BHU में इफ्तार पार्टी पर छात्रों का वीसी आवास के बाहर प्रदर्शन, फूंका कुलपति का पुतला, बोले - कैंपस में नहीं चलेगी इफ्तारी
BHU में इफ्तार पार्टी पर छात्रों का वीसी आवास के बाहर प्रदर्शन, फूंका कुलपति का पुतला, बोले - कैंपस में नहीं चलेगी इफ्तारी
उपेंद्र प्रताप की रिपोर्ट
BHU : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में गोबर से उपला विवाद और फिर दलित छात्रों से मारपीट का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि इसी बीच महिला महाविद्यालय में शिक्षक, छात्राओं और स्टाफ के साथ कुलपति कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन (Vice Chancellor Prof. Sudhir Kumar Jain) का रोजा इफ्तार पार्टी में सहभोज की खबरें और सेल्फी की तस्वीरें सोशल मीडिया में आते ही कैंपस में छात्रों के एक धड़े ने मोर्चा खोल दिया है।
बुधवार की देर शाम सैकड़ों की तादाद में छात्रों ने कुलपति का पुतला दहन कर छात्रों ने कहा कि बीएचयू में इफ्तारी नहीं चलेगी। यह विवाद कैंपस से बाहर निकल चुका है, हिन्दू संतों का कहना है कि यदि बीएचयू में कुलपति प्रो. सुधीर जैन रोजा इफ्तार कर रहे हैं, तो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में रामनवमी मनवाएं और शोभायात्रा कराएं।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के महिला महाविद्यालय में बुधवार की शाम को परंपरा के अनुसार रोजा इफ्तार पार्टी (Roza Iftar Party) की गई।
इसमें BHU जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी एक सूचना के मुताबिक महिला महाविद्यालय में रोजादार शिक्षक, शिक्षिकाओं और छात्राओं ने कुलपति प्रो. जैन के साथ अपना रोजजा खोला और इफ्तार की। इस इफ्तार पार्टी में रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला, कुलसचिव अरूण कुमार, छात्र अधिष्ठाता प्रो. केके सिंह, चीफ प्रॉक्टर प्रो. भुवन चंद्र कापड़ी, पीआरओ डॉ. राजेश सिंह और एपीआरओ चंदरशेखर ग्वारी भी मौजूद थे।
कोरोनाकाल में बंद थी इफ्तार पार्टी, अब शुरू हुई तो बवाल
बीएचयू के जनसंपर्क विभाग द्वारा जैसे ही रोजा इफ्तार पार्टी की खबर और तस्वीरें वाट्सएप ग्रुप और ट्वीटर पर शेयर की गईं। इसके बाद से बीएचयू के छात्रों ने कुलपित और उनकी टीम के खिलाफ आक्रोश जताया। देखते ही देखते छात्रों के आक्रोश की आंच से कुलपित आवास, बीएचयू मेन गेट और सोशल मीडिया से तपने लगा। छात्रों समेत हिन्दू मतावलंबी खुलकर अपना विरोध जता रहे हैं। साथ ही बीएचयू में रोजा, इफ्तार और नई परंपरा बंद करो और मुर्दाबाद के नारे लगाकर पुतला भी फूंका।
बीएचयू के छात्र शुभम ने 'जनज्वार' से कहा कि पीआरओ द्वारा बकायदा प्रेस रिलीज जारी कर इफ्तारी की गई। छात्र ने आरोप लगाया कि ऐसा कभी इस कैंपस में नहीं हुआ है।
छात्रों ने इस दौरान 'नई परंपरा बंद करो' और 'मुर्दाबाद' के नारे लगाकर कुलपति का पुतला जलाया। हालांकि, जानकार और विश्वविद्यालय के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि इफ्तार पार्टी का आयोजन विगत दो साल कोविड में बंद था, इस बार फिर से शुरू किया गया है। यह विश्वविद्यालय की बहुत पुरानी परंपरा है। कोई नई परंपरा अभी शुरू नहीं की गई है।
बहरहाल, बीएचयू कैंपस का माहौल फिर से गरमाया हुआ है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से संबंध रखने वाले बीएचयू के शोध छात्र भानू प्रताप सिंह ने कहा कि लंबे समय से रोजा इफ्तार जैसा कोई आयोजन विश्वविद्यालय में नहीं हो रहा था। अचानक ऐसा करना उचित नहीं है। उन्होंने वीसी पर आरोप लगाया है कि वह छात्रों के हितों की बातों को दरकिनार करते हैं। परिसर में इफ्तार पार्टी का आयोजन निंदनीय है।
मानवीय चेतना और लोकतांत्रिक मूल्य का सवाल
भगत सिंह मोर्चा से जुड़े इतिहास विभाग के शोध छात्र विकास आनंद सिंह कहते हैं कि कुलपित ने कुछ नया नहीं किया है। यह लोकतांत्रिक देश में केंद्रीय विश्वविद्यालय है, यहां हर जाति-धर्म के छात्र पढ़ाई करने आते हैं। इस क्रम में महिला महाविद्यालय में इफ्तार पार्टी में कुलपति की मौजूदगी बताती है कि उनके अंदर मानवीय चेतना और लोकतांत्रिक मूल्य जीवित हैं।
बुधवार को कुलपित की टीम के साथ छात्राओं, शिक्षक और शिक्षिकाओं ने रोजा खोला। इस मुद्दे पर छात्रों के एक धड़े द्वारा बवाल किया जाना समझ से परे हैं और निंदा योग्य है। बहरहाल, विदित हो कि रोजा इफ्तार पार्टी में कुलपति ने छात्राओं से संवाद कर महिला महाविद्यालय के विकास और छात्राओं के लिए बेहतर सुविधाओं के लिए प्रतिबद्धता जताई।
महिला महाविद्यालय में रोजा इफ्तार पार्टी के बाद प्रो. सुधीर जैन ने बताया कि छात्रावास संरक्षिकाएं अपनी दिक्कतों व जरूरतों के बारे में समय-समय पर अवगत कराएं और इसमें छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित कराएं। कुलपति ने छात्राओं संग सेल्फी भी ली। कार्यक्रम में डॉ.अफजल हुसैन, प्रो. नीलम अत्रि, कार्यवाहक प्रधानाचार्य प्रो. रीता सिंह, छात्र अधिष्ठाता प्रो. केके सिंह, चीफ प्रॉक्टर प्रो. बीसी कापड़ी, डॉ. दिव्या कुशवाहा मौजूद रहे।
बीएचयू के जनसंपर्क अधिकारी (PRO) डॉ. राजेश सिंह ने 'जनज्वार' से कहा कि महिला महाविद्यालय में रोजा इफ्तार की परंपरा रही है। इसमें कुलपति समेत अन्य अधिकारी शामिल होते हैं। बुधवार को आयोजन किया गया। कोरोनाकाल में विश्वविद्यालय बंद होने से इफ्तार का आयोजन नहीं हुआ है। इस पर किसी प्रकार का विवाद नहीं होना चाहिए।
सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, अजय कुमार शर्मा कहते हैं कि अब हर विश्वविद्यालय राजनीति का अखाड़े बनते जा रहे हैं। इससे इनकी साख और पहचान को नुकसान पहुंच रहा है। अमन मिश्रा कहते हैं कि यह एक सुनियोजित तरीके से कराया जा रहा है। इससे दुनिया के टॉप विवि की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। छात्रों के एक धड़े द्वारा सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए यह सब बितंडा रचा और किया जा रहा है।
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