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पर्यावरण

माइनिंग माफिया के चंगुल में खनन विभाग, जमीन खोदी गरीबों की, तमिलनाडु और अरुणाचल प्रदेश से दिखाई पत्थरों की खरीद

Janjwar Desk
13 Sep 2021 7:56 AM GMT
माइनिंग माफिया के चंगुल में खनन विभाग, जमीन खोदी गरीबों की, तमिलनाडु और अरुणाचल प्रदेश से दिखाई पत्थरों की खरीद
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हरियाणा के अलग अलग जिलों में माइनिंग माफिया ने गरीबों, गांव की पंचायती जमीन के साथ साथ यमुना नदी में दिन रात अवैध खुदाई की। कच्चे माल को फर्जी बिलों पर दूर दराज के राज्यों से खरीदा हुआ दिखा दिया.....

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा (Haryana) के यमुनानगर (Yamunanagar) जिले के ताजेवाला में यूपी और हरियाणा सीमा पर स्थित यमुना नदी में माइनिंग माफिया (Mining Mafia) दिन रात खुदाई कर पत्थर और रेत चोरी करता रहा। पर्यावरणविद लगातार आवाज उठाते रहे। उन्हें धमकाया गया। जब यहां से इतना पत्थर चोरी हो गया कि अब आगे खुदाई नहीं हो सकती। तब खनन विभाग (Department Of Mines And Geology) ने यहां जांच के आदेश दिए।

पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था 'आकृति' के अध्यक्ष अनुज सैनी (Anuj Saini) ने बताया कि दो साल से हम लगातार आवाज उठाते रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं हुई। अनुज सैनी के अनुसार यहां से चोरी किए गए पत्थर को माफिया अंडमान निकोबार, तमिलनाडु व अरूणाचल जैसे दूर दराज के राज्यों से खरीदा हुआ दिखा देता था। जबकि हरियाणा से अंडमान व निकोबार द्वीप की दूर 4000 किलोमीटर है, तमिलनाडु से यमुनानगर 2500 किलोमीटर है। अरुणाचल प्रदेश से दरी 2700 किलोमीटर है। इसके बाद भी खनन विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने यह देखने की कोशिश ही नहीं की कि क्या इतनी दूरी से पत्थर और रेत लाकर हरियाणा में बजरी बनाना संभव है।

यह प्रथम दृष्टि से ही पता चल जाता है कि प्राकृतिक संपदा की लूट हो रही है, इसके बाद भी खनन विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिय। अब जब ज्यादा आवाज उठी तो प्रदेश के 63 स्टोन क्रशरों को जिम्मेदार बताते हुए नोटिस थमा दिया गया है। साफ है यहां भी माफिया को बचाने की पूरी कोशिश हो रही है।

यमुना जियो अभियान के सदस्य राणा किरणपाल ने बताया कि हमारी पंचायती जमीन, और यमुना को माफिया ने अर्थमूविंग मशीने लगा कर खोद डाला है।

मोटे रेत के लिए जमीन में 30 से लेकर 60 फीट तक खुदाई कर दी है। इससे नदी के किनारे और नदी को तो खतरा पैदा हो गया, इसके साथ ही पर्यावरण असंतुलन हो गया है। नदी के किनारे टूटने से जलीय जीव और नदी किनारे रहने वाले जीवों की प्रजातियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसे लेकर उन्होंने बार बार पर्यावरण विभाग, खनन विभाग और वन विभाग को लिखा। लेकिन आज तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।

नोटिस कार्यवाही नहीं बचाने की कोशिश है

अनुज सैनी ने बताया कि खनन विभाग जो नोटिस दे रहा है, यह कोई कार्यवाही नहीं है। इस आड़ में तो खनन माफिया को बचाने की कोशिश हो रही है। नोटिस देखकर थोड़ा बहुत जुर्माना वसूल लिया जाएगा। इसे रिकॉर्ड में दिखा दिया जाएगा कि विभाग ने कार्यवाही की है। इस तरह से विभाग के वह भ्रष्ट अधिकारी और खनन माफिया साफ बच जाएगा जो इस खेल में लगे हुए हैं। इतना ही नहीं अवैध तरीके से जो खनन किया गया, जुर्माने के साथ ही वह भी रिकार्ड में आ जाएगा। इस तरह से हर कोई साफ बच जाएगा। किरण पाल राणा ने बताय कि इस खेल में कुछ राजनेता व कुछ अधिकार शामिल है। सत्ता पक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के नेताओं की भी इसमें मिलीभगत है। खनन माफिया को इतना संरक्षण प्राप्त है। अनुज सैनी ने बताया कि यमुनानगर के सत्ताधारी दल के एक बड़े नेता का भाई अक्सर खनन माफिया की कोठी पर देखा जाता है।

लंबे समय से सक्रिय है माइनिंग माफिया

हरियाणा में माइनिंग माफिया आज से नहीं बल्कि लंबे समय से सक्रिय है। यमुनानगर में यमुना नदी, पंचायती जमीन के साथ साथ गरीबों और वंचितों की जमीन में जबरदस्ती खनन की जाती है। यमुना नदी के तट पर बसे खजूरी नागल के ग्रामीण विकास कुमार 32 और रणबीर सिंह 54 ने बताया कि यमुना नदी उनके खेतों से गुजर रही है। माइनिंग माफिया लगातार उनके खेतों में भी खनन कर रहा है। यदि वह विरोध करते हैं तो स्थानीय पुलिस उनकी सुनती नहीं बल्कि उन्हें ही धमकाया जाता कि सरकारी काम में बाधा डालने का मामला दर्ज करा दिया जाएगा। पुलिस ही नहीं माफिया के लोग भी अक्सर हथियारों के दम पर उन्हें डराते और धमकाते रहे हैं। इस वजह वह बेबस होकर अपने खेतों को माइनिंग माफिया के हाथों लूटता देखने के लिए मजबूर हो रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि माइनिंग माफिया को सत्ताधारी दल का पूरा समर्थन प्राप्त है। इसलिए उनकी सुनवाई नहीं होती।

अनुज सैनी ने बताया कि जब चोरी के अवैध खनन को कागजों में दूसरे राज्यों से खरीदा दिखाया गया तो क्या नहीं पहले ही दिन इस पर ध्यान दिया गया। यह गड़बड़ी एक दो जिले में नहीं बल्कि प्रदेश के कई जिलों में यहीं खेल खेला गया। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी क्यों इस ओर ध्यान नहीं दे रहे थे।

प्रदेश की सीमा हिमाचल, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड व यूपी से लगती है। हैरानी की बात है कि कच्चे माल परचेज आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, मेघालय, सिक्किम, आसाम, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, बिहार, जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, नागालैंड, पांडिचेरी, पश्चिमी बंगाल, मणिपुर, उड़ीसा आदि विभिन्न प्रदेशों से दिखाई गई है। हैरत की बात यह है कि पूरे प्रदेश में यह गोरखधंधा लंबे समय से चल रहा था। लेकिन अधिकारियों ने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की। जिससे लगता है कि कुछ अधिकारियों की भी इस धंधे में मिलीभगत रही है।

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