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पर्यावरण

स्टोन क्रेशरों पर सुप्रीम कोर्ट की करारी चोट, गंगा की गोद में बेलगाम खनन के खिलाफ संघर्षरत मातृसदन की ऐतिहासिक जीत

Janjwar Desk
25 Aug 2025 5:42 PM IST
स्टोन क्रेशरों पर सुप्रीम कोर्ट की करारी चोट, गंगा की गोद में बेलगाम खनन के खिलाफ संघर्षरत मातृसदन की ऐतिहासिक जीत
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हरिद्वार में गंगा में किये जा रहे खनन के खिलाफ मातृसदन पिछले लंबे समय से लड़ाई लड़ रहा है। मातृसदन ने चेतावनी दी थी कि जब तक गंगा में खनन कार्य बंद नहीं कराया जाएगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा...

Haridwar Matrisadan : 30 जुलाई 2025 को माननीय उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा हरिद्वार जनपद के 48 स्टोन क्रेशरों के संचालन पर रोक लगाने का ऐतिहासिक आदेश दिया गया था। इस आदेश के विरुद्ध 48 में से 33 स्टोन क्रेशर मालिकों ने अन्य कई क्रेशरों के साथ मिलकर माननीय उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की थी। इन स्टोन क्रेशर मालिकों ने देश के शीर्ष अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी के माध्यम से न्यायालय से राहत पाने की भरपूर कोशिश की।

उत्तराखण्ड सरकार का पक्ष देश के एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने रखा। कोर्ट में स्टोन क्रेशरों ने तरह-तरह की दलीलें देकर न्यायालय को प्रभावित करने का प्रयास किया, तो मातृसदन ने उन दलीलों का पुरज़ोर विरोध किया।

माननीय मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई जी तथा माननीय न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने सभी तथ्यों एवं तर्कों को सुनने के पश्चात् स्टोन क्रेशरों की याचिका को कोई महत्व न देते हुए, उनकी विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। मातृसदन द्वारा उठाए गए बिंदु ही न्यायोचित और जनहितकारी साबित हुए। मातृ सदन द्वारा दायर एक जनहित याचिका (संख्या 15/2022) में कहा गया था कि गंगा नदी के आसपास बड़ी संख्या में क्रशर प्लांट्स नियमों को दरकिनार कर धड़ल्ले से चल रहे हैं, जबकि इन पर कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है।

यह निर्णय न केवल मातृसदन की, बल्कि गंगा और पर्यावरण की रक्षा हेतु निरंतर तप, त्याग और संघर्ष कर रहे पूज्यपाद परमहंस संत, परम आदरणीय गुरुदेव स्वामी शिवानंद जी महाराज की एक ऐतिहासिक विजय है।

स्टोन क्रेशर माफ़िया और उनके संरक्षक वर्षों से न्यायालयों का दरवाज़ा खटखटाकर जनहित को कुचलने का प्रयास करते आए हैं, परन्तु हर बार मातृसदन विजयी हुआ है। यह ताज़ा निर्णय एक बार फिर सिद्ध करता है कि जब न्यायालय के समक्ष गंगा और उसकी अविरलता की बात आती है, तो सच्चाई की ही विजय होती है। मातृसदन का यह संघर्ष गंगा, पर्यावरण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए है – और आज का यह निर्णय सम्पूर्ण समाज के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।

गौरतलब है कि हरिद्वार में चंडीघाट पुल के नीचे गंगा में किये जा रहे खनन के खिलाफ मातृसदन पिछले लंबे समय से लड़ाई लड़ रहा है। मातृसदन ने चेतावनी दी थी कि जब तक गंगा में खनन कार्य बंद नहीं कराया जाएगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। मातृसदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद सरस्वती कहते हैं, गंगा की रक्षा के लिए आंदोलन किया जा रहा है, ताकि, गंगा की अविरलता और निर्मलता बनी रहे। बैरागी कैंप में गंगा के रिवर बेड में ड्रेजिंग के नाम पर उत्खनन कार्य किया जा रहा है, जो पूर्णत: अवैध है। बैरागी कैंप में कार्य को आधिकारिक रूप से रोका नहीं गया है, जबकि, उच्च न्यायालय की ओर से अपने 5 दिसंबर 2024 के आदेश में मेकेनिज्ड रिवर ड्रेजिंग गतिविधियों को पूरी तरह से रोक लगा दी थी।

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