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पर्यावरण

बढ़ रही है जोशीमठ की समस्या, सरकार की कोशिश "ऑल इज वैल" दिखाने की, हैलंग बाईपास करेगा मुसीबतों में इजाफा

Janjwar Desk
30 Jan 2023 5:03 PM GMT
बढ़ रही है जोशीमठ की समस्या, सरकार की कोशिश ऑल इज वैल दिखाने की, हैलंग बाईपास करेगा मुसीबतों में इजाफा
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जोशीमठ भू धंसाव होने के बाद नगर पालिका क्षेत्र के निर्माणों के साथ जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव को इस बाईपास निर्माण की वजह मानने की आशंका के कारण इसके निर्माण कार्य पर 5 जनवरी से रोक तो लगी हुई है...

Joshimath news : जोशीमठ कस्बे में लगातार बढ़ता जा रहा भूधंसाव चिंता की वजह बन रहा है तो दूसरी ओर सरकार अभी भी वस्तुस्थिति को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। सरकार की सारी कोशिश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो चुके जोशीमठ की स्थिति को सामान्य बताते हुए निकट भविष्य में शुरू होने वाली चार धाम यात्रा शुरू करवाने की है।

सरकार की ओर से शीतकालीन खेलों का आयोजन कर वैश्विक स्तर पर भी सुरक्षित जोशीमठ का संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन ग्राउंड जीरो की स्थिति सरकार की इस कोशिश पर पानी फेर रही है। अब जबकि जोशीमठ को बचाए रखने के लिए सरकार के नीतिगत निर्णयों को ठीक 180 डिग्री पलटकर जोशीमठ में चल रही निर्माण परियोजनाओं को रद्द करने की चौतरफा मांग हो रही है, सरकार येन केन प्रकारेण इन निर्माण परियोजनाओं की सुरक्षा में जुटी है।

अतुल सती ने फिर दिखाया सरकार को आईना

ऐसे में एक बार फिर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अगुवा नेता अतुल सती ने जोशीमठ की धरातलीय सच्चाई सार्वजनिक कर सरकार को आईना दिखाने का प्रयास किया है। जोशीमठ कस्बे की कुछ तस्वीरें अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर डालते हुए अतुल ने लिखा है कि यही वह चालीस अथवा तीस प्रतिशत हिस्सा है जो सर्वाधिक खतरनाक बताया जा रहा है। इस हिस्से में ऊपर से नीचे तक क्रमवार समानांतर दरारें हैं। इसके ठीक नीचे जयप्रकाश कम्पनी की कॉलोनी है जहां से एनटीपीसी की सुरंग के पानी का रिसाव हुआ है। यह पानी का रिसाव अभी जारी है। यहां एक ही दिन में दो से ढाई फीट जमीन नीचे चली गयी है। ऊपर तक भी एक मीटर तक की गहरी दरारें आई हैं। जो निरन्तर बढ़ रही हैं। इसके बगल वाले हिस्सों में भी अर्थात जोशीमठ के शेष हिस्से में भी दरारें इतनी गम्भीर हैं।

हालांकि अभी उनमें यह ऊपर से नीचे तक का एक समान पैटर्न नहीं दिख रहा है। लेकिन भविष्य में भी वह पैटर्न नहीं बनेगा और इसलिए यह हिस्सा सुरक्षित है कहना बेवकूफी है। यदि भूमि एक बार नीचे से दरक ही गयी है तो सम्भव है कुछ जगहों पर गहरे में पत्थर चट्टानों के होने से यह पैटर्न देर में आ सकता है। इससे किसी हिस्से को इसी आधार पर सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। इस हिस्से में जो पहले वाले तीस या चालीस प्रतिशत वाले हिस्से से लगा हुआ क्षेत्र है। उसमें भी नीचे और सबसे ऊपर दरारें हैं। बीच के हिस्से में यहां भी दरारें कहीं कहीं हैं। कुछ घर दरारें आने से अभी बचे तो हैं जो अगल बगल हैं। लेकिन इससे जोशीमठ का बाकी हिस्सा सुरक्षित होने की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। इस मामले में बीते दिनों जोशीमठ पर अध्ययन किए जाने विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर ही अतुल सती की कुछ उम्मीदें टिकी हैं, बशर्ते वह सरकारी दबाव से अलग हटकर बनी हों।

सरकार का ध्यान हैलंग बाईपास पर

इधर जब जोशीमठ के लिए चिंतित लोग लगातार सरकार को आईना दिखाते हुए जोशीमठ के ट्रीटमेंट के लिए समुचित उपचार की मांग कर रहे हैं तो सरकार चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले बदरीनाथ धाम के वैकल्पिक रास्ते पर काम कर रही है। जोशीमठ नगर के नीचे निर्माणाधीन हेलंग मारवाड़ी बाईपास को बदरीनाथ यात्रा का विकल्प मार्ग माना जा रहा है। शासन ने इसकी कसरत शुरू कर दी है। बीते शुक्रवार को बीआरओ के चीफ इंजीनियर कर्नल पीएस जोशी की टीम ने भी सड़क के दोनों छोर का स्थलीय निरीक्षण किया था और शीघ्र ठोस फैसले की बात कही थी।

जोशीमठ में वाहनों का दबाव कम करने और सेना की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए 6.50 किमी लंबे इस हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण करीब 190 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। जोशीमठ भू धंसाव होने के बाद नगर पालिका क्षेत्र के निर्माणों के साथ जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव को इस बाईपास निर्माण की वजह मानने की आशंका के कारण इसके निर्माण कार्य पर 5 जनवरी से रोक तो लगी हुई है। लेकिन सरकार इस आशंका से जिस प्रकार इनकार कर चुकी है, उससे साफ है कि सरकार इस निर्माण कार्य को मुल्तवी करने का कोई इरादा नहीं रखती। वैसे दिलचस्प बात यह भी है कि स्थानीय लोग जोशीमठ के बीच से ही बदरीनाथ का रास्ता निकालना चाहते हैं। जिससे शहर का महत्व भी बना रहे। लेकिन सरकार का सारा जोर बाईपास निर्माण पर ही है।

बाईपास की जिद्द जोशीमठ को तबाह करेगी

इधर इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा है कि हेलंग मारवाड़ी बाईपास को बनाने की धामी सरकार की जिद जोशीमठ को हमेशा के लिए डूबा देने का कुप्रयास है। उन्होंने कहा कि खिसकता व धसकता हुआ जोशीमठ ऊपर है और उसकी जड़ में अगर आप फोर लेन बाईपास बनायेंगे तो फिर परिणाम तो कोई भी बच्चा बता सकता है, इसीलिए जोशीमठ के लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतरे हैं। जोशीमठ संघर्ष समिति के बैनर तले जोशीमठ में भूधंसाव से प्रभावित और आसपास के गांवों के लोग व व्यापारी हेलंगमारवाड़ी बाईपास व एनटीपीसी परियोजना का तीखा विरोध कर रहे हैं।

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