गुजरात चुनाव से पहले किसानों पर चला मोदी सरकार का हथौड़ा, पीएम किसान निधि में कर दी 70% की भारी कटौती
PM Kisan Nidhi: 3 साल में लाभार्थियों की संख्या 11.84 करोड़ से हुई 3.87 करोड़, तो क्या अब मोदी सरकार को नहीं है किसानों की जरूरत?
PM Kisan RTI Update : लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान धूमधाम से पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत हुई थी। मोदी सरकार ने दावा किया था कि आजाद भारत में किसानों के हित में उठाया गया यह अब तक का सबसे बड़ा कदम है, लेकिन ये क्या तीन साल के अंदर ही ये योजना दम तोड़ने लगी है। क्या सबका विकास का 24 घंटे दावा करने वाली सरकार को किसानों की जरूरत नहीं है या सरकार किसी अन्य सियासी विकल्पों की तलाश में जुटी है। ताकि किसानों को सबक भी सिखाया जा सके। पर्दे के पीछे से सरकार की अगर ये योजना है तो भविष्य में यह नुकसानदेह भी साबित हो सकता है।
दरअसल, एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कृषि मंत्रालय ने बताया है कि पीएम-किसान योजना के तहत 2019 में 11.84 करोड़ किसानों को दो हजार रुपए की पहली किस्त मिली थी, वहीं इस साल केवल 3.87 करोड़ लाभार्थियों को ही 11वीं किस्त मिली है। यानि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि ( पीएम-किसान ) योजना के तहत धनराशि प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या 2019 में योजना की शुरुआत से इस साल मई-जून में वितरित 11वीं किस्त तक दो-तिहाई कम हो गई।
पीएम-किसान सम्मान निधि को पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी 2019 में लॉन्च किया गया था, जिसके तहत केंद्र सरकार सभी पात्र किसानों को 2,000 रुपये की तीन किस्तें देती है। केंद्र सरकार की ओर से यह धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है। चुनावों के बाद इस योजना में देश के सभी किसानों, चाहे उनकी जमीन (जोत) का आकार कुछ भी हो, शामिल कर लिया गया था।
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2019 में 11.84 करोड़ किसानों को योजना के तहत पहली किस्त मिली थी, वहीं इस साल मई-जून में 11वीं किस्त केवल 3.87 करोड़ किसानों को मिली। इसमें योजना के तहत दी गई 12वीं किस्त का डेटा शामिल नहीं है, जिसे अक्टूबर 2022 में वितरित किया गया था।
लाभार्थी किसानों की संख्या में गिरावट की मुख्य वजह ई-केवाईसी और सख्ती को माना जा रहा है। दरअसल, पहले जोत का आकार छोटा था या बड़ा सभी को सरकार ने पीएम किसान निधि देने का ऐलान किया था, लेकिन अब उसमें कुछ शर्तें जोड़ दी गई है। जरूरी कागजातों के साथ ई-केवाईसी कराने को कहा गया है। छठी किस्त से शुरू हुई जिसे 2020 के अंत में वितरित किया गया था। केवल 9.87 करोड़ किसानों को छठी किस्त मिली और यह आंकड़ा अगली किस्तों में घटता-बढ़ता रहा। सातवी किस्त 9.30 करोड़, आठवीं किस्त 8.59 करोड़, नौवीं किस्त 7.66 करोड़, दसवीं किस्त 6.34 करोड़ और 11वीं किस्त केवल 3.87 करोड़ किसानों को मिली।
मेघालय केवल 627 किसानों को मिल रहा है इस योजना का लाभ
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक लाभार्थियों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट मध्य प्रदेश मेें देखने को मिली है। एमपी में लाभार्थियों की संख्या 88.63 लाख से घटकर मात्र 12,053 रह गई है। मेघालय भी जहां पहली किस्त के लिए लाभार्थियों की संख्या 1.95 लाख से गिरकर 11वीं किस्त तक केवल 627 रह गई। महाराष्ट्र में पहली किस्त के 1.09 करोड़ लाभार्थियों की संख्या में 65.89% की गिरावट दर्ज की गई जो 11वीं किस्त में 37.51 लाख लाभार्थियों पर पहुंच गई।पंजाब में बहुत हद तक यही हालात हैं। पहली किस्त के लाभार्थियों की संख्या 23.34 लाख से गिरकर ग्यारहवीं किस्त में 11.31 लाख हो गई।
गुजरात में औसतन किसानों की संख्या कम घटी, ऐसा क्यों?
चुनावी राज्य गुजरात में यह गिरावट 55 फीसदी की रही जहां पहली किस्त में 63.13 लाख लाभार्थियों को लाभ मिला था। यह संख्या 11वीं किस्त में घटकर 28.41 लाख हो गई। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के जवाब में पश्चिम बंगाल के संबंध में डेटा स्पष्ट नहीं है ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार और केंद्र सरकार के बीच योजना की कई पहलुओं जैसे लाभार्थियों का सत्यापन और डीबीटी के बजाय फंड को उसके माध्यम से देने को लेकर असहमति के कारण मई 2021 में योजना की आठवीं किस्त तक पश्चिम बंगाल के किसानों को कथित तौर पर कोई धनराशि नहीं मिली थी। बंगाल में पहली किस्त के लाभार्थियों की संख्या 45.63 लाख बताई गई है। छठी किस्त के बाद से बंगाल में किसी भी किसान को योजना के तहत धन नहीं मिला है।कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी लोकसभा में एक सवाल के जवाब में ये जानकारी सदन से साझा की थी।
सरकार की मंशा नेक नहीं
पीएम-किसान योजना के लाभार्थियों की संख्या में गिरावट को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार डीबीटी योजना को चुपचाप खत्म करने की कोशिश कर रही है। द हिंदू से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह योजना किसानों के सामने पेश आने वाले वास्तविक मुद्दों से बचने के लिए एक और जुमला थी।
इन लोगों को मोदी सरकार ने लाभ देना कर दिया बंद
अगर कोई खेती की जमीन का मालिक है, लेकिन वह सरकारी कर्मचारी है या रिटायर हो चुका हो, मौजूदा या पूर्व सांसद, विधायक, मंत्री उन्हें पीएम किसान योजना का लाभ नहीं मिल सकता। प्रोफेशनल रजिस्टर्ड डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट या इनके परिवार के लोग भी आते हैं। किसान होते हुए भी यादि आपको 10000 रुपये महीने से अधिक पेंशन मिलती है, आप इस योजना के लाभार्थी नहीं हो सकते। इनकम टैक्स चुकाने वाले परिवारों को भी इस योजना का फायदा नहीं मिलेगा। जो लोग खेती की जमीन का इस्तेमाल कृषि कार्य की जगह दूसरे कामों में कर रहे हैं या दूसरों के खेतों पर किसानी का काम तो करते हैं, लेकिन खेत के मालिक नहीं हैं। ऐसे किसान भी इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते। यदि कोई किसान खेती कर रहा है, लेकिन खेत उसके नाम नहीं है तो उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। अगर खेत उसके पिता या दादा के नाम है तब भी वे इस योजना का फायदा नहीं उठा सकते।