UP : कोतवाल की हिटलरशाही से परेशान सिपाही ने दिया त्यागपत्र, खबर उड़ी तो पूरे महकमे में मची खलबली
(उरई कोतवाल से आजिज आकर त्यागपत्र देने वाला सिपाही अरविंद किशोर)
जनज्वार, जालौन। जालौन की उरई कोतवाली में एक इंस्पेक्टर (Inspector) की हिटलर शाही सामने आई है। इंस्पेक्टर की हरकतों से तंग आकर एक सिपाही ने विभागीय अधिकारी को अपना स्तीफा सौंप दिया। वहीं, कोतवाली में तैनात सिपाही के इस्तीफे से पुलिस विभाग में खलबली मच गई है। पुलिस मामले की गंभीरता जांच कर रही है।
गौरतलब है कि, उरई कोतवाली अपने कारनामों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहती आई है। उरई कोतवाली के कोतवाल विनोद पांडेय की कार्यशैली से प्रताड़ित होकर ग्रेड 'ए' कम्प्यूटर ऑपरेटर अरविंद किशोर ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। लेकिन, अंधेर देखिए की उल्टा त्यागपत्र देने वाले पुलिसकर्मी के लिए जांच कमेटी गठित कर दी गई।
हालंकि, इसके पहले भी कई बार ऑपरेटर अरविंद किशोर ने कोतवाल विनोद पांडेय की शिकायत उच्च अधिकारियों से कर चुका है, लेकिन मामला डिपार्टमेंटल होने की वजह से कार्रवाई शून्य रही। जिसके बाद अब इतना बड़ा मसला सामने आया है।
तंग होकर दिया त्यागपत्र
बता दें कि, इस समय उरई कोतवाल की हिटलर शाही चर्चा का विषय बनी हुई है। कोतवाल के द्वारा सिपाही पर उत्पीड़न इस कदर हावी हुआ कि उसने अपना त्यागपत्र दे डाला। कम्प्यूटर ऑपरेटर सिपाही अरविंद किशोर 2014 बैच की वर्तमान तैनाती उरई कोतवाली में है। सिपाही ने आरोप लगाया है कि साल 2019 से कोतवाल विनोद पांडेय आरक्षी को प्रताड़ित कर रहे हैं।
त्यागपत्र के बाद शुरू हुई जांच
पीड़ित सिपाही कम्प्यूटर ऑपरेटर अरविंद किशोर ने त्यागपत्र के जरिए बताया कि '2019 लोकसभा चुनाव में विनोद पांडेय चुनाव सेल प्रभारी थे और उसकी भी पोस्टिंग वहीं पर थी। किसी बात को लेकर एसएचओ से कहासुनी हो गई, तभी से वो मुझे प्रताड़ित कर रहे हैं।'
वहीं, इस मसले पर पुलिस अधीक्षक जालौन रवि कुमार ने पुलिस की छवि को बचाते हुए बताया कि अभी इस तरह का कोई मामला उनके सामने नहीं आया है। हालांकि, उन्होने यह भी कहा कि, अगर इस तरह का कोई तथ्य सामने आएगा तो उसके आधार कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहता है नियम?
गाइडलाइन्स के मुताबिक किसी कर्मचारी को नौकरी से त्यागपत्र (Resignation) देने का पूरा अधिकार है, इच्छा विरुद्ध काम करने के लिए कोई भी किसी को मजबूर नहीं कर सकता। खुद सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस ऐसा कहती है। लेकिन, जालौन के मामले को इससे बिलकुल अलग माना-बताया जा रहा है।