Bihar News : हौसले की नहीं होती कोई 'सीमा', एक पैर से कूदकर स्कूल जाने वाली बच्ची को मिली प्रशासन से मदद, सोनू सूद भी आए आगे
Bihar News : हौसले की नहीं होती कोई 'सीमा', एक पैर से कूदकर स्कूल जाने वाली बच्ची को मिली प्रशासन से मदद, सोनू सूद भी आए आगे
Bihar News : एक पैर पर 1 KM कूदकर स्कूल जाने वाली बिहार (Bihar News) के जमुई (Jumai) की सीमा को अब पंख मिल गया है। मीडिया में खबर आए के बाद प्रशासन स्वयं उनकी मदद के लिए उनके घर पहुंचा। जिला प्रशासन की ओर से डीएम अवनीश कुमार ने सीमा को स्कूल जाने के लिए ट्राईसाइकिल भेंट की। जिला प्रशासन की पूरी टीम बुधवार को सीमा के घर पर मौजूद थी। सभी ने सीमा को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान उसकी पढ़ाई की लगन को सभी ने सराहा।
सीमा के स्कूल में बनेगा स्मार्ट क्लास
इस मौके पर जमुई के जिला अधिकारी अवनीश कुमार ने कहा कि सीमा का पढ़ने के प्रति हौसला काबिल-ए-तारीफ है। वह खुद अपनी प्रेरणा से स्कूल जा रही है, जो सभी के लिए प्रेरणादायक है। यही नहीं जल्द कृत्रिम पैर लगाने का भी आश्वासन दिया गया। सीमा जिस स्कूल में पढ़ती है, उस स्कूल में 1 महीने के अंदर स्मार्ट क्लास बनाया जाएगा। जिलाधिकारी अवनीश कुमार ने कहा कि सीमा के माता-पिता जो काफी गरीब हैं, इनके परिवार को जल्द राशन कार्ड, मकान, सरकारी योजना के तहत मिलने वाली सारी सुविधाएं मिलेगी।
सीमा जैसे और बच्चों को भी मिलेगी सुविधा
इसके साथ ही जिलाधिकारी ने कहा है कि अगर इस तरह के दुर्घटना का शिकार अन्य कोई बच्चा है तो उनको टोला सेवकों द्वारा चिन्हित किया जाए और ऐसे लोगों को उचित शिक्षा मुहैया कराई जाए। ताकि किसी भी वजह से ऐसे बच्चों की शिक्षा बाधित न हो। वहीं ट्राईसाइकिल मिलने के बाद सीमा बहुत खुश थी।
मदद के लिए सोनू सूद भी आए आगे
बता दें कि सीमा की मदद के लिए अभिनेता सोनू सूद ने भी ट्वीट कर कहा कि 'अब यह अपने एक नहीं दोनों पैरों पर कूद कर स्कूल जाएगी। टिकट भेज रहा हूँ, चलिए दोनों पैरों पर चलने का समय आ गया।'
अब यह अपने एक नहीं दोनो पैरों पर क़ूद कर स्कूल जाएगी।
— sonu sood (@SonuSood) May 25, 2022
टिकट भेज रहा हूँ, चलिए दोनो पैरों पर चलने का समय आ गया। @SoodFoundation 🇮🇳 https://t.co/0d56m9jMuA
हादसे में सीमा को गंवानी पड़ी थी एक टांग
सीमा खैरा प्रखंड के नक्सल प्रभावित इलाके फतेपुर गांव में रहती है। उनसे पिता का नाम खिरन मांझी है। सीमा की उम्र 10 साल है। 2 साल पहले एक हादसे में उसे एक पैर गंवाना पड़ा था। इस हादसे ने उसके पैर छीने, लेकिन हौसला नहीं। आज अपने गांव में लड़कियों के शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रति एक मिसाल कायम कर रही है। वह अपने एक पैर से चलकर खुद स्कूल जाती थी और आगे चलकर शिक्षक बनकर लोगों को शिक्षित करना चाहती है।