मोदी सरकार बिहार की 7 सबसे व्यस्त सड़कें सौंपेगी प्राइवेट सेक्टर को, अब सड़कों पर चलना भी हो सकता है महंगा
केंद्र सरकार बिहार की 7 प्रमुख सड़कों सहित पटना एयरपोर्ट को भी निजी हाथों को सौंपने जा रही है
जनज्वार ब्यूरो, बिहार। सरकारी संस्थानों के निजीकरण की ओर लगातार कदम बढ़ा रही मोदी सरकार ने बिहार में प्राइवेटाइजेशन को लेकर भी बड़ा फैसला किया है। बिहार में कई सड़कों को अब निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर ली गई है। खबर यह भी है कि पटना एयरपोर्ट का संचालन भी अब निजी हाथों में होगा। इसके अलावा पटना से प्राइवेट पैसेंजर ट्रेनें भी चलाई जाएंगी।
केंद्र सरकार ने कुल 13 तरह की सरकारी संपत्तियों में हिस्सेदारी बेचने या फिर उसे लीज पर देने का फैसला किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन की लॉन्चिंग के साथ इसकी घोषणा की है। सरकार ने तय किया है कि सरकारी संपत्तियों में हिस्सेदारी बेचकर या संपत्ति को लीज पर देकर कुल छह लाख करोड़ जुटाए जाएं।
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को इसका पूरा खाका पेश किया था। इस योजना को 2025 तक चरणबद्ध तरीके से चलाया जाएगा। पटना एयरपोर्ट को साल 2023 में निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। वहीं पटना जंक्शन से प्राइवेट ट्रेनें भी चलाई जाएंगी। बिहार के 7 सड़कों का संचालन भी निजी हाथों में देने की तैयारी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार की जिन 7 सड़कों को निजी हाथों में दिया जाएगा उनमें हाजीपुर-मुजफ्फरपुर, पूर्णिया-दालकोला, कोटवा-मेहसी-मुजफ्फरपुर, खगड़िया-पूर्णिया, मुजफ्फरपुर-सोनबरसा, बाराचट्टी-गोरहर और मोकामा-मुंगेर की सड़क के शामिल है।
जरूरी बात यह है कि केन्द्र सरकार ने राजस्व उगाही के लिए बिहार से गुजरने वाले 7 वैसे नेशनल हाईवे को निजी क्षेत्र को सौंपने का फैसला लिया है जिन सड़कों पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक यानी आवागमन होता है। इन सड़कों में हाजीपुर-मुजफ्फरपुर, पूर्णिया-दालकोला, कोटवा-मेहसी-मुजफ्फरपुर, खगड़िया-पूर्णिया,मुजफ्फरपुर-सोनवर्षा, बाराचट्टी-गोरहर, मोकामा-मुंगेर हाईवे शामिल हैं। यानी आने वाले दिनों में यदि पटना से बिहार के किसी ओर निकल जाएं और 100 किमी से ज्यादा की दूरी तय करेंगे तो टोल टैक्स से नहीं बच पाएंगे और इसका भुगतान हर हाल में करना पड़ेगा।
कांग्रेस नेता सुभाष राय उर्फ झरिमन कहते हैं, "मोदी सरकार ने बीते 7 वर्षों में सिर्फ और सिर्फ बेचने का काम ही तो किया है। महंगाई, तरह-तरह के टैक्स का बोझ, पेट्रोल-डीजल की कीमतों की बेलगाम बढोत्तरी आदि का तोहफा जनता को दिया है। आगे अब स्थिति यह होगी कि गरीबों और मध्यम वर्ग का सड़कों पर चलना भी मुश्किल हो जाएगा क्योंकि इन्हें भी निजी हाथों को सौंपा जा रहा है और प्राइवेट कंपनियां लोगों से भारी भरकम टोल टैक्स वसूल करेंगी।"
उन्होंने कहा कि हालांकि कांग्रेस जनता के संभावित कष्टों को लेकर बिहार में बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी। राज्य में सड़कों और ट्रेनों के प्राइवेटाइजेशन कर जनता को कष्ट दे अपने प्रिय औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने की मोदी सरकार की मंशा कांग्रेस जनसहयोग से पूरा नहीं होने देगी।
बता दें कि ये वैसी सड़कें हैं जिनका निर्माण निजी एजेंसियों से बीओटी मोड में कराया गया है। पीपीपी के तहत बनी इन अधिसंख्य सड़कों का रियायती पीरियड 2025- 2026 में खत्म होने वाला है। ऐसे में केन्द्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अगले 20-25 साल के लिए इन सड़कों को निजी एजेंसियों को सौंप कर उनसे ही इन सड़कों का निर्माण और संचालन कराने की योजना बनायी है।
लिहाजा, अब टीओटी मोड पर इन सड़कों का टेंडर होगा और जो निजी एजेंसियां तैयार होंगी उन्हें अगले 20-25 साल तक सौंप कर उनका विकास तो कराया ही जायेगा, उन सड़कों पर हाई डेनसिटी ट्रैफिक होने का फायदा उठाते हुए केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय राजस्व उगाही भी करेगा। वैसे इस नई व्यवस्था टीओटी मोड पर राज्य के पहले नेशनल हाईवे मुजफ्फरपुर-मेहसी-कोटवा सड़क का चयन किया भी जा चुका है।