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आर्थिक

नोबेल विजेता मो. यूनुस ने राहुल गांधी से कहा, हमें असंगठित सेक्टर के मजदूरों की करनी होगी पहचान

Janjwar Desk
31 July 2020 4:17 PM IST
नोबेल विजेता मो. यूनुस ने राहुल गांधी से कहा, हमें असंगठित सेक्टर के मजदूरों की करनी होगी पहचान
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मोहम्मद यूनुस ने कहा कि अर्थव्यवस्था इन लोगों की पहचान नहीं करती है, वे इसे असंगठित क्षेत्र कहते हैं, असंगठित क्षेत्र मतलब हमें उनसे कोई लेना-देना नहीं है, वे अर्थव्यवस्था का भाग नहीं है....

नई दिल्ली। नोबल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने शुक्रवार को कहा कि कोरोनावायरस ने समाज की कमजोरी को उजागर कर दिया है और अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों की पहचान नहीं की जाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे मजदूरों की पहचान करना जरूरी है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ वार्ता के दौरान बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक ने कहा, 'वित्तीय प्रणाली का निर्माण काफी गलत तरीके से किया गया है और कोविड-19 संकट ने समाज की कमजोरी का बहुत ही गंदे तरीके से खुलासा कर दिया।'

उन्होंने कहा, 'यह समाज में जमा हुआ था और हम इसके अभ्यस्त हो चुके थे। वहां गरीब लोग थे, प्रवासी मजदूर शहरों में थे। लेकिन अचानक हमने देखा कि लाखों की संख्या में ये लोग अपने घर जाने की कोशिश कर रहे हैं। वह भी इनलोगों ने अपने कदमों से हजारों मिल की दूरी तय की। यह कोविड-19 का सबसे दुखद भाग है, जिसका खुलासा हो गया'

वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सवालों के जवाब देते हुए इन बातों को रख रहे थे। राहुल गांधी ने उनसे कोरोना की वजह से गरीबों की वित्तीय हालत, महिलाओं पर गरीबी का असर और कैसे यह कोविड-19 संकट और मौजूदा आर्थिक संकट गरीबों पर प्रभाव डालने वाला है, इत्यादि सवाल पूछे थे।

नोबल पुरस्कार विजेता ने कहा, 'अर्थव्यवस्था इन लोगों की पहचान नहीं करती है। वे इसे असंगठित क्षेत्र कहते हैं। असंगठित क्षेत्र मतलब हमें उनसे कोई लेना-देना नहीं है। वे अर्थव्यवस्था का भाग नहीं है। अर्थव्यवस्था की शुरुआत संगठित क्षेत्र से होती है, हम संगठित क्षेत्र के साथ व्यस्त हैं। अगर हम केवल उन्हें वित्तपोषित करेंगे, उनका ख्याल रखेंगे तो वे आगे बढ़ेंगे।'

मोहम्मद यूनुस और ग्रामीण बैंक को 2006 में नोबल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। यूनुस ने कहा, 'इनसब में महिलाओं की हालत सबसे खराब है। आप संरचना देखें, ये लोग इसमें सबसे नीचे हैं। उनकी कोई आवाज नहीं है। परंपरा उन्हें पूरी तरह से अलग कर देती है। वे समाज की मूल ताकत हैं।'

उन्होंने कहा, 'जब बात औद्योगिक क्षमता की आती है और माइक्रोक्रेडिट महिलाओं को दिया जाता है, तो उन्होंने दिखाया है कि उनमें कितनी उद्यम क्षमता है। इसलिए माइक्रोक्रेडिट को पूरी दुनिया में सभी जानते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। वे लड़ सकती हैं, उनमें क्षमता है और सभी तरह का कौशल है। उन्हें भुला दिया गया क्योंकि वे सभी असंगठित क्षेत्र के तहत आते हैं।'

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