Recruitment Scam : भर्ती में घोटालों को लेकर अब RSS का छात्र संगठन भी सड़क पर, प्रयागराज में उच्च शिक्षा आयोग के सामने दे रहे धरना
(प्रयागराज में उत्तर प्रदेश सेवा आयोग के सामने प्रदर्शन करते एबीवीपी के छात्र)
Recruitment Scam। यूपी के योगीराज में प्राथमिक शिक्षक से लेकर असिस्टेंट प्रोफेसर तक की भर्ती में भ्रष्टाचार (Corruption) को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अब हाल यह है कि आरएसएस (RSS) का छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) भी भर्ती में गोलमाल को लेकर सड़क पर है। यूपी के प्रयागराज में उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग (Uttar Pradesh Higher Education Service Commission) के कार्यालय के सामने पिछले चार दिनों से संगठन के कार्यकर्ता धरना दे रहे हैं। आंदोलन के क्रम में आयोग के चेयरमैन व सचिव की प्रतिकात्मक शव यात्रा निकालने का 2 नवंबर को संगठन ने एलान किया था। जिसे प्रशासन ने सख्ती से विफल कर दिया। लेकिन संगठन के कार्यकर्ता अभी भी कार्यालय के गेट पर डटे हुए हैं।
खास बात यह है कि अब तक सरकार पर विपक्षी दल (Opposition Parties) व उनके संगठन विभिन्न भर्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे हैं। जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) व उनका सरकारी तंत्र झुठलाते रहा है। जबकि पिछले साढ़े चार वर्षों में अधिकांश परीक्षाओं के पेपर लीक होने की कहानी सामने आती रही है। जिसको लेकर हुई गिरफ्तारी ने खुद ही पोल खोल दी। जिसमें यह बात सामने आई की पेपर लीक करने से लेकर सवाल साल्व करने के लिए लाखों रूपये में ठेके लिए जाते रहे हैं। इसमें प्राथमिक शिक्षक भर्ती से लेकर टीईटी समेत लेखपाल भर्ती व अन्य परीक्षाएं शामिल है।
उच्च शिक्षा आयोग के चेयरमैन व सचिव पर कार्रवाई की मांग
आरएसएस के अंगीभूत संगठनों की संख्या सैकड़ों में है जिसमें से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को लेकर उनका दावा है कि यह विश्व का सर्वाधिक बड़ा संगठन है। उत्तर प्रदेश में मौजूदा भाजपा सरकार में शिक्षा व रोजगार के सवाल को लेकर युवाओं में उत्पन्न आक्रोश का सामना विद्यार्थी परिषद को भी किसी न किसी रूप में करना पड़ रहा है। लेकिन कारण जो भी हो पर पहली बार अपने सरकार में विद्यार्थी परिषद को सड़क पर उतरना पड़ा है। अब यह लड़ाई उच्च शिक्षा आयोग के द्वारा आयोजित किए जा रहे असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती को लेकर शुरू हुई है। यह परीक्षा 30 अक्टूबर से शुरू हुई है, जो 13 व 28 नवंबर को भी होगी।
संगठन का आरोप है कि पहले दिन 30 अक्टूबर की परीक्षा का प्रवेश पत्र एक दिन पूर्व दोपहर बाद से डाउनलोड होना शुरू। जिसके चलते विभिन्न कारणों से तकरीबन पांच हजार से अधिक अभ्यर्थियों का प्रवेश पत्र डाउनलोड तक नहीं हो सका। लिहाजा ये परीक्षा से वंचित रह गए। संगठन का दावा है कि दूसरी पाली की परीक्षा में प्रयागराज स्थित केपी उच्च संस्थान झलवा में पेपर लीक हुआ। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि दो दर्जन से अधिक अभ्यार्थियों को पेपर दोपहर बाद निर्धारित समय से तकरीबन आधे घंटे विलंब से मिला।
आवेदन की विज्ञप्ति में नहीं था माइनस मार्किंंग का उल्लेख
आवेदकों के मुताबिक असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में माइनस मार्किग का उल्लेख नहीं था। जबकि परीक्षा के समय माइनस मर्किंग की बात सामने आई। आमतौर किसी भी आवेदन का शुल्क पांच सौ रूपये सामान्य वर्ग का रहता है। लेकिन इस परीक्षा में शुल्क दो हजार रूपये था। इसके बाद साक्षात्कार में भाग लेनेवाले अभ्यर्थिंयों को अतिरिक्त आठ सौ रूपये देने होंगे। इसके अलावा यह निर्देशित किया गया है कि बिना कोरोना वैक्सिन लगवाये बिना परीक्षा में अभ्यर्थी को हिस्सा लेने नहीं दिया जाएगा।
परीक्षा से वंचित रहे गए अभ्यर्थियों के समर्थन में आंदोलन
उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग प्रयागराज के कार्यालय पर धरना दे रहे विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने चेरमैन व सचिव पर हठधर्मिता का आरोप लगाया है। संगठन के विभाग संयोजक शिवम तिवारी ने कहा कि पांच हजार से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा से वंचित रह गए। इसके लिए आयोग जिम्मेदार है। इस गलती के लिए आयोग के सचिव व चेयरमैन को माफी मांगनी चाहिए। साथ ही वंचित छात्रों की परीक्षा कराई जाए। परीक्षा के एक दिन पूर्व संगठन ने प्रवेश पत्र समय से जारी न होने के कारण परीक्षा स्थगित करने की मांग की थी।जिसे आयोग ने खारिज कर दिया था।
आंदोलन के चौथे दिन चेयरमैन व सचिव की प्रतिकात्मक शव यात्रा के एलान को लेकर सुबह से ही पुलिस प्रशासन की चैकसी बढ़ा दी गई थी। दोपहर साढे़ बारह बजे यात्रा निकालने के तय कार्यक्रम की शुरूआत होते ही पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए इसे रोक दिया। इस बीच कहा जा रहा है कि विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री के साथ कार्यकर्ताओं की बैठक में जल्द ही कोई सकारात्मक हल निकाल लेने की बात बनी है। जिसके बाद संगठन के कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्ण धरना जारी रखने का एलान किया है।
उल्लेखनीय हो की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर (Gorakhpur) में भी दो वर्ष पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में अनियमितता की बात सामने आई थी। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय (Deen Dayal Upadhyaya University) में इस भर्ती में चयन के लिए तय मानकों की अनदेखी करने के आरोप लगे थे। जिसको लेकर शिकायत राजभवन तक गई। लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी ठोग पहल नहीं दिखा। हालांकि अनियमितता के आरोप विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद के एक सदस्य तक ने उठाई थी।
इसके बाद भी जांच कर कार्रवाई करने के बजाए लिपापोती ही चलती रही। हालांकि इसमें एक मामला हाईकोर्ट में अभी विचाराधीन है। इस बीच उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग पर जब उंगली उठी है और आरोप लगाने वाले भी सरकार के छात्रसंगठन के पदाधिकारी हैं,तो देखना है कि सरकार व आयोग क्या कदम उठाता है।खास बात है कि इससे संबंधित अभी अलग अलग विषयों की परीक्षा अभी आगामी 13 व 18 नवंबर को भी होनी है।