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शिक्षा

Gorakhpur University : कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह पर बैठे प्रोफेसर कमलेश गुप्त, विश्वविद्यालय प्रशासन ने रोका

Janjwar Desk
21 Dec 2021 10:45 AM GMT
दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समक्ष ही बैठने पर अड़े रहे प्रोफेसर कमलेेश कुमार गुप्त।
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(कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह पर प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त)

Gorakhpur University : प्रो. कमलेश कुमार गुप्त का कहना है कि उनके विश्वविद्यालय को ऐसे दुर्दिन से कभी गुजरना नहीं पड़ा है। कुलपति के कृत्यों से विश्वविद्यालय की गरिमा और छवि बुरी तरह धूमिल हो रही है....

चक्रपाणि ओझा की रिपोर्ट

Gorakhpur University : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग (Hindi Department) के प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त ने प्रशासनिक भवन स्थित दीनदयाल उपाध्याय (Deen Dayal Upadhyay) की प्रतिमा के सामने सत्याग्रह शुरू कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक प्रो. गुप्त सुबह जैसे ही सत्याग्रह करने के लिए प्रशासनिक भवन पहुंचे, वहां पहले से मौजूद प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य व विश्वविद्यालय प्रशासन के लोगों ने उन्हें वहां बैठने से मना कर दिया। हालांकि वे दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समक्ष ही बैठने पर अड़े रहे।

सत्याग्रह को लेकर प्रो. गुप्त का कहना है कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह की प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं, गैरलोकतांत्रिक कार्यशैली, अपने में निहित शक्तियों के दुरुपयोग, घोर असंवेदनशीलता, नियमविरोधी मनमर्जी और 'देख लेने' वाले आचार-व्यवहार के कारण विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी, शोधार्थी और अभिभावक तनावभरी जिंदगी जीने के लिए अभिशप्त हो गए हैं।

ज्ञात हो कि इस तरह की अनेक शिकायत को लेकर पिछले कई दिनों से संघर्ष कर रहे हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने आज पूर्व घोषित कार्यक्रम 'सत्याग्रह' की शुरुआत विश्वविद्यालय स्थित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के सामने शुरू कर दिया, जिसे छात्रों, शिक्षकों, सामाजिक-राजनीतिक लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है।

प्रो. कमलेश कुमार गुप्त का कहना है कि उनके विश्वविद्यालय को ऐसे दुर्दिन से कभी गुजरना नहीं पड़ा है। कुलपति के कृत्यों से विश्वविद्यालय की गरिमा और छवि बुरी तरह धूमिल हो रही है। उनसे मुक्ति के अब तक के प्रयास निरर्थक से लगने लगे हैं। ऐसे में सत्याग्रह का ही रास्ता बचता है।

उन्होंने बताया कि आवश्यकतानुसार सत्याग्रह कई चरणों में होगा। पहले चरण में सत्याग्रह चार घंटे (पूर्वाह्न 11:15 से अपराह्न 3:15 तक) का होगा। इस अवधि में मैं केवल जल ग्रहण करुंगा। सत्याग्रह पूर्णतः अहिंसक और शांतिपूर्ण होगा। उन्होंने सभी शिक्षक मित्रों का आह्वान किया है कि सत्याग्रह में सहभागी होकर अपने विश्वविद्यालय को बचाने में अपनी महती भूमिका का निर्वाह करें।

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