हैं और संपत्ति को औने-पौने दामों पर स्थानांतरित किया जा रहा है। 542 मामले हाल ही में एनसीएलटी और आईबीसी के माध्यम से हल किए गए थे और इसमें शामिल ऋण की राशि 8 लाख करोड़ रुपये थी और केवल 2 लाख करोड़ रुपये वसूल किए गए थे। आश्चर्य की बात है कि बाकी पैसा कहां गया। क्या इसकी जांच की जा रही है कि वे ऐसा कैसे कर रहे हैं?

इसके अलावा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में अलग-अलग चुनावी जनसभाओं में मोदी सरकार को पूंजीपतियों को छह लाख करोड़ सब्सिडी देने का आरोप लगाया है। केजरीवाल का दावा है कि मोदी सरकार पूंजीपतियों की सरकार है। बता दें कि मोदी सरकार के तहत एनपीए 2008 से 2014 के बीच 5 लाख करोड़ रुपये से 365 प्रतिशत बढ़ गया है। यानि 2014 से 2020 तक बढ़कर 18 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

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