उद्योगपतियों पर मेहरबान मोदी सरकार, अब जयपुर एयरपोर्ट को 50 साल के लिए निजी हाथों में सौंपा
file photo
नई दिल्ली। 'ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा' और 'चौकीदार ईमानदार है' के नारों के साथ सत्ता का स्वाद चखने के बाद केंद्र की मोदी सरकार जिस तरह से अंबानी-अडानी समूह के प्रति मेहरबान हुई, वह अभूतपूर्व है। जो गौतम अडानी पहले देश के शीर्ष 20 अमीरों की सूची में शामित होते थे वो आज मुकेश अंबानी के बाद देश के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं।
तमाम सरकारी संस्थानों की माली हालत खराब बताकर उनकी नीलामी तेज कर दी गई। इसी कड़ी में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) के जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत ठेके पर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दी। जयपुर एयरपोर्ट को अगले पचास वर्षों को लिए निजी हाथों में सौंपा गया है।
बता दें कि इससे पहले बीते साल 2019 में मोदी कैबिनेट ने इसी तरह अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरू हवाई अड्डों को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत पचास वर्षों के लिए अडानी समूह को देने की मंजूरी नागरिक विमानन मंत्रालय ने दे दी थी।
अडाणी समूह ने इन तीनों हवाईअड्डों का ठेका पिछले साल लगाई गई बोली में हासिल कर लिया था। दिल्ली और मुंबई हवाईअड्डों को क्रमश: जीएमआर और जीवीके कंपनियों को सौंपने के बाद यह हवाईअड्डों के निजीकरण का दूसरा बड़ा चरण था।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इन हवाईअड्डों को निजी संचालक को सौंपने से एएआई को 1,070 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि हासिल होगी। पीपीपी समझौते की लीज शर्तों के अनुसार, अडाणी समूह मौजूदा हवाईअड्डे के संचालन और प्रबंधन के साथ-साथ हवाईअड्डे के लिए अतिरिक्त एयर-साइड, टर्मिनल, सिटी-साइड और लैंड-साइड इन्फ्रास्ट्रक्चर के डिजाइन, इंजीनियरिंग, वित्तपोषण, निर्माण और विकास के लिए जिम्मेदार है।
सरकार ने नवंबर, 2018 में एएआई द्वारा परिचालित किए जाने वाले छह हवाईअड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की अनुमति दी थी। इसके लिए मंगाई गई बोलियां बीते 25 फरवरी , 2019 को खोली गईं थीं। सभी छह अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, लखनऊ, मेंगलुरु, जयपुर और गुवाहाटी हवाईअड्डों के परिचालन के लिए अडाणी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी। एएआई ने विजेता का चुनाव 'मासिक प्रति यात्री शुल्क' के आधार पर किया था। इससे पहले एएआई ने राजस्व साझेदारी के मॉडल के आधार पर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद हवाईअड्डों का निजीकरण किया था।