Begin typing your search above and press return to search.
गवर्नेंस

उत्तराखंड में साढ़े तीन लाख से ज्यादा केस कर रहे जजों के फैसले का इंतजार, 8 साल में हुई लम्बित मामलों में 110 प्रतिशत की वृद्धि

Janjwar Desk
18 Feb 2023 2:23 PM IST
उत्तराखंड में साढ़े तीन लाख से ज्यादा केस कर रहे जजों के फैसले का इंतजार, 8 साल में हुई लम्बित मामलों में 110 प्रतिशत की वृद्धि
x

file photo

न्यायालयों में लम्बित केसों में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण जजों की कमी माना जाता है, उत्तराखंड के उच्च न्यायालय में जजों के 11 स्वीकृत पद हैं, जबकि 06 जज ही कार्यरत हैं, अधीनस्थ न्यायालयों में सिविल जज (जू.डि.) के 108 में से 24 पद रिक्त हैं, जबकि सिविल जज (सी.डि.) के 89 में से 4 पद रिक्त हैं तथा उच्च न्यायिक सेवा (जिला जज आदि) के 102 में से 3 पद रिक्त हैं...

सलीम मलिक की रिपोर्ट

रामनगर। न्यायिक हल्कों में अक्सर इस बात का जिक्र किया जाता है कि देरी से मिला न्याय "न्याय" नहीं होता, लेकिन इसके बाद भी पूरे देश में ही न्यायिक व्यवस्था न्याय में देरी की समस्या के भंवर में फंसी हुई है। उत्तराखंड को भौगौलिक और जनसंख्या के लिहाज से देश के बेहद छोटे राज्यों में शुमार किया जाता है, लेकिन इस छोटे से राज्य की अदालतों में भी लाखों मुकदमों की फाइल किसी फैसले के इंतजार में हैं। उत्तराखंड में उच्च न्यायालय सहित निचली अदालतों में साढ़े तीन लाख से अधिक मामले निर्णय की कगार पर पहुंचने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके साथ ही राज्य में न्याय में हो रही लेटलतीफी की दर इतनी है कि उत्तराखंड के न्यायालयों में पिछले 8 वर्षों में लम्बित केसों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गयी है।

31 दिसम्बर 2022 को उत्तराखंड के न्यायालयों में 3 लाख 53 हजार 206 केस लम्बित थे, जिसमें 44512 केस हाईकोर्ट में तथा 3,0869 केस अधीनस्थ न्यायालयों में लम्बित थे। न्यायिक क्षेत्र का यह सारा खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमउद्दीन को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है।

सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमउद्दीन ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी से उच्च न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालयों में लम्बित केसों के विवरण की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में लोेक सूचना अधिकारी ने 31 दिसम्बर 2022 तक केसों के विवरणों की प्रतियां उपलब्ध करायी हैं। नदीम को उपलब्ध विवरण के अनुसार 31 दिसम्बर 2022 को उच्च न्यायालय में कुल 44512 केस लम्बित थे, इसमें 25635 सिविल तथा 18877 क्रिमनल केस शामिल थे।

उत्तराखंड के जिलों के अधीनस्थ न्यायालयों में कुल 308694 केस लम्बित थे, इसमें 37872 केस सिविल तथा 270822 केस Criminal (अपराधिक) शामिल थे। नदीम को पूर्व में उपलब्ध कराये गये विवरणों के अनुसार 31 दिसम्बर 2014 को कुल 168431 केस लम्बित थे जिसमें 110 प्रतिशत की वृद्धि होकर 31 दिसम्बर 2022 को लम्बित केसों की संख्या 353206 हो गयी। इसमें उत्तराखंड के उच्च न्यायालय में ही 31 दिसम्बर 2014 को 23105 केस लम्बित थे, जिनमें 93 प्रतिशत की वृद्धि होकर 44512 केस हो गये।

उपलब्ध विवरणों के अनुसार लम्बित केसों में वृद्धि दर एक समान नहीं रही है। कुछ वर्षों में इसमें वृद्धि हुई है तथा कुछ वर्षों में कमी भी हुई है। जहां वर्ष 2014 के अंत में 168431 केस 2015 में 113 प्रतिशत 193298 वर्ष 2016 में 132 प्रतिशत 222952 वर्ष 2017 में 143 प्रतिशत 240040 वर्ष 2018 में 158 प्रतिशत 266387 वर्ष 2019 में कम होकर 2014 की तुलना में 137 प्रतिशत 230688 वर्ष 2020 में 171 प्रतिशत 287273 वर्ष 2021 में 195 प्रतिशत 328167 तथा 2022 में 2014 की तुलना में 210 प्रतिशत 353206 हो गये हैं।

उच्च न्यायालय में लम्बित केसों में वृद्धि दर अधीनस्थ न्यायालयों की अपेक्षा कम रही है। उच्च न्यायालय मेें 2014 के अंत में कुल 23105 केस लम्बित थे जो 2015 में 115 प्रतिशत 26680 वर्ष 2016 में 139 प्रतिशत 32004 वर्ष 2017 में कम होकर 130 प्रतिशत 30022 वर्ष 2018 में 147 प्रतिशत 34049 वर्ष 2019 में 153 प्रतिशत 35407 वर्ष 2020 में 164 प्रतिशत 37923 वर्ष 2021 में 177 प्रतिशत 40963 तथा वर्ष 2022 में 193 प्रतिशत 44512 हो गये हैं।

मालूम हो कि न्यायालयों में लम्बित केसों में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण जजों की कमी माना जाता है। बात करें उत्तराखंड की तो राज्य के उच्च न्यायालय में 11 स्वीकृत पद हैं, जबकि 06 जज ही कार्यरत हैं जबकि अधीनस्थ न्यायालयों में सिविल जज (जू.डि.) के 108 में से 24 पद रिक्त हैं जबकि सिविल जज (सी.डि.) के 89 में से 4 पद रिक्त हैं तथा उच्च न्यायिक सेवा (जिला जज आदि) के 102 में से 3 पद रिक्त है।

Next Story

विविध