कोरोना के गहराते संकट के बीच दिल्ली में प्रवासी मजदूर रुकने को नहीं तैयार
दिल्ली, जनज्वार। उद्योग संगठनों का कहना है कि देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी के गहराते प्रकोप के चलते फैक्टरियों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर रुकने को तैयार नहीं हैं, जिससे फैक्टरियों का काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। दूसरी ओर, पंजाब व कुछ अन्य प्रांतों से कुछ दिन पहले पलायन कर चुके मजदूरों की वापसी का सिलसिला शुरू हो चुका है।
धान की रोपाई शुरू होने से पहले बिहार से बस से मजदूर पंजाब पहुंचने लगे हैं, जबकि दिल्ली में पहले जो मजदूर नहीं लौटे थे, अब वापस घर जाना चाहते हैं। फैक्टरी मालिक इससे परेशान हैं, मजदूरों को मनाने में जुटे हैं। यही नहीं, जो मजदूर पहले लौट चुके हैं, उनको भी वापस लाने की कोशिशें हो रही हैं।
उद्योग संगठनों ने बताया कि फैक्टरियों के मालिक घर वापस लौटे मजदूरों की वासपी को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में अब तक वापसी का सिलसिला शुरू नहीं हुआ है।
दिल्ली के ओखला चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरुण पोपली ने आईएएनएस को बताया कि कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप से मजदूर डरे हुए हैं और वे घर वापस लौटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों की एक बड़ी आबादी पहले ही लौट चुकी है और जो अब तक रुके हुए थे वे अब रुकना नहीं चाहते हैं।
दिल्ली के मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल ने बताया कि उनके इलाके में बैंक्वेट हॉल में कोरोना अस्पताल बनाए जाने के बाद मजदूर फैक्टरियों में आना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दोबारा लॉकडाउन की अफवाह के बाद मजदूरों में फिर बेकार होने का डर बना हुआ है, जिससे वे लौटना चाहते हैं। उन्हांेने बताया कि मजदूरों के अभाव में फैक्टरियों का काम घटकर 25 फीसदी रह गया है।
दिल्ली के सबसे बड़े औद्योगिक परिक्षेत्र बवाना में ज्यादातर एमएसएमई उद्योग हैं, जहां मजदूरों और कारीगरों की कमी के चलते कामकाज काफी प्रभावित हुआ है। बवाना फैक्टरीज वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट राजन लांबा ने बतया कि फैक्टरी मालिक घर लौटे मजदूरों को वापस लाने की कोशिश में जुटे हैं।
एनसीआर स्थित साहिबाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसीडेंट दिनेश मित्तल ने कहा कि ट्रेनें अगर सब जगह से चालू हो जाएं तो मजदूरों की वापसी शुरू हो जाएगी, क्योंकि मजदूरों की वापसी का सीजन आ गया है। उन्होंने कहा कि हर साल अप्रैल, मई में मजदूर घर लौटते हैं और जून-जुलाई में वापस शहरों का रुख करते हैं।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के नेशनल प्रेसीडेंट डी. के. अग्रवाल ने आईएएनएस से बताया कि मजदूरों को वापस काम पर लौटने के लिए कुछ उद्योग उनको इन्सेटिव भी देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि राज्यों ने कोरोना काल में मजदूरों को वापस भेजा जोकि अच्छा काम किया है, लेकिन अब उनको वापस लाने की दिशा में भी प्रयास किए जाने चाहिए।
बिहार से पिछले दिनों बसों से कुछ मजदूर पंजाब पहुंचे, जिनमें कृषि कार्य करने वाले मजदूरों के साथ-साथ उद्योगों में काम करने वाले लोग भी थे। हालांकि पंजाब सरकार के उद्योग और परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मजदूरों को वापस लाने के लिए सरकार की ओर से कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि जो भी मजदूर लौटे हैं, वे या तो खुद की व्यवस्था से आए हैं या उनको निजी व्यवस्था से किसानों व उद्योगपतियों ने मंगाया है, लेकिन मजदूरों की वापसी की तादाद बहुत कम है।
उद्योग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पंजाब में 90 फीसदी से ज्यादा फैक्टरियां खुल चुकी हैं, हालांकि उन्होंने कहा कि तकरीबन 25 फीसदी मजदूरों की कमी है।