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कोरोना का टीका लगे बिना विभाग जारी का रहा प्रमाणपत्र, वैक्सीनेशन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे पीड़ित

Janjwar Desk
21 Jun 2021 3:48 AM GMT
कोरोना का टीका लगे बिना विभाग जारी का रहा प्रमाणपत्र, वैक्सीनेशन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे पीड़ित
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बुखार के कारण 4 मई को 65 वर्षीय उम्दा देवी नहीं करवा पायी थीं टीकाकरण, मगर विभाग ने जारी कर दिया प्रमाणपत्र

65 वर्षीय उम्दा राय के कोविड वैक्सीनेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया गया, इस पर 4 मई को प्राथमिक स्वास्थ केंद्र दो दोहरीघाट पर टीकाकरण कराने की सूचना मिली, उस दिन उम्दा को बुखार आ जाने के चलते परिजनों ने टीका नहीं लगवाया, लेकिन देर शाम टीका लगवाए बिना ही इसका प्रमाणपत्र आ गया...

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार। कोरोना वायरस से बचाव का सर्वोत्तम उपाय टीकाकरण को माना जा रहा है। ऐसे वक्त में टीका लगे बिना अगर प्रमाणपत्र जारी हो जाए और उसी प्रमाणपत्र का हवाला देकर विभाग टीका लगाने से मना कर दे तो क्या हाल होगा? इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। ऐसी शिकायतें आए दिन मिल रही हैं, जिसको लेकर लोग परेशान हैं। ऐसी गलतियों पर रोक को लेकर स्वास्थ्य महकमा भी सचेत होते नजर नहीं आ रहा है।

ऐसी लापरवाही के तमाम उदाहरण में से कुछ की यहां पर पड़ताल करते हैं। सबसे पहले जिक्र करते हैं उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में प्रकाश में आए ऐसे ही एक मामले का। मऊ जिले के दोहरीघाट मधुबन मार्ग पर स्थित है सरफोरा (सूरजपुर) गांव। यहां के रविंद्र राय की पत्नी 65 वर्षीय उम्दा राय के कोरोना से संबंधित टीका के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया गया। इस पर 4 मई को प्राथमिक स्वास्थ केंद्र दो दोहरीघाट पर टीकाकरण कराने की सूचना मिली, लेकिन इस दिन उम्दा को बुखार आ जाने के चलते परिजनों ने टीका नहीं लगवाया, लेकिन देर शाम टीका लगवाए बिना ही इसका प्रमाणपत्र आ गया।

प्रमाणपत्र में कोवैक्सीन लगवाने की सूचना के साथ कंचन भारती स्वास्थ्यकर्मी का नाम प्रमाणपत्र पर अंकित है। विभाग की इस लापरवाही की उम्दा के बेटे विद्या भूषण राय प्रिंस ने ऑनलाइन शिकायत की। इसके मुताबिक शिकायत के आधार पर लखनऊ से किसी विभागीय कर्मी का फोन आया। साथ ही आवश्यक मदद का आश्वासन दिया। इसके बाद टीकाकरण के जिला प्रभारी ने वार्ता के क्रम में सहानुभूतिपूर्वक परेशानी का निस्तारण करने के बजाए आवंटित तिथि को टीकाकरण न कराने पर अपनी नाराजगी जाहिर की।

इसके बाद 10 जून को उम्दा राय टीका लगवाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ केंद्र दोहरीघाट गई। जहां पूर्व में टीका लगे होने का हवाला देते हुए कर्मचारियों ने टीकाकरण से इंकार कर दिया। ऐसे में जब कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका से लोग जूझ रहे हैं, तब उम्दा राय टीका न लग पाने से अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

ऐसा ही मामला लखनऊ जिले का है। 15 मार्च को अलीगंज सेक्टर-के निवासी जगदीश केसरवानी (70), मां पुष्पा केसरवानी (90) और विनीता केसरवानी (65) ने आरोग्य सेतु ऐप पर टीकाकरण के लिए पंजीकरण कराया था. जगदीश केसरवानी के मुताबिक 22 मार्च को टीका लगवाने के लिए तीनों बुजुर्ग अलीगंज सेक्टर-सी स्थित शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन यहां टीका नहीं लगा। इसके बावजूद सफलतापूर्वक टीकाकरण होने का मैसेज आ गया।

इस मामले में पुरानी पुलिस लाइन में टीका लगवाने पहुंचे दो बुजुर्गों को बुखार था। इस पर उनको दूसरे दिन आकर टीका लगवाने को कहा गया। दोनों वापस चले गए। कुछ देर बाद दोनों बुजुर्ग फिर वापस आए और बताया कि उनके मोबाइल पर वैक्सीनेशन होने का मैसेज आ गया है। जब उन्होने टीका लगवाया ही नहीं तो फिर टीकाकरण का सर्टिफिकेट भला कैसे आ सकता है। स्वास्थ्यकर्मियों ने उनकी बात नहीं सुनी तो हंगामा हो गया। शिकायत जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. आरएन सिंह से की गई। उन्होने आश्वासन दिया कि उनको दूसरे दिन आने पर भी वैक्सीन लगाई जाएगी।

उधर सिकंदरा निवासी लाड़ली देवी ने 22 अप्रैल को टीकाकरण के लिए पंजीकरण कराया। 23 अप्रैल को सिकंदरा स्वास्थ केंद्र पर दोपहर में समय मिला। किसी कारणवश वह नहीं जा सकीं। 23 अप्रैल को उनके फोन पर मैसेज आया कि आपको सफलतापूर्वक टीका लग चुका है। सेक्टर-11 निवासी 49 वर्षीय विजय श्रीवास्तव ने बताया कि उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि आपको कोविशील्ड की पहली खुराक दी जा चुकी है। आप अपना टीकाकरण प्रमाणपत्र कोविन पोर्टल से डाउनलोड कर सकते हैं।

ऐसा ही 50 वर्षीय लाड़ली देवी के साथ हुआ। लाड़ली देवी ने बताया कि जब मेरे साथ ऐसा हो सकता है तो और लोगों के साथ भी हुआ है। बिना टीका लगे ही टीकाकरण सफल होने का मैसेज आ गया। उन्होंने कहा कि मुझे आशंका है कि कहीं मेरे पंजीकरण पर किसी और व्यक्ति को टीका लगा है।

लखनऊ क्षेत्र के अमौसी रोड स्थित गीता आश्रम के पास रहने वाले मुकेश कुमार ने अपनी माता इंद्रा रानी का टीकाकरण कराने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था। इसमें टीकाकरण की तिथि 30 अप्रैल निर्धारित की गई थी,लेकिन उनकी 64 वर्षीय मा इंद्रा रानी निर्धारित तिथि पर अस्वस्थ होने की वजह से टीकाकरण कराने नहीं जा पाईं। इसी बीच उनके पुत्र मुकेश कुमार के फोन पर ऑनलाइन वैक्सीनेशन का प्रमाण आ गया। बिना टीकाकरण कराए इंद्रा रानी का टीकाकरण के सार्टिफिकेट देने पर उन्होंने दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग कर जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज की है।

अब बात करते हैं आगरा के आवास विकास कॉलोनी के सेक्टर-11 की। यहां के निवासी विजय श्रीवास्तव ने 4 अप्रैल को टीकारण के लिए पोर्टल पर पंजीकरण कराया। आईडी क्रमांक 1416124728690 मिला। दूसरे दिन टीकाकरण के लिए नहीं पहुंचे। तीसरे दिन 6 अप्रैल को मैसेज आया कि आपका टीकाकरण सफल हो गया है।

ऐसा ही वाकया बिहार के अररिया जिले का है। नरपतगंज में एक छात्र को बिना टीका लगाए ही वैक्सिनेशन का सर्टिफिकेट मिल गया। वैक्सीन लगाए जाने का मैसेज मिला और उसके लिक में उनके नाम का सर्टिफिकेट भी था, जबकि छात्र नरपतगंज निवासी उज्ज्वल कुमार का कहना है कि वो वैक्सीन लगवाने के लिए सेंटर गए ही नहीं।

उज्ज्वल का कहना है उसने अभी तक कोविड वैक्सीन की कोई डोज नहीं ली है,उन्होंने कोविड वैक्सीन के लिए ऑनलाइन आवेदन जरूर किया था, लेकिन लेकिन 6 मई को शाम को उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया, जिसमें लिखा हुआ था कि आपको कोविड वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है, जबकि 18 से 44 साल वाले का टीकाकरण की शुरुवात 9 मई से हुआ, लेकिन इनको 6 मई को सर्टिफिकेट कैसे मिल गया?

यह सोचने वाली बात है आखिर ऐसी लापरवाहियों का जिम्मेवार कौन है? इस संबंध में नरपतगंज पीएचसी में तैनात चिकित्सक डॉ. रजीउद्दीन ने बताया कि यह बहुत बड़ा मामला है, आखिर कैसे हुआ है इसकी जानकारी हमें नहीं है।

बिहार के सारण जिले के लहलादपुर ब्लॉक के कटेंया ग्राम निवासी 24 वर्षीय आशीष कुमार तिवारी के साथ भी ऐसे ही गड़बड़ी की शिकायत सत्यदेव तिवारी पुत्र आशीष तिवारी का भी है। उनका कहना है कि उन्होंने सरकारी वेबसाइट को-विन पर रजिस्ट्रेशन किया। उन्हें अपने नजदीकी टीकाकरण केंद्र के लिए स्लॉट खाली नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने हसनपुरा अस्पताल, जिला सिवान के टीकाकरण केंद्र पर पांच मई को टीकाकरण के लिए स्लॉट बुक करा लिया, जबकि किसी कारण से वे निर्धारित समय पर वैक्सीन लेने नहीं पहुंचे। इसके बाद भी उनके मोबाइल पर शाम में मैसेज पहुंचा कि उन्हें वैक्सीन लग चुकी है और उनके लिए दूसरी डोज की तारीख 6 जून के बाद तय की गई है। और तो और जब उन्होंने वेबसाइट से टीकाकरण का प्रमाणपत्र डाउनलोड किया तो उनका नाम, वैक्सीन लगाने वाली नर्स मानकी कुमारी का नाम, आधार कार्ड का नंबर, वैक्सीन का बैच नंबर प्रमाणपत्र में सब दर्ज है।

कोरोना की दूसरी लहर कम होने के साथ ही तीसरी लहर के भय से लोग चिंतित हैं। हर तरफ से एक ही आवाज उठ रही है कि वैक्सीनेशन के कार्यों में तेजी लाई जाए। ऐसे वक्त में बिना टीकाकरण के प्रमाणपत्र जारी कर देने की बढ़ती शिकायतें चिंताजनक है, जिस पर स्थाई रूप से रोक लगाए जाने के सवाल का कोई जवाब देने को भी तैयार नहीं है। ऐसे प्रकरणों में जिम्मेदार अफसर आमतौर पर संबंधित व्यक्ति की ही लापरवाही बता रहे हैं, तो कुछ अफसर सुधार का वादा कर मामलों को टालने पर लगे हैं।

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