Reservation in Promotion को रद्द किया तो लाखों कर्मचारी होंगे प्रभावित, केंद्र ने SC से गिनाई मजबूरियां, कहा - होंगे गंभीर परिणाम
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Govt defends reservation in promotion : आरक्षण के मुद्दे पर हमेशा विरोध का सामना करने वाली मोदी सरकार ( Modi Government ) ने अब इसे समाप्त नहीं करने का फैसला लिया है। इस मसले पर यू-टर्न लेते हुए मोदी सरकार ने 30 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में हलफनामा दायर कर इसके पीछे की मजबूरियां गिनाई है। जनाधार खोने के डर से परेशान ने भाजपा सरकार ने साफ कर दिया हे कि अगर प्रमोशन में आरक्षण ( Reservation in Promotion ) को समाप्त किया तो इसके इसके गंभीर परिणाम होंगे।
केंद्र सरकार ( Central Government ) ने हलफनामा के जरिए नौकरियों में कर्मचारियों को प्रमोशन में मिलने वाले आरक्षण ( Reservation in promotion ) को समाप्त करने से साफ तौर से इनकार कर दिया है। 2007 से लेकर 2020 तक लगभग साढ़े चार लाख कर्मचारी प्रमोशन में आरक्षण का लाभ उठा चुके हैं।
मुकदमों की आ जाएगी बाढ़
मोदी सरकार ( Modi Government ) ने शीर्ष अदालत को बताया है कि साल 2007 से लेकर 2020 तक लगभग साढ़े चार लाख कर्मचारी इस नीति का लाभ उठा चुके हैं। अगर इस नीति को वापस लिया जाता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। कर्मचारियों के पदों में भारी फेरबदल करने होंगे। वेतन में बदलाव करना होगा। सेवानिवृत हो चुके कर्मचारी तक इससे प्रभावित होंगे। उनकी पेंशन में अंतर आ जाएगा। कर्मचारियों को दी गई अतिरिक्त सैलरी की रिकवरी करनी पड़ेगी। मौजूदा कर्मचारियों और पेंशनरों को जो अतिरिक्त पैसा अब तक मिला होगा, उसकी रिकवरी की जाएगी। इससे मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी और कर्मचारियों में असंतोष फैल जाएगा। इसके बावजूद प्रमोशन में कोटा खत्म किया गय तो कर्मचारियों में असंतोष ( Employee unrest ) फैल सकती है। इससे अशांति को भी बढ़ावा मिल सकता है।
कामकाज पर नहीं पड़ेगा असर
केंद्र सरकार ने कहा कि यह नीति संविधान के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट की तरफ दिए गए आदेशों के अनुरूप है। इसमें सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति ( SC-ST) आदि के प्रतिनिधित्व का पूरा ख्याल रखा गया है। एससी-एसटी जाति के कर्मचारियों को तरक्की में आरक्षण से प्रशासनिक कामकाज पर असर नहीं पड़ता क्योंकि इस कोटे का लाभ सिर्फ उन्हीं को मिलता है, जो परफॉर्मेंस के निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं और इस योग्य पाए जाते हैं।
केंद्र के हलफनामे में इस बात का भी जिक्र है कि सरकार के 75 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कर्मचारियों की कुल संख्या 27,55,430 है। इनमें से 4,79,301 कर्मचारी एससी हैं जबकि एसटी कर्मियों की संख्या 2,14,738 है। ओबीसी तबके से आने वाले कर्मचारियों की तादाद 4,57,148 है। प्रतिशत में देखें तो ये आंकड़ा एससी का 17.3, एसटी का 7.7 और ओबीसी का 16.5 फीसदी है।
Govt defends reservation in promotion : सरकार ने बताया है कि विभिन्न विभागों में एससी, एसटी और ओबीसी कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व को हर मंत्रालय-विभाग के संबंधित अधिकारी तो देखते ही हैं, कार्मिक मंत्रालय, एससी-एसटी आयोग, संसदीय समिति और तमाम सांसद भी नजर बनाए रखते हैं। कर्मचारियों के कामकाज की गुणवत्ता को APAR यानी एनुअल परफॉर्मेंस असेसमेंट रिपोर्ट के जरिए आंका जाता है।