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शिक्षा

चुनावी साल की मजबूरी में यूपी सरकार ने माना इलेक्शन के दौरान हुई 2128 कर्मचारियों की कोरोना से मौत, अबतक का आंकड़ा था सिर्फ 3

Janjwar Desk
7 Sep 2021 9:09 AM GMT
चुनावी साल की मजबूरी में यूपी सरकार ने माना इलेक्शन के दौरान हुई 2128 कर्मचारियों की कोरोना से मौत, अबतक का आंकड़ा था सिर्फ 3
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पंचायत चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में 1621 शिक्षकों की मौत की बात शिक्षक संगठनों ने कही थी।जिनके परिजनों को मुआवजा देने की मांग की। इनके दावों को झूठलाते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद द्विवेदी मात्र 3 शिक्षकों के मौत की बात स्वीकार की थी.....

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार। कल तक जो योगी सरकार पंचायत चुनाव (UP Panchayat Election) में कोरोना से कर्मचारियों के मौत की बात स्वीकारने को तैयार नहीं थी। विधानसभा (Assembly Election) चुनाव करीब आते ही अचानक इसके सुर में बदलाव आ गया है। ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ते लोग व गंगा में तैरती लाशों के सच को जिस योगी व मोदी की सरकार झूठ लाती रही, अचानक ये बदलाव इनका कोई हृदय परिवर्तन नहीं है।

चुनावी विश्लेषक इसे वोटों की गणित के लिहाज देख रहे हैं। जिसके मुताबिक इनका मानना है कि चुनाव के वक्त सरकार शिक्षक व कर्मचारियों की नाराजगी झेलना नहीं चाहती है। इसका नतीजा है कि कल तक मात्र तीन मौत का आंकड़ा बता रही सरकार के अभिलेखों में 2 हजार 128 तक मौत की संख्या पहुंच गई है। अब मृतकों के परिवारों को अहेतुक सहायता के रूप में तीस लाख रूपये देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

पंचायती राज विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग को मृत कार्मिकों के परिजनों को आर्थिक सहायता की नई सूची उपलब्ध कराई है। इसमें पूर्व में भेजी गई तीन सूची में शामिल कार्मिकों के साथ 46 अन्य के नाम शामिल करते हुए चुनाव ड्यूटी के दौरान कुल 2,128 कार्मिकों के मृत्यु की बात कही गई है।

जिलाधिकारियों ने ये 46 नाम पिछली सूची जारी होने के बाद भेजी थी। इस तरह 2,128 में 2,097 कार्मिकों की कोविड से मृत्यु हुई है। अन्य 31 कार्मिकों की अन्य कारणों से (नॉन कोविड से) मौत बताई जा रही है। इसमें इनके परिजनों को आर्थिक सहायता दिए जाने की संस्तुति शासन से की गई है।

सरकार ने माना मुख्यमंत्री के जिले में 71 मौतें

शासन द्वारा जारी सूची के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर में सर्वाधिक 71 शिक्षक व कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो गई। ये सभी मौतें पंचायत चुनाव प्रक्रिया के दौरान हुई।ये कर्म चारी चुनाव को लेकर आयोजित प्रशिक्षण से लेकर मतगणना के दौरान तक संक्रमित हुए थे।

इसके अलावा बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद द्विवेदी के गृह जिले सिद्वार्थनगर में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के दौरान 25 कर्मचारियों के मौत की अब पुष्टि करते हुए परिजनों को आरटीजीएस के माध्यम से तीस-तीस लाख रूपये देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके अलावा लखनउ में यह संख्या 34 व देवरिया में 50 है। इसी तरह अन्य जिलों में भी औसतन मृत कर्मियों की संख्या तीन दर्जन से अधिक है।

चुनाव डयूटी के परिभाषा में किया गया बदलाव

नए नियम के मुताबिक चुनाव ड्यूटी की परिभाषा में प्रशिक्षण, निर्वाचन व मतगणना की तिथि से 30 दिन के अंदर कोविड-19 से मृत कार्मिक को अनुग्रह धनराशि के लिए पात्र करार दिया गया है। इसको लेकर कर्मचारियों के आश्रितों को आर्थिक सहायता के लिए 633.75 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। कोविड से मृतक कार्मिकों के परिजनों को 30-30 लाख रुपये व चुनाव के दौरान असायमयिक मृत्यु पर 15-15 लाख रुपये दिए जाने की व्यवस्था है।

शासन राज्य निर्वाचन आयोग को पूर्व में 606 करोड़ रुपये उपलब्ध करा चुका है। अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने बाकी पीड़ित परिजनों को आर्थिक सहायता के लिए 27.75 करोड़ रुपये और उपलब्ध करा दिए हैं। उन्होंने सूची के अनुसार पात्र कार्मिकों के परिजनों को अनुग्रह धनराशि भुगतान कराने की कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा है।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने मात्र 3 शिक्षकों के मौत की पुष्टि की थी

पंचायत चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में 1621 शिक्षकों की मौत की बात शिक्षक संगठनों ने कही थी। जिनके परिजनों को मुआवजा देने की मांग की। इनके दावों को झूठलाते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद द्विवेदी मात्र 3 शिक्षकों के मौत की बात स्वीकार की थी। पंचायत चुनाव के प्रशिक्षण से लेकर मतदान व मतगणना तक की ड्यूटी में शिक्षकों के मौत को शिक्षक संगठन महामारी का शिकार होना बताया था। बेसिक शिक्षा मंत्री गृह जनपद सिद्धार्थनगर में 18 शिक्षकों के मौत जिले के विभागीय अधिकारियों को शिक्षक संगठनों ने दी थी।

देवरिया जनपद के लार ब्लॉक अंतर्गत राउतपार अमेठीया के प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक आफाक अहमद को वर्ष 2019 में उनके बेहतर शिक्षण कार्य के लिए सरकार ने राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया था। कोरोना से उनकी मौत हो गई। लार रोपन छपरा प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक संतोष गुप्ता की 16 अप्रैल को कोरोना से मृत्यु हो गई।

प्राथमिक विद्यालय मठ लार के अध्यापक प्रदीप कुमार प्रजापति 13 अप्रैल को मतदान कार्य को लेकर प्रशिक्षण में हिस्सा लिए। 2 दिन बाद बुखार की शिकायत आई तो गोरखपुर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया।

गौरी बाजार जोगिया निवासी प्रदीप कुमार जूनियर हाई स्कूल गोपालपुर में शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। 17 अप्रैल को उनका निधन हो गया। घरवालों के मुताबिक मतदान ड्यूटी को लेकर प्रशिक्षण में हिस्सा लेने के बाद से ही वे बीमार थे। बुखार व खासी के अलावा सांस लेने में दिक्कत थी।

जूनियर हाईस्कूल सूर्यपुर मैं तैनात बनिययनी निवासी अध्यापक अवधेश प्रताप नारायण सिंह की भी कोरोना से मौत हो गई। उच्च प्राथमिक विद्यालय अकटहीया गौरी बाजार के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजेश कुमार सरोज मतदान कराने के बाद से बीमार चल रहे थे, जिनका बाद में निधन हो गया। परिजनों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के बाद इलाज के दौरान इनका निधन हुआ।

भटनी के मंजूर आलम सहायक अध्यापक की कोरोना से मौत हो गई। उत्तर प्रदेश जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष अखिलेश कुमार मिश्र और महामंत्री नंदलाल ने शासन को भेजे पत्र में 28 शिक्षकों के कोरोना संक्रमित होने से मौत होने का दावा किया था।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री और प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्र ,उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के सुशील पांडेय का कहना है कि शिक्षक व कर्मचारियों के लगातार संघर्ष के बदौलत ही सरकार को झुकना पड़ा है। पीड़ित परिवार के प्रति हमारी संवेदना हमेशा रहेगी।

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