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शिक्षा

Hijab Row : शैक्षणिक संस्थान तय कर सकते हैं ड्रेस, हिजाब बैन को चुनौती देने पर बोला सुप्रीम कोर्ट

Janjwar Desk
15 Sept 2022 9:16 PM IST
Hijab Row : शैक्षणिक संस्थान तय कर सकते हैं ड्रेस, हिजाब बैन को चुनौती देने पर बोला सुप्रीम कोर्ट
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Hijab Row : शैक्षणिक संस्थान तय कर सकते हैं ड्रेस, हिजाब बैन को चुनौती देने पर बोला सुप्रीम कोर्ट

Hijab Row : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि नियमों के मुताबिक शैक्षणिक संस्थानों को अपना यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार है और हिजाब इससे अलग है...

Hijab Row : प्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब के इस्तेमाल मामले पर सुनवाई करते हुए आज गुरुवार को एवं टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि नियमों के मुताबिक शैक्षणिक संस्थानों को अपना यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार है और हिजाब इससे अलग है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है। बता दें कि सोमवार को भी इस मामले पर सुनवाई जारी रहेगी।

शैक्षणिक संस्थानों को यूनिफॉर्म तय करने का हक

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि 'नियम कहते हैं कि शैक्षणिक संस्थानों को यूनिफॉर्म (ड्रेस) को निर्धारित करने का अधिकार है। हिजाब इससे अलग है।' सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को इसलिए भी अहम माना जा रहा है कि कर्नाटक के जिस स्कूल से यह मुद्दा उठा है, उसका प्रबंधन भी यही दलील देते आया है।

पढ़ाई छोड़ने वाले विधार्थियों का मांगा आकड़ा

बता दें कि इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सवाल किया था कि क्या हिजाब प्रतिबंध और इस मुद्दे पर हाई कोर्ट के फैसले के कारण कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों से छात्रों के पढ़ाई छोड़ने के संबंध में कोई प्रामाणिक आंकड़ा है। याचिकाकर्ताओं में से एक की तरफ से पेश हुए वकील ने विद्यार्थियों विशेषकर छात्राओं द्वारा स्कूल छोड़ने का मुद्दा उठाया। इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि 'क्या आपके पास प्रमाणिक आंकड़े हैं कि हिजाब प्रतिबंध और उसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के चलते 20, 30, 40 या 50 विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ दी?'

हिजाब पहनना धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं

जानकारी के लिए आपको बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट के 15 मार्च के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि हिजाब पहनना आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है जिसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित किया जा सकता है। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर लगातार सुनवाई कर रहा है।

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