जनज्वार। 5 जून को रिजर्व बैंक के Monetary Policy Committee की बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना की भयावहता के बीच घोषित हुए लॉकडाउन से हमारी अर्थव्यवस्था पर उम्मीद से कहीं ज्यादा असर पड़ा है।
कोरोना वायरस से पैदा हुए संकट के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की यह बात वाकई चिंताजनक और गंभीर है। उन्होंने कहा कि इसका अर्थव्यवस्था पर असर उम्मीद से कहीं ज्यादा है और फिर से लॉकडाउन से पहले जैसी हालत में आने के लिए सालों लग जायेंगे।
गौरतलब है कि 5 जून को रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक समाप्त हुई थी। शक्तिकांत दास ने कहा कि लॉकडाउन में राहत से सप्लाई साइड की समस्या तो धीरे-धीरे दूर हो जाएगी, लेकिन डिमांड साइड की समस्या बेहद गंभीर है, जो बनी रहेगी।
रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक हर दो महीने पर की जाती है। इस बार यह प्रस्तावित बैठक 3-5 जून के बीच होनी थी, मगर हालात के मद्देनजर 20-22 मई के बीच बैठक बुलाई गई थी। उसी बैठक में रिजर्व बैंक ने रीपो रेट और रिवर्स रीपो रेट 40-40 बेसिस पॉइंट्स घटाने का निर्णच लिया था।
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि लॉकडाउन के बाद डिमांड में भारी गिरावट आई है। देश में कोरोना के कारण पिछले दो महीने के करीब जो लॉकडाउन रहा है, उससेसप्लाई और डिमांड दोनों प्रभावित हुए हैं। अब जब सरकार ने लॉकडाउन में राहत दी है, उससे सप्लाई साइड की प्रॉब्लम तो धीरे-धीरे दुरुस्त हो जायेगी, मगर डिमांड साइड की प्रॉब्लम बहुत समय तक बनी रहेगी।
रिजर्व बैंक गवर्नर दास ने बताया कि लॉकडाउन के बीच एकमात्र कृषि सेक्टर ऐसा रहा है, जिसमें तेजी दर्ज की गयी है। इस साल अच्छे मानसून का अनुमान लगाया जा रहा है, जिससे कृषि सेक्टर में और तेजी दर्ज की जाएगी। इसके अलावा अन्य सभी सेक्टरों का बहुत बुरा हाल है। पिछले दो महीने के दौरान जो हालात बने हैं, वे बेहद निराशाजनक हैं।
हाल ही में 2019-20 की चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च तिमाही की रिपोर्ट आई है। पूरे वित्त वर्ष में विकास दर 11 साल के न्यूनतम स्तर, 4.2 फीसदी पर रही, जबकि चौथी तिमाही में विकास दर मात्र 3.1 फीसदी रह गयी।