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शिक्षा

रिनोवेशन के नाम पर खाली कराया हॉस्टल-सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर छात्र, मोदी के बनारस में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन कर रहा है मनमानी

Janjwar Desk
27 Nov 2022 11:01 AM IST
रिनोवेशन के नाम पर खाली कराया हॉस्टल-सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर छात्र, मोदी के बनारस में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन कर रहा है मनमानी
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रिनोवेशन के नाम पर खाली कराया हॉस्टल-सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर छात्र, मोदी के बनारस में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन कर रहा है मनमानी 

पुलिस की धमकी के साथ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों से हॉस्टल खाली कराये तीन माह से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन अभी तक रिनोवेशन और पेटिंग का कार्य पूरा होना तो दूर, शुरू तक नहीं करवाया गया है...

देवेश पांडे की रिपोर्ट

वाराणसी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को क्योटो की तर्ज पर विकसित किए जाने के दावों में सच कितना है, यह तो नहीं पता लेकिन इसी वाराणसी शहर के सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में एक ऐसा मामला सामने आया है जो छात्रों के लिए भारी पड़ रहा है। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन और वर्तमान कुलपति हरेराम त्रिपाठी ने परिसर में मौजूद तीन ब्वॉयज हास्टल और एक महिला हास्टल को रिनोवेशन के नाम पर जबरन खाली करवा लिया। अब नवम्बर की कड़ाके वाली ठंड के बीच स्थिति यह है कि हॉस्टल से जबरन निकाले गए इन छात्रों को शहर की सड़को पर धूल फांकते देखा जा सकता है।

पुराने तो पुराने नए छात्रों को भी एडमिशन नहीं होने के बहाने हॉस्टल नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन के द्वारा जब 10 सितम्बर को छात्रों से हास्टल करवाया जा रहा था तो उस दौरान नोटिस जारी करते हुए छात्रों से कहा गया कि हॉस्टल की हालात काफी खराब है। कमरे काफी गंदे और भद्दे हो गए हैं, इसलिए इनके रिनोवेशन के कार्य के लिए खाली करना होगा।

उस समय भी छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को दलील देते हुए कहा था कि उनके रहते ही एक एक करके कमरों के सारे कार्य करवा लिये जाएं। हॉस्टल खाली करने के वह आखिर कहां जायेंगे। इतने महंगे शहर में अपनी पढाई लिखाई को कैसे करेंगे, लेकिन विवि प्रशासन ने इसके बाद भी पुलिस प्रयोग करने की धमकी देते हुए छात्रों से हॉस्टल के सभी कमरों को खाली करवा लिया। वैसे दिलचस्प बात यह है कि छात्रों को हॉस्टल खाली किए तीन माह से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन रिनोवेशन के नाम पर खाली कराए हॉस्टल में रिनोवेशन और पेटिंग का कार्य पूरा होना तो दूर, शुरू तक नहीं करवाया गया है।

योगी सरकार ने वाराणसी के संपूर्णानंद विश्वविद्यालय की 2 एकड़ जमीन का पट्टा सौंपा बिजली विभाग को, सैकड़ों छात्रों-शिक्षक-कर्मचारियों का धरना

गौरतलब है कि यह वही संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी है जिसकी 2 एकड़ जमीन बिजली विभाग को दे दी गयी है और इस जमीन को बचाने के लिए पिछले लंबे समय से छात्र—प्रोफेसर धरना दे रहे हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि शासन प्रशासन की मिलीभगत से यूनिवर्सिटी की जमीन का पट्टा बिजली विभाग के नाम कर दिया गया है, जबकि इस जमीन पर छात्रों के लिए हॉस्टल बनाया जाना प्रस्तावित था। संपूर्णानंद विश्वविद्यालय कैम्पस में शहर के तेलियाबाग इलाके से सटे हुए 2 एकड़ में फैले खेलकूद परिसर को बिजली विभाग को पट्टे के बतौर आवंटित कर दिया गया है। अब इस 2 एकड़ जमीन पर बिजली विभाग को पूर्ण अधिकार रहेगाा, वह इसका जिस तरह चाहे वैसे इस्तेमाल कर सकता है। कहा जा रहा है कि बिजली विभाग इस भूमि का इस्तेमाल अपने विभागीय कार्यों के लिए करेगा। विरोध में 3 नवंबर को 161 कर्मचारियों के हस्ताक्षरयुक्त चेतावनी पत्र को कुलपति को भेजा गया था और इसकी प्रतिलिपि कुलाधिपति से लेकर जिलाधिकारी को भी आंदोलन​कारियों द्वारा भेजी गयी।

यहां यह बताते चलें कि विश्वभर में संस्कृत और वैदिक भाषा के ज्ञान के लिए विख्यात वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत महाविद्यालय में भारत के कोने कोने के अतिरिक्त विदेशों से भी छात्र संस्कृत भाषा के तहत कर्मकांड से लेकर वैदिक ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। बाहर से आए इन छात्रों के अध्ययन के दौरान रहने के लिए विश्वविद्यालय परिसर के यह हॉस्टल ही अपनी विशेष भूमिका निभाते हैं। ऐसे में हॉस्टल खाली कराए जाने के बाद सड़कों पर आए यह छात्र विवि प्रशासन के इस निर्णय से अक्रोशित हो रहे हैं। हॉस्टल से बाहर हुए विश्वविद्यालय के इन छात्रों का गुस्सा एक बार फिर आंदोलन का रूप लेने जा रहा है।

इस तरह छलका छात्रों का दर्द

विश्वविद्यालय के अंदर छात्रों की इसी समस्या का पड़ताल करने के लिए जनज्वार टीम कैम्पस गई और वहां मौजूद छात्रों के साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन की राय लेकर यह जानने का प्रयास किया कि आखिर इसमें असली पेंच क्या है?

हॉस्टल खाली कराये जाने और नये आंवटन के सम्बंध में मिथिलेश कुमार मिश्रा जो कि विश्वविद्यालय के ही बीएड पाठयक्रम के छात्र हैं, उनसे बात हुई तो उनका साफ तौर पर कहना था कि कुलपति की तरफ से आदेश आया था कि हॉस्टल को रिपेयरिंग करवानी है। बिजली सही करवानी है और पेंटिग करवानी है। इसके बाद आज तक कोई भी काम नही हो पाया और हम लोगो को हॉस्टल भी नहीं दिया जा रहा है। मिथिलेश पूर्व में विश्वविद्यालय के हॉस्टल में रहे हैं। द्वितीय वर्ष के छात्र हैं, तो उनको हॉस्टल दिया जा सकता है परंतु प्रशासन की तरफ से कोई कार्य न करते हुए बरगलाया जा रहा हैं। मिश्रा का आरोप है कि हॉस्टल आंवटन के बारे में जब भी वह कुलपति से मुलाकात करके बात करना चाहते हैं तो कुलपति टाल जाते हैं और मिलते भी नहीं हैं।

इसी मसले पर शिवम चतुर्वेदी कहते हैं, वह विश्वविद्यालय के ही एनसीसी के कैडेट भी हैं। हॉस्टल नहीं मिलने के कारण उन्हें चित्रकूट से हर शुक्रवार और शनिवार को आना पड़ता है। हॉस्टल के अभाव में यहां आने पर उन्हें अपनी रात रेलवे स्टेशन के किनारे या फिर किसी दोस्त के यहां गुजारनी पड़ती है। इस मामले में कुलपति द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।

एक अन्य छात्र अनुराग शुक्ला बताते हैं, कुछ समय पहले उनकी मुलाकात कुलपति से हुई थी। अपनी समस्या को कुलपति के सामने रखा था तो कुलपति ने साफ तौर पर हॉस्टल को खोलने से मना कर दिया था। आगे अनुराग शुक्ला ने बताया कि हॉस्टल के अभाव में उनका अध्ययन और अध्यापन पूरी तरीके से बाधित हो रहा है। इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई भी सार्थक कदम नही उठाया जा रहा है।

इसके बाद मनोहर कुमार मिश्रा से बात हुई तो उन्होंने कहा कि हॉस्टल की सुविधा नहीं होने के कारण उनकी पढाई लिखाई काफी बाधित हो रही है। हॉस्टल में साफ सफाई तो काफी दूर की बात है, सुरक्षा तक का पूरी तरीके से अभाव है।

कुलपति का यह है कहना

छात्रों के लाखों सवालों और हॉस्टल के खुलने के मसले और विश्वविद्यालय के अंदर जारी गतिरोध के मसले पर जनज्वार ने विश्वविद्यालय के कुलपति हरेराम त्रिपाठी से मुलाकात की और उनका पक्ष जानने का प्रयास किया। इस बारे में कुलपति त्रिपाठी का कहना था कि मुख्य और शोध हॉस्टल में बहुत काम करवाना है, इसलिए नामांकन और एडमिशन के बाद ही छात्रों को हॉस्टल आवंटित किया जायेगा। इसके साथ ही कुलपति ने बजट की भी समस्या को इंगित करते हुए कहा कि बजट के अभाव के कारण भी हम हॉस्टल का आंवटन नहीं कर पा रहे हैं, इस कारण भी हॉस्टल का प्रॉपर मैनेजमेंट नहीं हो पा रहा है। हॉस्टल मैनेटेंनेस का बजट 10 करोड़ से ज्यादा का बताते हुए कुलपति का कहना है कि हम लोग शहर के बड़े लोगों से निवेदन करते हुए धनराशि को अर्जित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे की हॉस्टल का मैनटेनेंस करवाया जा सकेगा।

बजट के अभाव से जूझता हॉस्टल

हॉस्टल की व्यवस्था के बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन के वित्त अधिकारी विधि द्विवेदी से बात की गई तो उनका कहना था कि विश्वविद्यालय के पास फंड का अभाव है और हमें सरकार की तरफ से भी कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है। हमें खुद ही धन की व्यवस्था करनी पड़ रही है। ऐसे में हॉस्टल सहित विश्वविद्यालय के तमाम सारे कार्य रूके हुए हैं। विश्वविद्यालय में धन के अभाव की बात को कुलपति स्वत: स्वीकार करते हैं और कहते हैं कि सरकार की तरफ से कोई भी सहायता नहीं मिलने के कारण सारे कार्य देरी से हो रहे हैं। ऐसे में उनकी तरफ से छात्रों के लिए हॉस्टल को चुस्त-दुरस्त बनाये रखने के लिए शहर के लोगों के साथ ही विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों से भी सम्पर्क किया जा रहा है, जो कि कुलपति को पत्र के माध्यम से विश्वविद्यालय की सहयता कर सकते हैं।


कुलपति कहते हैं, प्रवासी भारतीय रमन तिवारी की तरफ से 15 लाख रुपये की सहायता मिली है, जिससे हम लोग विश्वविद्यालय में रंगाई और पुताई का कार्य कराने जा रहे हैं।

नहीं हो पा रहा है काम

हॉस्टलों को बंद किये हुए प्रशासन को तीन माह का वक्त हो गया है इसके बावजूद अभी तक विश्वविद्यालय के किसी भी हॉस्टल में एक भी दिन का एक भी घंटे का कार्य नहीं हो पाया है।हॉस्टल आज भी वैसे ही बदबूदार बने हुए हैं, दरवाजे टूटे हुए हैं। खिड़कियां टूटी हुई हैं। बाथरूम से लेकर टायलेट तक टूटा पड़ा हुआ है। पानी की टोंटियां तक टूटी हुई हैं, इसके बाद भी कोई कार्य नही किया गया है। शिक्षा और धन के अभाव में छात्र ऐसे गंदे हॉस्टलों में रहकर छात्र पढ़ाई कर रहे थे और उसे भी जबरन खाली करवा लिया गया। मेंटेनेंस तो दूर अब तो वहां पर कैम्पस के कुत्ते पहरेदारी करते हुए अपने बिस्तर को सजा रहे हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है, हॉस्टल के साथ ही अन्य कार्य जो कि छात्रहित के लिए विश्वविद्यालय में किये जाने हैं, उसके लिए धन की व्यवस्था करने के लिए कुलपति ने स्थानीय नागरिकों के साथ ही शहर के धनाढ्य लोगों के साथ भी संपर्क किया है। आर्थिक सहायता के लिए ही कुलपति पुरातन छात्रों से भी संपर्क कर रहे हैं। इस बारे में कुलपति का कहना है कि विश्वविद्यालय की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है और सरकार की तरफ से कोई भी सहयोग नही मिलने के कारण सारी समस्या उत्पन्न हो रही है।

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