अमेरिकी अखबार में किसने दिया मोदी के विरोध में विज्ञापन, किसने कहा - यह तो एक कलंक है
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अमेरिकी अखबार में किसने दिया मोदी के विरोध में विज्ञापन, किसने कहा - यह तो एक कलंक है
नई दिल्ली। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ( Wall street Journal ) में मोदी सरकार ( Modi government ) के खिलाफ विज्ञापन ( Advertisement ) प्रकाशित होने का मसला अब गहराने लगा है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि विज्ञापन देने वाला कौन है, इसके पीछे उसकी मंशा क्या है। आखिर अमेरिकी मीडिया ( American Newspaper ) किसके इशारे पर भारत ( India ) के खिलाफ लगातार इस तरह की हरकत को अंजाम देने में जुटा है। इस तरह की हरकतों से भारत की छवि खराब होने के बादवजूद भारत सरकार की ओर से कोई प्रभावी प्रतिक्रिया सामने अभी तक क्यों नहीं आई है।
किसने जारी किया विज्ञापन
हालांकि, अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ( Wall street Journal ) के इस हरकत के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं और उसका विरोध भी होने लगा है। लोग वॉल स्ट्रीट के जर्नल के संपादक से माफीनामे की बात कर रहे हैं। अमेरिकी अखबर ने ये विज्ञापन 13 अक्टूबर को प्रकाशित किया था। इस विज्ञापन का शीर्षक मोदीज मैग्नित्सकी 11 दिया गया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल को यह विज्ञापन अमेरिका की गैर-सरकारी संस्था फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम ने जारी किया है।
चौंकानी वाली बात ये है कि इस विज्ञापन को उस समय प्रकाशित किया गया है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिका के दौरे पर थीं। सीतारमण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की सालाना बैठक में शामिल होने के लिए 11 अक्तूबर को वॉशिंगटन पहुंची थीं। ठीक उसी दौरान इस विज्ञापन के प्रकाशन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। विज्ञापन में वित्त मंत्री सहित भारत के 11 लोगों के नाम शामिल हैं। साथ ही ये भी लिखा है कि मोदी सरकार के इन अधिकारियों ने राजनीतिक और व्यापारिक प्रतिद्वंद्वियों से हिसाब चुकाने के लिए सरकारी संस्थाओं को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर कानून का शासन खत्म कर दिया है। इन्होंने भारत को निवेशकों के लिए असुरक्षित बना दिया है।
तो रामचंद्र विश्वनाथन का है इसके पीछे हाथ
अमेरिका के अखबार ( Wall street Journal ) में विज्ञापन आने के बाद से भारत में बवाल की स्थिति है। कई लोगों ने विज्ञापन को लेकर सवाल खड़े किए हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने ट्वीट कर लिखा कि जालसाजों के जरिए अमेरिकी मीडिया का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना शर्मनाक है। क्या आप जानते हैं कि इसके और इन जैसे विज्ञापनों के पीछे कौन है? ये विज्ञापन अभियान भगौड़े रामचंद्र विश्वनाथन ने चलाया है जो कि देवास के सीईओ थे? आपको बता दें विश्वनाथन भारत में भगोड़ा घोषित हैं।
अहम सवाल
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ( Wall street Journal ) और न्यूयॉर्क टाइम्स ने बीते कुछ साल से लगातार भारत और मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चला रहा है। इन अखबारों में भारत सरकार के खिलाफ आने वाले लेखों को भी तरजीह दी जाती है। यहां पर अहम सवाल यह है कि ये अमेरिकी अखबार ऐसा क्यों कर रहे हैं? यहां भारत सरकार पर भी सवाल उठता है। सरकार ये दावा करती है सरकार की नीतियों के चलते भारत दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है। हर देश अब भारत को बहुत ही ध्यान से देखते हैं। ऐसे में इस वक्त पर सरकार की नीतियां कहां गई। इस मामले में अब तक अमेरिकी सरकार ने कोई दखल क्यों नहीं दिया है?
6 साल पहले ग्लोबल मैग्नित्सकी नाम से अमेरिका में बना था एक्ट
छह साल पहले यानि 2016 में अमेरिका ने ग्लोबल मैग्नित्सकी एक्ट बनाया था। इस एक्ट के तहत उन विदेशी सरकार के अधिकारियों का अमेरिका में प्रवेश प्रतिबंधित किया जाता है जिन्होंने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया हो।
विज्ञापन में क्या लिखा है, किस-किसके नाम हैं शामिल
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ( Wall street Journal ) के विज्ञापन में लिखा है कि मिलिए उन अधिकारियों से जिन्होंने भारत को निवेश के लिए एक असुरक्षित जगह बना दिया। विज्ञापन में जिन भारतीयों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है, उनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, एंट्रिक्स के चैयरमेन राकेश शशिभूषण, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन, जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम, सीबीआई डीएसपी आशीष पारिक, ईडी डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा, डिप्टी डायरेक्टर ए सादिक मोहम्मद नैजनार, असिस्टेंट डायरेक्टर आर राजेश और स्पेशल जज चंद्र शेखर शामिल हैं।
बाइडेन सरकार से बैन की मांग
अमेरिकी अखबार के विज्ञापन में जिन लोगों को भारत में निवेश के लिए अनसेफ बनाने के लिए जिम्मेदार बताया गया है उनके नाम के आगे लिखा है कि हम अमेरिकी सरकार से मांग करते हैं कि वो ग्लोबल मैग्नित्सकी ह्यूमन राइट्स अकाउंटेबिलिटी एक्ट के तहत इनके खिलाफ आर्थिक और वीजा प्रतिबंध लगाए।
किसने कहा यह पेशे के खिलाफ कलंक है
दूसरी तरफ अमेरिकी अखबर के इस रवैये के पीछे ब्रिटिश मिडिल ईस्ट सेंटर फॉर स्टडीज एंड रिसर्च में स्ट्रैटेजिक पॉलिटिकल अफेयर्स के एक्सपर्ट अमजद ताहा ने वॉल स्ट्रीट जर्नल पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि यह पत्रकारिता नहीं बल्कि मानहानि वाला बयान है। उन्होंने कहा कि यह पत्रकारिता पेशे के खिलाफ एक कलंक है।