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पर्यावरण

क्या राउंड द क्लॉक रिन्यूबल एनर्जी से होगा भारत के ऊर्जा संकट का स्थायी समाधान?

Janjwar Desk
21 March 2024 5:05 PM GMT
क्या राउंड द क्लॉक रिन्यूबल एनर्जी से होगा भारत के ऊर्जा संकट का स्थायी समाधान?
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निशान्त की टिप्पणी

विकसित दुनिया भले ही भारत पर जलवायु कार्यवाही को और प्रभावी बनाने की जुगत लगता रहे, लेकिन भारत सरकार की जलवायु परिवर्तन को लेकर संवेदनशीलता किसी से छिपी नहीं है. आज भारत जलवायु कार्यवाही के मामले में शीर्ष वैश्विक नेतृत्व भी बनके उभर रहा है. ऐसे में सरकार के रिन्यूबल एनर्जी को तरजीह देने के फैसले हैरान नहीं करते.

दुनिया चलाने के लिए ऊर्जा सबको चाहिए, लेकिन जलवायु परिवर्तन की नज़र से देखें तो ऊर्जा का स्त्रोत समस्या का कारण बन जाता है. कोयला बिजली प्रदूषणकारी है, लेकिन तमाम व्यावहारिक और तार्किक कारणों से भारत जैसे ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनने की ओर अग्रसर देश के लिए ज़रूरी है. मगर इसके साथ ही, हमारे देश का नेतृत्व इस बात को भी समझता है कि बेहतर जलवायु के लिए रिन्यूबल एनर्जी बेहतर विकल्प है.

लेकिन आलोचक कहते हैं कि रिन्यूबल के साथ अपनी अलग समस्याएँ हैं, जैसे सोलर एनर्जी का रात में बेकार होना, विंड का हवा न चलने पर बेकार होना, और इन सबका एनर्जी स्टोरेज के बेहतर विकल्पों की कमी के चलते बेकार होना. मगर इसका काट है राउंड द क्लॉक रिन्यूबल एनर्जी (RE RTC).

क्या है RE RTC?

सरल शब्दों में ये रिन्यूबल स्त्रोतों से बिजली आपूर्ति का एक तरीका जिसमें सौर, पवन या हाइड्रो पावर प्लांट्स को पंप्ड स्टोरेज प्लांट्स जैसे एनेर्जी स्टोरेज सिस्टम्स से जोड़ कर बनाया जाता है.

पंप्ड स्टोरेज प्लांट्स (पीएसपी) दो जलाशयों की मदद से एनेर्जी स्टोरेज समाधान के रूप में काम करता है. इसमें एक जलाशय अधिक ऊंचाई पर होता है और दूसरा कम ऊंचाई पर. पीएसपी में आने वाली रिन्यूबल एनेर्जी इन दो जलाशयों के बीच पानी ले जाकर ऊर्जा का भंडारण और उत्पादन करती हैं.

किफ़ायती है RE RTC

ग्रीन एनर्जी क्रांति की तरफ एक बड़ा कदम उठाते हुए, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है. ये रिपोर्ट बताती है कि पारंपरिक थर्मल पावर से RE RTC सप्लाई ज़्यादा किफायती है. ये ज़मीनी आंकड़ों और गहन विश्लेषण पर आधारित है. ये रिपोर्ट भारत की बढ़ती बिजली की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किफायती विकल्प के तौर पर रिन्यूबल एनेर्जी को अपनाने का मज़बूत समर्थन करती है.

RE RTC का मतलब है कि रिन्यूबल एनेर्जी के अलग-अलग स्रोतों और एनेर्जी स्टोरेज सिस्टेम्स को मिलाकर, बिजली वितरण कंपनियों (DISCOM) को निर्बाध बिजली पहुंचाना. इससे न सिर्फ विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होती है, बल्कि रिन्यूबल एनेर्जी क्षमता को बढ़ाने और रिन्यूबल एनेर्जी खरीद दायित्व (RPO) को पूरा करने में भी मदद मिलती है.

विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी कुछ खास दिशानिर्देश

विद्युत मंत्रालय ने इस संदर्भ में हाल ही में कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं. ये दिशानिर्देश टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रणाली के ज़रिए रिन्यूबल एनेर्जी को भरोसेमंद और नियंत्रणीय बनाने में मदद करते हैं. इन दिशानिर्देशों का लक्ष्य है रिन्यूबल एनेर्जी क्षमता को बढ़ाना, खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और किफायती बिजली कीमतों के लिए प्रतिस्पर्धी माहौल बनाना.

सस्ती होगी RE RTC

भारत के ऊर्जा क्षेत्र में रिन्यूबल एनर्जी की क्षमता को दर्शाती है RTC टेंडरों की सफलता. भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) के RTC-1 और RTC-2 टेंडरों ने रिन्यूबल एनेर्जी उत्पादन में बड़ी क्षमता वृद्धि की नींव रखी है. इस प्रतिस्पर्धी बोली प्रणाली के शानदार नतीजे सामने आए हैं. RTC-1 के लिए टैरिफ 2.9 रुपये/kWh और RTC-2 के लिए 3.01 रुपये/kWh रहा है. इससे रिन्यूबल एनेर्जी थर्मल पावर के मुकाबले ज़्यादा किफायती हो गई है.

RTC-1 और RTC-2 में मुख्य अंतर टैरिफ संरचना और आपूर्ति के तरीके का है. RTC-1 सालाना बढ़ोतरी के साथ लचीली टैरिफ की बात करता है, जबकि RTC-2 आंशिक रूप से फिक्स और आंशिक रूप से परिवर्तनशील टैरिफ की व्यवस्था देता है. साथ ही, RTC-2 में बिजली की कमी पर ज़्यादा सख्त पेनल्टी लगाई जाती है, जिससे विश्वसनीय बिजली आपूर्ति को बढ़ावा मिलता है.

सिर्फ सस्ती नहीं, बेहतर भी है

RE RTC के फायदे सिर्फ लागत कम करने तक सीमित नहीं हैं. रिन्यूबल एनेर्जी उत्पादन में आने वाले अनियमितता की समस्या को कम करके, RTC आपूर्ति ग्रिड की स्थिरता बढ़ाती है और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता घटाती है. इससे न सिर्फ ग्रीनहाउस गैस एमिशन कम होता है, बल्कि ज़्यादा मांग वाले समय में भी ग्रिड को सहारा मिलता है, जिससे ग्रिड की विश्वसनीयता और मज़बूती बनी रहती है.

साथ ही RE RTC कोयला और गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों का एक स्थायी विकल्प भी पेश करता है. ये भारत के महत्वाकांक्षी रिन्यूबल एनेर्जी लक्ष्यों और 2070 तक नेट ज़ीरो एमिशन के लक्ष्य को हासिल करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है. लेकिन, RE RTC को व्यापक रूप से अपनाने के लिए डेवलपर्स, नीति निर्माताओं और नियामकों को मिलकर काम करना होगा. साथ ही, RE RTC के फायदों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की भी ज़रूरत है.

इस रिपोर्ट के निष्कर्ष पर टिप्पणी करते हुए, मर्कडोस एनर्जी मार्केट्स इंडिया के एमडी, भूषण रस्तोगी कहते हैं, “यह रिपोर्ट केवल टेक्नोलोजी या एकोनोमी के बारे में नहीं है। यह देश के उज्जवल भविष्य के लिए सामूहिक दृष्टिकोण के बारे में है। आरई-आरटीसी भारत की ऊर्जा कहानी को फिर से लिखने का मौका देता है। ऐसा मौका जिसमें ऊर्जा उपलब्धता से जुड़ी असुरक्षा को आत्मनिर्भरता और स्थिरता में बदला जा सकता है। इस इंडस्ट्री का एक हिस्सा होने के नाते, मैं बेहद आशावादी महसूस कर रहा हूँ और मेरे लिए यह एक न्यू इंडिया अनुभव वाला क्षण है।”

बात सही है। RE RTC पर CEA का ये अध्ययन भारत में एनेर्जी ट्रांज़िशन की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. ये अध्ययन मांग के पैटर्न और क्षेत्रीय प्रोफाइल के आधार पर सौर, पवन और भंडारण आवश्यकताओं को अनुकूलित करके, रिन्यूबल एनेर्जी को लागत प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने की नींव रखता है.

इसमें कोई दो राय नहीं कि RE RTC भविष्य के भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक गेम-चेंजर के रूप में उभर कर आया है. विश्वसनीय, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बिजली देने की क्षमता के साथ, RE RTC भारत के भविष्य को ऊर्जा देने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की कुंजी है.

(लेखक सोशियो-पॉलिटिकल एनालिस्ट, पत्रकार और साइंस कम्युनिकेटर के रूप में लगभग दो दशक से सक्रिय हैं.)

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