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शिक्षा

इलाहाबाद विश्वविद्यालय मैनेजमेंट ने फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलनरत शोध छात्र मनीष कुमार को तीसरी बार किया सस्पेंड, फेसबुक पोस्ट लिखने पर की गयी कार्रवाई

Janjwar Desk
17 Oct 2023 9:11 AM GMT
इलाहाबाद विश्वविद्यालय मैनेजमेंट ने फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलनरत शोध छात्र मनीष कुमार को तीसरी बार किया सस्पेंड, फेसबुक पोस्ट लिखने पर की गयी कार्रवाई
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विश्वविद्यालय में की गई फीस वृद्धि के खिलाफ चले आंदोलन में शामिल विश्वविद्यालय के छात्र नेताओ को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा निलंबित व निष्कासित करते हुए दर्जनों मुकदमे दर्ज कर जेल भिजवाया गया है, जिनकी रिहाई की मांग उठाते हुए फेसबुक पर पोस्ट लिख़ने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने शोध छात्र मनीष कुमार के ऊपर निलंबन और परिसर में प्रवेश से प्रतिबंधित करने की कार्यवाही की है....

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में तानाशाही चरम पर है। एक तरफ मनमाने तरीके से फीस बढ़ाई गई है, तो वहीं इन तानाशाही भरे रवैये के खिलाफ आवाज उठाने वाले छात्रों का दमन किया जा रहा है। नागरिक समाज ने इसका विरोध करते हुए कहा कि दमनात्मक कार्यवाही करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने राजनीति विज्ञान के शोध छात्र तथा आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष कुमार को तीसरी बार न सिर्फ निलंबित किया है, बल्कि विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश से प्रतिबंधित भी कर दिया है।

नागरिक समाज ने बयान जारी कर कहा है कि विश्वविद्यालय में की गई फीस वृद्धि के खिलाफ चले आंदोलन में शामिल विश्वविद्यालय के छात्र नेताओ को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा निलंबित व निष्कासित करते हुए दर्जनों मुकदमे दर्ज कर जेल भिजवाया गया है, जिनकी रिहाई की मांग उठाते हुए फेसबुक पर पोस्ट लिख़ने/ करने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने शोध छात्र मनीष कुमार के ऊपर निलंबन और परिसर में प्रवेश से प्रतिबंधित करने की कार्यवाही की है, जो ग़ैर लोकतांत्रिक है, सोशल मीडिया अर्थात फेसबुक पर अपनी बात रखने और विश्वविद्यालय परिसर को लोकतांत्रिक बनाने की मांग करने की वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गई निलंबन की कार्यवाही बेहद शर्मनाक है, इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। विश्वविद्यालय परिसर को लोकतांत्रिक बनाने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विभिन्न संगठनों से जुड़े छात्र-छात्राएं निरंतर प्रयासरत है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, जिसमें न तो व्यवस्थित चिकित्सा व्यवस्था है, न ही लड़कियों के लिए स्वच्छ टॉयलेट है। लाइब्रेरी को मनमाने तरीके से खोला और बंद किया जाता है, आईडी कार्ड के नाम पर भय का माहौल कायम किया गया हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय परिसर में छात्र छात्राओं को 6:00 बजे के बाद प्रवेश पर प्रतिबंध है। इस तरह की अव्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाने पर विश्वविद्यालय प्रशासन दमनात्मक कार्यवाही करता है।

गौरतलब है किनागरिक समाज, इलाहाबाद पूरे देश में व्याप्त फासीवादी हमले के खिलाफ निरंतर प्रतिरोध के स्वर बुलंद करता रहा है। वर्तमान सरकार के संविधान व लोकतंत्र विरोधी, फासीवादी चरित्र ने साफ तौर पर जुल्म और जेहालत के खिलाफ आवाज उठाने वाले तथा शोषण के खिलाफ लिखने बोलने वालों के खिलाफ दमन तेज कर दिया है, जिसके खिलाफ नागरिक समाज निरंतर संघर्षरत है।

इसी कड़ी में शोध छात्र मनीष कुमार के निलंबन की नागरिक समाज इलाहाबाद कड़े शब्दों में न सिर्फ निंदा करता है, बल्कि निलंबन वापसी तथा परिसर प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध को तत्काल हटाए जाने की मांग करता है। विश्वविद्यालय में व्याप्त तमाम अव्यवस्थाओं को दूर करने और फीस वृद्धि आंदोलन में शामिल छात्र नेताओं पर दमनात्मक कार्यवाही करते हुए दर्ज सैकड़ों मुकदमे वापस लेने तथा विश्वविद्यालय परिसर में लोकतंत्र बहाल किए जाने की भी मांग करता है। निलंबन वापसी तथा छात्रों की जायज मांगों को पूरा न किए जाने पर नागरिक समाज विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बाध्य होगा।

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