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शिक्षा

Patliputra University Admission Crisis : VC के एक फरमान से सैकड़ों छात्रों का भविष्य संकट में, आखिर उन्हें कहां मिलेगा BSc में दाखिला

Janjwar Desk
30 Sep 2021 10:04 AM GMT
Patliputra University Admission Crisis  : VC के एक फरमान से सैकड़ों छात्रों का भविष्य संकट में, आखिर उन्हें कहां मिलेगा BSc में दाखिला
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विश्वविद्यालय द्वारा कॉलेजों को आदेश दिया गया है कि ऐसे सभी छात्र जिनके इंटरमीडिएट में 45 फीसदी से कम अंक है, उन्हें 12वीं में लिए गए विषयों के साथ ही स्नातक में दाखिला दिया जाए...

अदिति चौधरी की ​रिपोर्ट

Patliputra University Admission Crisis, बिहार पटना स्थित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक फरमान ने कुछ विद्यार्थीयों के भविष्य पर गहरा संकट ला दिया है। विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त कॉलेजों को आदेश दिया गया है कि सत्र 2021-24 में नामांकन के लिए ऐसे सभी छात्र जिनका इंटरमीडिएट में 45 फिसदी से कम अंक है, उन्हें 12वीं में लिए गए विषयों के साथ ही स्नातक में दाखिला दिया जाए। पटना के पाटलिपुत्र विश्विद्यालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार 45 % से कम अंक प्राप्त छात्रों को स्नातक में संकाय बदलने की अनुमति नहीं होगी। मतलब, अगर किसी छात्र ने विज्ञान संकाय से 12वीं पढ़ा हो और अब वो कला या वाणिज्य लेकर स्नातक करना चाहता है तो विश्वविद्यालय छात्र को इसकी अनुमति नहीं देता, और कला या वाणिज्य संकाय से +2 उत्तीर्ण छात्र भी 45 फिसदी से कम अंक होने पर संकाय नहीं बदल सकता।

स्नातक में नामांकन के लिए छात्रों को संकाय बदलने के लिए 12वीं में 45 फिसदी अंक होना अनिवार्य है। सबसे परेशान करने वाली बात ये है कि यह विश्वविद्यालय द्वारा यह आदेश एडमिशन प्रकिया पूरा होने के बाद 10 सितंबर को जारी किया गया है। आदेश जारी होने के बाद कॉलेज द्वारा छात्रों का दाखिला रद्द किया जा रहा है। अब छात्रों के लिए मुश्किल ये है कि सितंबर महीनें में जब लगभग सभी कॉलेज में एडमिशन की प्रकिया बंद है जाती है, तो दूसरे कॉलेज में नामांकन कैसे करवाएं।

ये पूरा मामला तब सामने आया जब पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी, पटना से मान्यता प्राप्त ज्योति कुंवर कॉलेज में एडमिशन ले चुके छात्र नीरज कुमार को बताया गया कि उनका एडमिशन कैंसिल किया जा रहा है क्योंकि 12वीं में उन्हें 45 फिसदी से कम अंक है और वे संकाय भी बदलना चाहते हैं। नीरज कुमार का कहना है कि उन्होंने विज्ञान लेकर 12वीं की पढ़ाई की थी। पर अब स्नातक में वे कला संकाय लेकर पढ़ना चाहते हैं, क्योंकि साइंस में उनकी रूचि नहीं है, पर कला संकाय में एडमिशन कन्फर्म हो जाने के बाद कॉलेज ने यह कहकर एडमिशन कैंसिल कर दिया कि कम अंक होने के कारण वे सांइस के अलावा किसी दूसरे संकाय में नहीं पढ़ सकते। अब ऐसे में परेशानी ये है कि ज्योति कुंवर कॉलेज में साइंस की पढ़ाई भी नहीं होती, तो उनका दाखिला रद्द कर दिया गया। छात्रों का आरोप है कि एडमिशन के नाम पर उन्होंने कॉलेज में 3500 रुपये भी जमा करा चुके हैं।

वहीं, विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त कॉलेज परेशान है कि यह आदेश बच्चों द्वारा रजिस्ट्रेशन और एडमिशन फीस जमा करने के बाद आया। अब वह छात्रों का एडमिशन नहीं ले नहीं पा रहें। इस मामले पर जब जनज्वार ने फतेहपुर के ज्योति कुंवर कॉलेज के प्रबंधक डॉ राजेश से बात की तो उन्होंने बताया कि एडमिशन की पूरी प्रकिया विश्वविद्यालय द्वारा ही आयोजित की जाती है। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के ऑफिशियल साइट के माध्यम से छात्रों के आवेदन लिए जाते हैं और फिर विश्वविद्यालय ही 12वीं में प्राप्त अंको के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार करने के बाद कॉलेज अलॉट करता है।




कॉलेज प्रबंधक ने कहना है कि विश्वविद्यालय द्वारा दिए सभी आदेशों का पालन करना हमारा काम है। जो छात्र जारी नोटिस के मानकों पर फिट नहीं हो रहे, कॉलेज उनका एडमिश कैंसिल कर रहा है। प्रबंधक ने बताया कि इस कॉलेज में केवल कला और वाणिज्य की पढ़ाई होती है, ऐसे में उन छात्रों का एडमिशन निरस्त किया जा रहा है जो साइंस बैकग्राउंड से हैं, क्योंकि हमारे यहां साइंस की पढ़ाई नहीं होती। रही बात रजिस्ट्रेशन और एडमिशन के फीस की, तो छात्रों को कहा गया है कि वे इस संदर्भ में एक एप्लिकेशन जमा करें, जिसके बाद उन्हें पैसे वापस कर दिए जाएंगे।

इस पूरे मामले पर एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, पटना के अर्थशास्त्र विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विद्यार्थी विकास का मानना है कि विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह का आदेश जारी करना कहीं न कहीं पॉलिसी फेलियर है। केन्द्र सरकार द्वारा लागू नई शिक्षा नीति में मल्टी डिसिप्लिनरी एप्रोच अपनाया गया है। पर पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय द्वारा जारी इस आदेश के तहत जिस तरह से बच्चों के अपने इच्छानुसार विषय लेने के बीच में रूकावट पैदा की गई है, इससे बिहार के शिक्षा प्रणाली में अव्यवस्था फैलेगी। बिहार में पहले से ही उच्च शिक्षा हासिल करने वालों का सकल नामांकन अनुपात(GER) 13 % के करीब है, जो राष्ट्रीय औसत के आधे से भी कम है।

डॉ विद्यार्थी विकास के अनुसार विश्वविद्यालय द्वारा जारी इस तरह के आदेश से प्रबंधन और छात्र के बीच टकराव पैदा होगा। छात्रों का एडमिशन होने के बाद कैंसिल कर देने से कई बच्चों में भविष्य को लेकर चिंता घर कर सकती है और वे अवसाद में भी जा सकते हैं। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल फागु चौहान को हस्तक्षेप करना चाहिए और विश्वविद्यालय के विरूद्ध उचित कार्रवाई करनी चाहिए और शिक्षा विभाग द्वारा जिन बच्चों का नामांकन रद्द कर दिया गया है, उन्हें अपने इच्छानुसार संकाय चुनकर नामांकन सुनिश्चित कराई जानी चाहिए।

सिर्फ फतेहपुर स्थित ज्योति कुंवर कॉलेज में ऐसे 15-20 छात्र हैं जिनका एडमिशन कन्फंर्म होने के बाद कैंसिल किया जा रहा है। पटना स्थित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त ऐसे कई कॉलेज है, जिनमें यही समस्या है। एडमिशन कन्फर्म होने के बाद जहां छात्रो को सुकून मिल जाता है, वहीं इस फरमान से बिहार के इन छात्रों का भविष्य संकट में पड़ गया है। छात्रो के अनुसार इंटरमीडिएट में कम अंक आने के वजह से ही वे संकाय बदलना चाहते हैं, पर विश्वविद्यालय ऐसे नहीं करने दे रहा। सितंबर के बाद राज्य के अधिकतर विश्वविद्यालयों में एक और जहां एडमिशन प्रकिया बंद कर दी जाती है ऐसे में इन छात्रों को स्नातक में दाखिला लेने के लिए अगले साल का इंतजार करना पड़ सकता है।

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