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Top Bureaucracy India : सचिव पद पर नियुक्ति में ओबीसी को मिले प्रमोशन में आरक्षण की मांग पर ट्विटर यूजर्स ने दिया ये जवाब

Janjwar Desk
30 Oct 2022 11:40 AM GMT
TOP Bureaucracy  : सचिव पद पर नियुक्ति में ओबीसी को मिले प्रमोशन में आरक्षण की मांग पर ट्विटर यूजर्स ने दिया ये जवाब
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TOP Bureaucracy  : सचिव पद पर नियुक्ति में ओबीसी को मिले प्रमोशन में आरक्षण की मांग पर ट्विटर यूजर्स ने दिया ये जवाब

Top Bureaucracy India : 60% ओबीसी आबादी का उच्च पदों पर न होना चिंताजनक पहलू है। DMK सांसद @PWilsonDMK ने सरकार से मांग की है ओबीसी को प्रमोशन में आरक्षण ( reservation in promotion ) दिया जाए।

Top Bureaucracy India : राज्यसभा से डीएमके सांसद पी विल्सन ( DMK MP P wilson ) ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्रालयों के 89 सचिवों ( Secratory ) में से एक भी सचिव ओबीसी ( OBC ) न होने और एससी-एसटी सचिवों की संख्या नगण्य होने पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने केंद्रीय कानूनी किरण रिजिजू को एक खत भी इस मसले पर लिखा है। अपने पत्र के जरिए उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्री से जरूरी कदम उठाने की अपील की है। साथ ही मांग की है कि अगर जरूरत पड़े तो संविधान में संशोधन कर इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि केंद्रीय सरकार ( Government of India ) के मंत्रालयों में सचिव के पद पर ओबीसी अधिकारियों की नियुक्ति में ओबीसी को आरक्षण ( reservation in promotion ) मिले।

क्या ओबीसी को प्रमोशन में आरक्षण से आप सहमत हैं




उनकी इस मांग को लेकर दिलिप मंडल ने ट्विट किया है। उन्होंने डीएमके सांसद का पत्र भी सभी पब्लिक डोमेन में सभी से साझा किया है। मंडल ने लिखा है कि भारत की नौकरशाही ( Top Indian bureaucracy ) का सबसे उच्च पद सेक्रेटरी होता है। अभी भारत सरकार ( govt of India ) में 89 सेक्रेटरी हैं। उनमें एक भी OBC नहीं है। 60% ओबीसी आबादी का उच्च पदों पर न होना चिंताजनक पहलू है। DMK सांसद @PWilsonDMK ने सरकार से मांग की है ओबीसी को प्रमोशन में आरक्षण दिया जाए। साथ ही उन्होंने लोगों से ये भी पूछा है कि क्या आप इसका समर्थन करते हैं। उनके सवालों का जवाब लोगों ने इस अंदाज में दिया है।

ओबीसी अधिकारियों को प्रमोशन में आरक्षण ( reservation in Promotion ) के मुद्दे पर सुनिल कैन ने @Sunilkain191 ने लिखा है कि नि:संदेह ओबीसी एससी एसटी वालों को आरक्षण में प्रमोशन दिया जाए। ताकि वह भी उच्च पदों पर आसीन हो सकें।

उम्र में छूट लेंगे तो सचिव तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे

वहीं श्रवण कुमार नामक के ट्विटर यूजर ने लिखा है कि सचिव ( Secratory ) स्तर तक पहुंच न पाने का मूल कारण उम्र में ली जाने वाली छूट है। ओबीसी, एसटी-एससी कोटे के लोग इस पोस्ट के पास पहुंचते-पहुंचते रिटायर हो जाते हैं। जबकि जनरल के लोग कम उम्र के कारण इस पोस्ट पर पहुंच जाते हैं। एक काम करते हैं सबके लिए समान उम्र का प्रावधान करवाते हैं। फिर सबको साथ प्रमोशन मिलेगा तो सचिव भी बनेंगे ही।

एक अन्य यूजर मनोज कुमार झा का कहना है कि ओबीसी को तो विधायका में भी आरक्षण मांगना चाहिये। #ओबीसी_को_विधायिका_में_आरक्षण। इतना ही नहीं, ओबीसी के लिए भी एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट की तर्ज पर OBC ATROCITY ACT बनना चाहिए।

बता दें कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 89 सचिवों में एक भी नौकरशाह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का नहीं है। हालांकि, इनमें अन्य आरक्षित श्रेणियों का प्रतिनिधित्व है, पर वह न के बराबर ही हैं। इन 89 में से अनुसूचित जाति से केवल एक, जबकि अनुसूचित जनजाति से महज तीन नौकशाह हैं। इस बात की जानकारी दो साल पहले कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मामलों के मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी संसदीय सत्र के दौरान सदन के सदस्यों से साझा किया था।

TMC MP ने भी उठाया था ये मुद्दा

10 जुलाई, 2019 को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद दिव्येंदु अधिकारी ने इस बारे में सरकार से सवाल किया था। उन्होंने पूछा कि क्या यह सही है कि केंद्र सरकार की नौकरियों में ऊपरी स्तर पर एससी/एसटी/ओबीसी का प्रतिनित्व बेहद कम है? टीएमसी सांसद ने इसी से जुड़े दो और प्रश्न किए थे, जिसके लिखित जवाब में सिंह ने नौकरशाहों की संख्या का ब्यौरा देते हुए कुछ आंकड़े जारी किए थे।

BJP के पूर्व सांसद ने भी बयां किया था ऐसा ही दर्द

भाजपा के पूर्वी दिल्ली से सांसद और भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी रह चुके उदित राज ने आरोप लगाया था कि आरक्षित श्रेणियों से आने वालों को उच्च पदों पर पहुंचने नहीं दिया जाता। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था कि एससी और एसटी से आने वालों को हमेशा निशाना बनाया जाता है। उन्हें कभी भी ऊंचे पदों पर नहीं पहुंचने दिया जाता। उन्होंने कहा था कि जब सेक्रेट्री, एडिश्नल सेक्रेट्री और ज्वॉइंट सेक्रेट्री स्तर के अधिकारियों का चयन वाले पूल में ही ओबीसी, एससी और एसटी का प्रतिनिधित्व नहीं होगा तो स्वाभाविक है कि चयनित अधिकारियों में आरक्षित वर्गों का प्रतिनिधित्व भी कम ही होगा।

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