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आर्थिक

नहीं बढ़ पा रही वाहनों की बिक्री, PM मोदी को क्यों अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने का हुआ भ्रम?

Janjwar Desk
23 Jun 2020 2:05 PM GMT
नहीं बढ़ पा रही वाहनों की बिक्री, PM मोदी को क्यों अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने का हुआ भ्रम?
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शायद मोदी जी को मीडिया में आ रही उन ख़बरों से भ्रम पैदा हो गया जिनमें कयास लगाते हुए कहा जा रहा था कि कोरोना डर से छोटी दूरी के लिए लोग मोटरसाइकिल या स्कूटी का इस्तेमाल ज्यादा करेंगे...

जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की मानें तो लॉकडाउन में पहली बार ढील देने के 15 दिनों के अंदर ही भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर आती दिखाई दे गयी। मोदी जी को ऐसा उन संकेतों के चलते लगता है जिनकी चर्चा उन्होंने 16 जून को राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ कोविड-19 को लेकर हुई बैठक में की थी।

बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा था कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान किए गए प्रयासों का नतीजा दिखने लगा है। अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेत मिलने लगे है। खरीफ की बुआई पिछले साल के मुकाबले 12-13 फीसदी ज्यादा रही है, डिजिटल पेमेंट लॉकडाउन के पहले के स्तर पर पहुंच गया है और बिजली के उपभोग में भी बढ़ोत्तरी हुयी है। इससे यह पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौट रही हैं।

प्रधानमंत्री ने एक महत्वपूर्ण बात और कही थी। ये बात थी दुपहिया वाहनों के उत्पादन और मांग को लेकर। मोदी जी का कहना था कि दुपहिया वाहनों का उत्पादन और मांग लॉकडाउन के पहले के स्तर के 70 फीसदी तक पहुंच गया है।

देखा जाये तो प्रधानमंत्री जी की यह बात समझ से बाहर लगती है। लॉकडाउन में कुछ छूट देने के बाद कुछ दुकानों, फैक्ट्रियों और सरकारी एवं निजी कार्यालयों के खुलने के बाद बिजली के उपभोग में बढ़ोत्तरी तो समझ में आती है लेकिन दुपहियों के निर्माण और मांग में एकदम से इजाफे की बात पल्ले नहीं पड़ती है।

क्रेडिट एजेंसी आईसीआरए (ICRA) ने भी अप्रैल महीने में ही कह दिया था कि कोरोनावायरस के चलते वित्तीय वर्ष 2021 में दुपहिया वाहनों की मांग में 13 फीसदी की गिरावट आएगी। एजेंसी का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2021 में 1 करोड़ 80 लाख दुपहिया वाहन कम बनेंगे। जबकि वित्तीय वर्ष 2018 में इनके उत्पादन का आंकड़ा 2 करोड़ पहुंच गया था। वित्तीय वर्ष 2017 में उत्पादित होने वाले दुपहिया वाहनों की संख्या 1 करोड़ 75 लाख थी। यानी कि साल दर साल उत्पादन में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी थी। यह बढ़ोत्तरी साल दर साल शहरों में स्कूटर की मांग में 20 फीसदी इजाफे और ग्रामीण इलाकों में बाइक की मांग में 14 फीसदी इजाफे के चलते होती रही।

शायद मोदी जी को मीडिया में आ रही उन ख़बरों से भ्रम पैदा हो गया जिनमें कयास लगाते हुए कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण ने लोगों के सफर करने के तरीके में भी बदलाव लाना शुरू कर दिया है। संक्रमण के डर से आने वाले दिनों में लोग छोटी दूरी के लिए मेट्रो, बस या ट्रेन से सफर करना कम कर सकते हैं। छोटी दूरी के लिए लोग मोटरसाइकिल या स्कूटी का इस्तेमाल ज्यादा करेंगे। इस ट्रेंड को देखते हुए दुपहिया वाहन कंपनियों ने अपना प्रोडक्शन बढ़ाने की तैयारी कर ली है।

'इकनॉमिक टाइम्स' में छपी एक खबर के मुताबिक हीरो मोटोकॉर्प, बजाज ऑटो और टीवीएस मोटर जैसी कंपनियों ने अपने सामान्य उत्पादन का 60 से 70 फीसदी का टारगेट पूरा करने के लिए आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। अगर सप्लाई चेन ठीक से काम करती रही तो जून में साढ़े सात से दस लाख दुपहिये वाहनों का उत्पादन हो सकता है। सोसायटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबील मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन से पहले फरवरी में दुपहिया उत्पादन 16 लाख यूनिट्स तक पहुंच गया था।

उधर होंडा मोटर साइकिल एंड स्कूटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड भी महसूस कर रहा है कि लॉकडाउन की बंदिशों में ढील मिलने के साथ-साथ दुपहिया वाहनों की मांग में भी तेजी आ रही है। कंपनी की निगाह में पहली-पहली बार ग्राहक बनने वालों की संख्या कोविड-19 से पहले के स्तर से कहीं ज़्यादा बढ़ रही है। कंपनी के सेल्स एंड मार्केटिंग निदेशक वाई एस गुलेरिया का कहना है कि लॉकडाउन में छूट के एक-दो हफ़्तों तक मांग ढीली रही लेकिन मई महीने के अंत तक हमने अपनी खुदरा बिक्री का 70 से 75 फीसदी तक पहुंच गया था और अब तो ये 80 फीसदी तक पहुंच गयी है।

लेकिन गुलेरिया यह भी मानते हैं कि भविष्य में मांग कब तक लॉकडाउन के पहले के स्तर पर आ पाएगी कह पाना अभी जल्दबाज़ी होगी। मीडिया में आ रही ख़बरें तो यही बता रही हैं कि लॉकडाउन में पहली छूट देने के बाद एक हफ्ते तक तो मांग बढ़ी लेकिन उसके बाद मांग ठहर सी गयी।

12 जून के 'बिज़नेस स्टैण्डर्ड' में छपी खबर के अनुसार मई महीने में दुपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री में 88. 87 फीसदी की गिरावट आई जबकि अप्रैल महीने में तो एक भी दुपहिया वाहन की बिक्री नहीं हुई। दुपहिया वाहनों के इतिहास में यह अपने आप में पहली घटना थी। फेडरेशन ऑफ़ ऑटोमोबील डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल मई महीने में दुपहिया वाहन की बिक्री 1,319,842 इकाई से गिर कर 159,039 इकाई तक रह गयी।

फाडा अध्यक्ष आशीष हर्षराज काले का कहना है कि जून महीने के पहले दस दिनों में दुपहिया वाहनों की मांग बहुत ही कम रही जबकि ज़्यादातर डीलर्स की दुकानें खुली हुयी थीं। उनका कहना है- 'निसंदेह हम इस तरह की मांग से खुश नहीं हैं।' आशीष यह भी कहते हैं कि मांग में आशातीत बढ़ोत्तरी ना होने के पीछे एक कारण लगातार बढ़ रहा संक्रमण और लॉकडाउन को लेकर अनिश्चितता भी कही जा सकती है।

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