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शिक्षा

Chhattisgarh : हिंदी मीडियम को अंग्रेजी मीडियम बनाए जाने से सकते में आए हजारों छात्र, विरोध में हुआ आंदोलन शुरू

Janjwar Desk
17 Sep 2022 12:45 PM GMT
Chhattisgarh : हिंदी मीडियम को अंग्रेजी मीडियम बनाए जाने से सकते में आए हजारों छात्र, विरोध में हुआ आंदोलन शुरू
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Chhattisgarh : हिंदी मीडियम को अंग्रेजी मीडियम बनाए जाने से सकते में आए हजारों छात्र, विरोध में हुआ आंदोलन शुरू

Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अचानक से हिंदी मीडियम के कॉलेज को अंग्रेजी मीडियम बना देने से हिंदी मीडियम से पढ़े हजारों छात्र सकते में आ गए हैं, नाराज छात्रों ने इसके विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया है, छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के जिन 10 कॉलेजों को अंग्रेजी माध्यम बनाने का फैसला लिया है, उसमें बिलासपुर का एकमात्र साइंस कॉलेज भी शामिल है.....

Chhattisgarh news : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अचानक से हिंदी मीडियम के कॉलेज को अंग्रेजी मीडियम बना देने से हिंदी मीडियम से पढ़े हजारों छात्र सकते में आ गए हैं। नाराज छात्रों ने इसके विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के जिन 10 कॉलेजों को अंग्रेजी माध्यम बनाने का फैसला लिया है, उसमें बिलासपुर का एकमात्र साइंस कॉलेज भी शामिल है। प्रदेशभर में अपनी अलग पहचान रखने वाले इस कॉलेज में एडमिशन के लिए मारामारी की स्थिति रहती है। ऐसे में हिंदी मीडियम के इस कॉलेज में एडमिशन होने के बाद इसे अंग्रेजी माध्यम बनाने के विरोध में छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया है।

बता दें कि सरकार ने कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद दस कॉलेज का दर्जा हिंदी माध्यम से बदलकर इंग्लिश मीडियम कर दिया है। इस बदलाव की चपेट में साइंस कॉलेज भी आ गया है। यह साइंस कॉलेज सबसे पुराने संस्थान के रूप में सरकारी ई राघवेंद्र राव स्नातकोत्तर विज्ञान कॉलेज मुख्य रूप से एक निजी कॉलेज था, जिसे पहले एसबीआर कॉलेज के नाम जाता था। कॉलेज की स्थापना 1944 में शिव भगवान रामेश्वरदीन ने की थी, ताकि आसपास के होनहार बच्चों को सस्ती उच्च शिक्षा मिल सके। बाद में 1972 में इसे मध्य प्रदेश सरकार ने अधिग्रहित कर लिया। इस दौरान यहां सभी फैकल्टीज की पढ़ाई होती थी। फिर 1986 में इसे मॉडल कॉलेज का दर्जा दिया गया और स्वाशासी कॉलेज बना दिया गया।

इसके साथ ही यहां दूसरे संकायों को बंद कर सिर्फ साइंस सब्जेक्ट की पढ़ाई होने लगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2006 में 'सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन साइंस' का दर्जा दिया था और इसका नाम बदलकर गवर्नमेंट ई. राघवेंद्र राव पोस्ट ग्रेजुएट साइंस कॉलेज कर दिया। ऐसे में इस कॉलेज में पहली से लेकर 12वीं तक हिंदी माध्यम में पढ़ाई करने के बाद दाखिला लेने वाले छात्रों के सामने भाषा का माध्यम बदले जाने से दिक्कत खड़ी हो गई है।

स्टूडेंट्स का कहना है कि कॉलेज में अचानक से अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करने में दिक्कतें होंगी और उनके करियर पर सीधा असर पड़ेगा। इसीलिए कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम बनाने का विरोध किया जा रहा है, जबकि कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि इस बारे में शासन ने स्टूडेंट्स और टीचिंग स्टाफ से भी सहमति मांगी है। उन्होंने शासन को पूरी जानकारी भेज दी है। आगे शासन के आदेश का इंतजार है।

प्राचार्य एसआर कमलेश ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार प्रथम वर्ष के छात्रों को अंग्रेजी में पढ़ाई करनी होगी। परीक्षा भी अंग्रेजी में ही देनी होगी। जो छात्र अंग्रेजी में नहीं पढ़ सकते हैं, वे अपनी सहमति पत्र दे दें, उन्हें दूसरे शासकीय कॉलेजों में प्रवेश दिलाया जाएगा। इस समय कॉलेज में प्रथम वर्ष की सभी 775 सीटों में प्रवेश हो चुका है।

ऐसे में शासन के इस फैसले से कॉलेज में एडमिशन होने के बाद अब स्टूडेंट्स दुविधा में पड़ गए हैं। छात्रों का कहना है कि साइंस कॉलेज में उन्होंने इसलिए एडमिशन लिया है कि यहां पढ़ाई बेहतर है। लेकिन अब कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम बनाने के साथ ही हिंदी मीडियम से पढ़े छात्रों को कॉलेज छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि अंग्रेजी माध्यम नहीं पढ़ना है तो उन्हें दूसरे कॉलेजों में दाखिला दिलाया जाएगा। ऐसे में सिर्फ हिंदी माध्यम की पढ़ाई के नाम से उन्हें कॉलेज बदलना पड़ेगा, जिसके लिए वह तैयार नहीं है।

कॉलेज के छात्र नेता अंकित राज लहरे ने कहा कि शासन का आदेश जारी होने के बाद से एक सितंबर से आंदोलन किया जा रहा है। कॉलेज परिसर में रोज नारेबाजी कर विरोध हो रहा है। हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है। स्टूडेंट्स लगातार चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। आने वाले समय उग्र आंदोलन भी किया जाएगा। कॉलेज बंद और चक्काजाम करने के लिए भी बाध्य होंगे, जबकि इससे इतर प्राचार्य कमलेश के मुताबिक दूसरे शासकीय कॉलेज में जो छात्र प्रवेश लिए हैं, अगर वे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाना चाहेंगे तो उनका प्रवेश साइंस कॉलेज में होगा। अगर दूसरे कॉलेजों से अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या सीट से ज्यादा होगी तो उन्हें मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। स्टूडेंट्स के विरोध की जानकारी भी शासन को भेजी गई है। इस मसले पर शासन स्तर पर ही फैसला हो सकेगा।

जिस साइंस कॉलेज को अंग्रेजी मीडियम में बदला गया है वहां अभी 32 शिक्षक हैं। अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने के लिए शिक्षकों से सहमति पत्र भरवाएगी कि वे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना चाहते हैं कि नहीं। सहमति पत्र मिलने के बाद इनका साक्षात्कार होगा, फिर उन्हें चयनित किया जाएगा। साथ ही रिक्त सीटों पर अन्य कॉलेजों के शिक्षकों के आवेदन मंगाए जाएंगे। इसके बाद उनका साक्षात्कार होगा। वर्तमान में तैनात कॉलेज के 22 प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों ने अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने के लिए सहमति दे दी है।

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