IIMC प्रशासन मुकरा वायदे से, OFFLINE क्लास को लेकर धरने पर बैठे छात्र
जनज्वार ब्यूरो। भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के छात्र कल 5 अप्रैल से धरने पर बैठे हैं। ये छात्र ऑफलाइन क्लास की मांग के साथ धरने पर बैठे हैं। सत्र 2020-21के छात्र लॉकडाउन हटने के बाद से ही केंपस खोले जाने व ऑफलाइन क्लास के संचालन की मांग कर रहे थे। इस दौरान छात्रों की आईआईएमसी प्रशासन के साथ कई बार वार्ता हुई। इन वार्ताओं में प्रशासन ने सेकंड सेमेस्टर से कैंपस खोलने व ऑफलाइन क्लास के संचालन का वायदा छात्रों से किया था।
वादाखिलाफी और तानाशाही पर आमदा प्रशासन
20 मार्च को फर्स्ट सेमेस्टर का अंतिम दिन था, इसी दौरान 19 मार्च को कैंपस में होने वाले शुक्रवार संवाद कार्यक्रम में छात्रों ने अपनी गूगल प्रोफाइल पिक बदल कर ऑफलाइन क्लास की मांग की थी। छात्रों द्वारा यह मांग किए जाने पर प्रशासन द्वारा उन्हें मीटिंग से रिमूव करते हुए ब्लॉक कर दिया गया। हिंदी पत्रकारिता के छात्र सौरव बताते हैं, "30 मार्च से दूसरा सेमेस्टर शुरू हुआ पहले छात्रों को आश्वासन दिया गया था कि सेकंड सेमेस्टर ऑफलाइन शुरू किया जाएगा लेकिन अब सेकंड सेमेस्टर शुरू हो चुका है प्रशासन अपने वायदे से मुकर गया है। सेकंड सेमेस्टर भी ऑनलाइन शुरू कर दिया गया है"।
छात्रों की समस्याओं व मांगों को नजरअंदाज करते हुए प्रशासन द्वारा अंतिम सेमेस्टर ऑनलाइन मोड में शुरू कर दिया गया है जिसका छात्रों ने विरोध किया है। 30 मार्च से ही छात्रों ने ऑनलाइन क्लास का बहिष्कार शुरू कर दिया है। हिंदी पत्रकारिता के 67 में से 55 छात्र ऑनलाइन क्लास का बहिष्कार कर रहे हैं, वही समस्त रेडियो एवं टीवी पत्रकारिता विभाग के छात्र ऑनलाइन क्लास का बहिष्कार कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा छात्रों की मांगो पर कोई सुनवाई न होने पर कल 5 अप्रैल से छात्र धरने पर बैठ गए हैं।
ऑफलाइन क्लास की मांग क्यों कर रहे हैं छात्र
हिंदी पत्रकारिता के सौरव बताते हैं- "ऑनलाइन क्लास में सिर्फ वन-वे कम्युनिकेशन होता है। हम पूरी क्लास के दौरान सिर्फ लेक्चर सुनते रहते हैं अपने सवालों को पूछकर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान नहीं कर पाते हैं। बहुत से छात्रों के पास अपना लैपटॉप नहीं है तो वहीं बहुत से छात्र नेटवर्क की समस्या से पीड़ित हैं इन समस्याओं के चलते वे छात्र कभी भी पूरी क्लास नहीं ले पाते हैं। यहां तक कि प्रयोगात्मक क्लास भी ऑनलाइन मोड में चल रही है जिसमें हम कुछ भी नहीं सीख पा रहे हैं। आज तक हम छात्रों को कैमरे का अभ्यास, वीडियो एडिटिंग का अभ्यास, लेआउट डिजाइनिंग का अभ्यास नहीं कराया गया है और यह ऑनलाइन मोड में संभव भी नहीं है।"
हिंदी पत्रकारिता के राजूू बताते है "विभाग में 10 छात्रों के पास लैपटॉप नहीं है जिसके चलते वे वीडियो एडिटिंग, ले-आउट डिजाइनिंग, टाइपिंग नहीं सीख पाये।" आगे राजू कहते हैं- "कर्ज़ लेकर संस्थान की फ़ीस जुटाई और अब तक कुछ भी सीखने को नहीं मिला, प्रशासन हमारी समस्याओं को लेकर संवेदनहीन बना हुआ है, यह शर्मनाक है।"
पत्रकारिता का सर्वोच्च संस्थान अपने प्रशिक्षु छात्रों की कार्य-कुशलता व गुणवत्ता को लेकर इतना लापरवाह कैसे हो सकता है?
कैंपस में सुविधा एक भी नहीं फीस वसूली कर रहे पूरी
हिंदी पत्रकारिता के छात्र राजू बताते हैं कि उन्होंने पहले सेमेस्टर में कैंपस की किसी भी संपत्ति-परिसंपत्ति का इस्तेमाल नहीं किया। न क्लास हुई न वे कैंपस गए और न ही कैंपस की किसी भी सुविधा का उन्होंने इस्तेमाल किया लेकिन उनसे पहले सेमेस्टर की पूरी फीस वसूली गई यह पूरी तरह से अनुचित है। ऑफलाइन क्लास की मांग के साथ ही छात्रों की मांग है कि उनसे फर्स्ट सेमेस्टर में वसूली गई फीस का 50% भाग सेकंड सेमेस्टर में समायोजित किया जाए। आंदोलनरत छात्र बताते हैं- प्रशासन द्वारा पहले कैंपस खोलने का वायदा कर दिया गया था उसके बाद हम अपने घरों से दिल्ली आ गए। और अब हम भटक रहे हैं। हमें महँगा कमरा लेना पड़ रहा है, प्रशासन द्वारा हमें हॉस्टल नही दिया जा रहा, छात्राओं को सर्वाधिक परेशानी हो रही है।