Gautam Adani : अडानी पर बैंकों का 4.5 लाख करोड़ रुपये कर्ज : भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने लगाया बड़ा आरोप
Adani Enterprises : अडानी एंटरप्राइजेज का सितंबर तिमाही में मुनाफा 117% बढ़कर 461 करोड़ रुपए पहुंचा, आय में 3 गुना बढ़ोतरी
जनज्वार। भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी (Subramanian Swamy) ने दावा किया है कि अदानी समूह (Adani Group) के पास बैंकों का 4.5 लाख करोड़ रुपये एनपीए (Adani NPA) के रूप में बकाया है। उन्होंने सवाल पूछा है कि अबतक हर दो साल में इस समूह की संपत्ति दोगुनी हो जा रही है, फिर भी वे जिन बैंकों का कर्ज लिए हुए हैं उसका कर्ज क्यों नहीं चुका रहे हैं।
स्वामी ने एक ट्वीट में कटाक्ष करते हुए लिखा है कि अगर मैं गलत हूं तो मेरी गलती बताइए और हो सकता है कि जल्द जिस तरह उन्होंने छह एयरपोर्ट को खरीदा है, उसी तरह जल्द ही उन सभी बैंकों को खरीद लें जिसके वे कर्जदार हैं।
Trapeze Artist Adani now owes Rs. 4.5 lakh crores as NPA to banks. Correct me if I am wrong. Yet his wealth is doubling every two years since 2016. Why can't he repay the banks? May be like with the six airports he has bought he might soon buy out all the banks he owes money.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 15, 2021
जिस तरह किसानों के लिए सरकार कर्जमाफी घोषित करती है, उसी तरह पूंजीपतियों के लिए एनपीए घोषित करती है। यानी एनपीए का अर्थ बट्टाखाता में डालना होता है, जो पैसा सरकार को पूंजीपति कभी भी नहीं लौटाते हैं।
इससे पहले मार्च 2018 में भी स्वामी ने अडानी (Adani) को सबसे अधिक एनपीए वाला औद्योगिक समूह बताया था। उन्होंने उस समय गौतम अडानी पर 72 हजार करोड़ का एनपीए होने का दावा किया था और कहा था कि इस संबंध में उन्हें सूचना मिली है और इसका खुलासा सिर्फ जांच के आधार पर ही हो सकता है। सुब्रमण्य स्वामी खुद का प्रख्यात अर्थशास्त्री हैं और स्वामी के उस समय के दावे में भी दम था, जिसकी पुष्टि प्रमुख वित्तीय संस्थानों के डाटा से होती है।
ब्लूमबर्ग के सितंबर 2017 के डेटा के अनुसार, अदानी पाॅवर पर कुल 47,603.43 करोड़, अडानी ट्रांसमिशन पर 8356.07 करोड़, अडानी इंटरप्राजेज पर 22424.44 करोड़ और अडानी इंटरप्राइजेज पर 20791.15 करोड़ का कर्ज था। उस समय अदानी के पास 11 बिलियन डाॅलर की संपत्ति थी और वह देश के 10वें सबसे धनी व्यक्ति थे। इन सवा तीन सालों में अडानी की संपत्ति ढाई गुणा बढी है।
अडानी समूह कैसे लेता है कर्ज?
द स्क्राॅल ने मई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल यानी 2014-2019 के बीच अडानी समूह के तीव्र विस्तार पर एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट छापी थी। इसमें उन बिंदुओं की विस्तृत पड़ताल की गयी कि कैसे अडानी समूह विभिन्न स्रोतों से पैसे लेकर विविध क्षेत्र में अपने कारोबार का विस्तार कर रहा है।
इस रिपोर्ट में सरकारी क्षेत्र के बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के एक पूर्व बोर्ड मेंबर के नाम की गोपनीयता बनाए रखते हुए उनके हवाले से लिखा गया कि अडानी इन्फ्रा अधिक कर्जदार होने के बावजूद भी कर्ज लेने में सक्षम है। उनके अनुसार, 2014-15 में अडानी इन्फ्रा के पास 57.64 रुपये की इक्विटी थी, लेकिन लगभग 2185.18 करोड़ रुपये की उधारी उस पर था, इसका मतलब है कि इस कंपनी में 38 पैसे में मात्र एक पैसा प्रमोटर यानी इसके वास्तविक मालिकान के पास से आया और बाकी पैसे अन्य जगह से उधार लिए गए। इसी तरह 2017-18 में इसमें इक्विटी 84.87 करोड़ रुपये थी लेकिन कुल उधार 9008.5 करोड़ रुपये थे।
अधिकतर कंपनियों में कर्ज और इक्विटी का अनुपात 1ः3 या 1ः4 का होता है। लेकिन, यदि कोई सेक्टर कम जोखिम वाला है तो कंपनियां इक्विटी के 10 से 12 गुना कर्ज जुटाने में समक्ष हो सकती हैं, लेकिन अडानी इन्फ्रा के मामले में यह 1ः107 है।
इस रिपोर्ट में यह भी चिह्नित किया गया है कि 2014 से 2018 के बीच अडानी ट्रांसमिशन, अडानी एंटरप्राइजेट, अडानी इन्फ्रा और अडानी एग्रीफ्रेश ने कर्ज और पुनर्भुगतान के रूप में अपने बीच धन का कई बार हस्तांतरण किया।
राज्यसभा में पवन वर्मा को अडानी पर वक्तव्य
मई 2016 में तत्कालीन जदयू सांसद पवन वर्मा ने भी राज्यसभा में अडानी पर सरकारी बैंकों के 72 हजार करोड़ रुपये बकाया होने की बात कही थी। सदन में उनके आरोपों पर तत्कालीन उपसभापति ने पीजे कुरियन ने जब उन्हें चेताया कि वे आधारहीन आरोप सदन में नहीं लगा सकते हैं तो वर्मा ने कहा था कि उनके आरोप तथ्यों पर आधारित हैं। अब वर्मा का वह वक्तव्य भारतीय संसदीय इतिहास का एक दस्तावेज है और उस पर समय खबरें भी छपीं थीं।
पवन वर्मा ने कहा था कि यह मायने नहीं रखता है कि अडानी ग्रुप इस कर्ज को चुकाने में सक्षम है या नहीं लेकिन पिछले दो-तीन साल में उसकी संपत्ति 85 प्रतिशत बढी थी। वर्मा ने तब कहा था कि इस पैसो को किसानों का कर्ज चुकाने में खर्च किया जा सकता है। पवन वर्मा ने कहा था कि वे नहीं जानते कि सरकार व अडानी में क्या रिश्ते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां भी जाते हैं गौतम अडानी उनके साथ होते हैं, चाहे वे चीन हो, ब्रिटेन हो, यूरोप हो, अमेरिका हो या जापान। ध्यान रहे कि उस समय जदयू एनडीए से बाहर था और विपक्ष की भूमिका मंे था।
13 नवंबर 2020 को बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 11 नवंबर तक अडानी समूह पर कुल 30 बिलियन डाॅलर से अधिक का कर्ज हो गया, जिसमें 7.8 बिलियन डाॅलर का बांड और 22.3 बिलियन डाॅलर का कर्ज शामिल है। इसमें कहा गया है कि भारत में उच्च कर्ज कोई नई बात नहीं है लेकिन अडानी समूह के तेजी से विस्तार ने चिंता बढा दी है। इसी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि क्रेडिट सुइस ने 2015 में हाउस आॅफ डेट रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि अडानी समूह गंभीर तनाव वाले 10 समूहों में एक था जो बैंकिंग सेक्टर के 12 प्रतिशत कर्ज के लिए जिम्मेवार था। फिर भी अडानी समूह विदेशी ऋणदाताओं से उधार लेकर और हरित ऊर्जा के लिए धन जुटा रहा है।
Forbes की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी के पास इस वक्त करीब 25.2 बिलियन डाॅलर की संपत्ति है और वे मुकेश अंबानी के बाद देश के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति हैं। उन्हांेने अपनी संपत्ति में एक वर्ष पूर्व की तुलना में 61 प्रतिशत का इजाफा किया।
पूंजीपतियों को दिये गये कुल लोन का जो बट्टाखाता में डाली गयी रकम है उसमें लगभग 85 प्रतिशत सरकारी बैंकों से लिया गया लोन है। उदाहरण के तौर पर अकेले स्टेट बैंक आफ इंडिया ने पूंजीपतियों को दिये गये 2.23 लाख करोड़ रुपये बट्टाखाता में डाले हैं, जो कभी भी सरकार के वापस नहीं आयेंगे।