मौसम के साथ बदल जाती है नैतिकता की परिभाषा, मनोवैज्ञानिक अध्ययन के बाद हुआ खुलासा
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महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
Our moral values are dependent on the seasons and weather pattern. हाल में ही प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार हमारी नैतिकता की परिभाषा हमेशा एक जैसी नहीं रहती, बल्कि यह मौसम के अनुसार बदलती है। बसंत और हेमंत ऋतुओं में नैतिकता अधिक रहती है, जबकि गर्मी और सर्दी में कुछ हद तक नैतिकता की परिभाषा बदलने लगती है। 10 वर्षों से भी अधिक चलने वाले इस दीर्घकालीन अध्ययन को यूनिवर्सिटी ऑफ़ ब्रिटिश कोलंबिया के मनोवैज्ञानिकों ने किया है और इसे प्रोसीडिंग्स ऑफ़ नेशनल अकैडमी ऑफ़ साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
हमारी नैतिकता एक सामाजिक धरोहर है और इसकी परिभाषा हमारा समाज ही तय करता है। समाज की नैतिकता का पालन करने वाले जब अधिक होते हैं तब समाज स्थिर रहता है और आगे बढ़ता है। हमारी नैतिकता, जब समाज की नैतिकता से अलग होती है, तब इसका असर पूरे समाज पर और राजनीतिक परिदृश्य पर पड़ता है। इस अध्ययन के लेखकों के अनुसार मौसम के अनुसार नैतिकता में परिवर्तन से चुनावों के परिणाम, न्यायालयों के फैसले और महामारी के समय इसकी रोकथाम में जनता की हिस्सेदारी में बदलाव हो सकता है।
इस अध्ययन को अमेरिका के 230000 चुनिन्दा प्रतिभागियों पर 10 वर्ष से भी अधिक समय तक किया गया। इसके अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी कुछ प्रतिभागियों पर इस अध्ययन को दो वर्षों के लिए किये गया। इसके मुख्य लेखक इयान होह्म के अनुसार वसंत और हेमानी ऋतुओं में अन्य मौसम की अपेक्षा सामाजिक जुड़ाव अधिक देखा गया, जिसका मुख्य कारण अधिकतर लोगों द्वारा सामाजिक नैतिकता का पालन करना है। हमारी नैतिकता ही हमें समाज से जोड़ती है और हमारे निर्णय लेने की क्षमता के मूल में है।
इन प्रतिभागियों के अतिरिक्त वर्ष 2009 से एक अलग वेबसाइट (YourMorals.org) स्थापित की गयी है, जिसमें कोई भी पंजीकरण के बाद नैतिकता के पांच पैमानों – निष्ठा, अधिकार, निर्मलता, दायित्व और निष्पक्षता – से सम्बंधित विचार रख सकता है। इस वेबसाइट से प्राप्त जानकारी का उपयोग भी अध्ययन में किया गया है। निष्ठा से सामाजिक समूह के बीच सम्बन्ध गहरे होते हैं, अधिकार के अंतर्गत समूह में सबके अधिकारों की इज्जत करते हैं, निर्मलता द्वारा सामाजिक तौर-तरीकों का पालन करते हैं, दायित्व दूसरों के प्रति दयालुता का आधार है और निष्पक्षता द्वारा हम सबके साथ एक जैसा व्यवहार करते हैं। निष्ठा, अधिकार और निर्मलता – समाज और कुछ हद तक राजनीतिक परिदृश्य का भी मूलभूत आधार है। अध्ययन के अनुसार वसंत और हेमंत में निष्ठा, अधिकार और निर्मलता के सन्दर्भ में नैतिकता बढ़ जाती है और पिछले 10 वर्षों से इस परिणाम में कोई बदलाव नहीं देखा गया है।
मौसम के अनुसार नैतिकता प्रभावित होने का संभावित कारण वैज्ञानिकों ने मौसम से प्रभावित होते मानसिक उद्वेग के स्तर को बताया है। दीर्घकालीन अध्ययनों के अनुसार मानसिक उद्वेग या व्यग्रता वसंत और हेमंत ऋतुओं में बढ़ जाती है, इस व्यग्रता के बीच दूसरी अन्य परेशानियों से बचने के लिए अधिकतर लोग समाज के परम्परागत नैतिक मूल्यों का ही पालन करते हैं। ऐसे समय राजनैतिक हिंसाएँ बढ़ जाती हैं, क्योंकि कट्टर पार्टीनिष्ठ कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ जाती है और उन्हें दूसरे राजनीतिक दलों के नेता और समर्थक अपने दुश्मन नजर आने लगते हैं।
पूरी दुनिया में तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के असर से मौसम में बदलाव देखा जा रहा है। सबसे अधिक असर वसंत और हेमंत ऋतु पर ही पड़ा है, इन दोनों मौसमों की अवधि और विशेषता पहले से बहुत कम रह गयी है। अब तो अत्यधिक सर्दी, भयानक गर्मी और बाढ़ वाली वर्षा ऋतु का समय आ गया है, ऐसे में जाहिर है समाज में नैतिकता की परिभाषा बदल जायेगी। नैतिकता के इस बदले स्वरूप का अनुभव हम सब कर रहे हैं।
सन्दर्भ:
1. Ian Hohm et al, Do moral values change with the seasons?, Proceedings of the National Academy of Sciences (2024). DOI: 10.1073/pnas.2313428121
2. YourMorals.org
3. https://ubctoday.ubc.ca/news/august-08-2024/peoples-moral-values-change-seasons