छत्तीसगढ़ में कलेक्ट्रेट पहुंची छात्राओं के साथ जिला शिक्षा अधिकारी ने की अभद्रता, इंटर के 160 बच्चों पर नहीं एक भी शिक्षक
Chhttisgarh Govt School : सरकारी स्कूलों को एक के बाद अलग अलग कारण बताकर बंद किये जाने की खबरें अक्सर अखबार की सुर्खियां बनी रहती हैं। पिछले दिनों ही जनज्वार पर छत्तीसगढ़ को लेकर एक खबर प्रकाशित की थी कि राज्य के 4077 सरकारी स्कूलों पर भाजपनीत विष्णु देव साव सरकार ताला जड़ने जा रही है। जिन बहानों से सरकारी स्कूल बंद किये जा रहे हैं, उनके बारे में जानकर चौंक जायेंगे।
इसी बीच छत्तीसगढ़ के राजनादगांव जनपद के डोंगरगढ़ विकासखंड के आलीवरा सरकारी स्कूल की एक खबर आयी है कि यहां इंटर की कक्षायें लेने के लिए एक भी शिक्षक मौजूद नहीं है। जानकारी के मुताबिक 11-12वीं में कुल 160 बच्चे हैं जो शिक्षकविहीन हैं। किसी भी विषय का शिक्षक स्कूल में मौजूद नहीं है। जब अपनी इस फरियाद को लेकर 12वीं की कुछ छात्रायें कलेक्ट्रेट आफिस पहुंची तो कलेक्टर ने उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी के पास भेज दिया।
स्कूल के लिए शिक्षकों की मांग लेकर जब छात्रायें जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंची तो उनके साथ दुर्व्यवहार किये जाने की खबर सामने आयी। छात्रायें कलेक्टर आफिस से रोते रोते बाहर निकलीं। बाहर निकलने के बाद मीडिया को दिये बयान में छात्रायें कहती नजर आ रही हैं कि जिला शिक्षा अधिकारी ने उनके साथ बदतमीजी-अभद्रता की और उन्हें वहां से भगा दिया। उनसे उल्टे सीधे सवाल किये गये कि वह किसके कहने पर यहां ज्ञापन देने पहुंची हैं।
राजनांदगांव डोंगरगढ़ विकासखंड के आलीवारा आलीवारा के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 12वीं में पढ़ने वाली छात्रा अपना दर्द बताते हुए मीडिया के सामने रो पड़ती है। जानकारी के मुताबिक आलीवारा के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली आरती साहू 12वीं में विज्ञान वर्ग की छात्रा है। शिक्षकविहीन स्कूल में उनके लिए कोर्स मुश्किल होते जा रहा है,160 बच्चों में एक भी टीचर नहीं है। स्कूल में शिक्षक की मांग के लिए छात्र कलेक्टर आफिस पहुंची थीं। उन्हें शिक्षक का आश्वासन देते हुए कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी के पास भेजा, जहां उन्हें शर्मसार किया गया।आरोप है कि शिक्षा आधिकारी ने छात्रों के साथ बदतमीजी कर उन्हें बाहर भगा दिया। मीडिया से बात करते हुए आरती साहू नाम की छात्रा रोने लगी और बताया कि दो साल से उनके स्कूल में 11वीं और 12वीं में एक भी शिक्षक नहीं है, इसलिए वह अपनी फरियाद लेकर पहुंची थी, उन्हें अंदाजा नहीं था कि उन्हें इस दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ेगा।
इस घटना के बाद शिक्षक नियुक्त न किये जाने पर छात्रों और उनके परिजनों की तरफ से प्रदर्शन की चेतावनी दी गयी है। परिजनों ने अल्टीमेटम दिया है कि शिक्षा विभाग 3 दिन के अंदर शिक्षक स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजे नहीं तो छात्र धरना-प्रदर्शन को बाध्य होंगे।