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पूर्व जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा का आंख खोलने वाला बयान, PM Modi की निंदा करना खतरे से खाली नहीं

Janjwar Desk
4 Sep 2022 11:10 AM GMT
पूर्व जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा का आंख खोलने वाला बयान, PM Modi की निंदा करना खतरे से खाली नहीं
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केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ( Justice Kiran Rijiju ) ने जस्टिस श्रीकृष्णा ( Former Justice BN Shrikrishna ) के बयान की सख्त शब्दों में आलोचना करते हुए कहा कि हर समय बिना किसी प्रतिबंध के पीएम को गाली देने के लिए बोलने वाले लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर रो रहे हैं। अगर उनमें हिम्मत है तो किसी क्षेत्रीय पार्टी के मुख्यमंत्रियों के बारे में कुछ बोलकर देखें।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ( Former Justice BN Shrikrishna ) के बयान से एक बार फिर देश में अभिव्यक्ति की आजादी ( freedom of expression ) है या नहीं को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। इस बार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा द्वारा एक साक्षात्कार के दौरान दिए गए बयान से इस मसले पर बहस को बल मिला है। पूर्व न्यायाधीश श्रीकृष्णा ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार की आलोचना करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और कोई भी इसका छीन नहीं नहीं सकता है।

जस्टिस श्रीकृष्णा ने क्या कहा

पूर्व न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्णा ( Former Justice BN Shrikrishna ) ने वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज के दौर में स्थितियां बहुत खराब हैं। मुझे कबूल करना चाहिए अगर मैं एक सार्वजनिक चौक में खड़ा होता और कहता कि मुझे प्रधानमंत्री ( PM Modi ) का चेहरा पसंद नहीं है तो कोई मुझ पर छापा मार सकता है। मुझे गिरफ्तार कर सकता है, मुझे बिना कोई कारण बताए जेल में डाल सकता है।

सिविल सर्वेंट को भी मिले दायरे में रहकर मत जाहिर करने का अधिकार

द हिंदू के एक इंटरव्यू में उनसे ( Former Justice BN Shrikrishna ) पूछा गया कि क्या तेलंगाना की एक आईएएस अधिकारी ने गुजरात दंगा गैंगरेप पीड़िता बिलकिस बानो के समर्थन में अपने व्यक्तिगत खाते से ट्वीट करने में गलत किया था? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जब तक आलोचना सभ्य तरीके से की जाती है तब तक यह उनके सेवा नियमों के आड़े नहीं आना चाहिए लेकिन मेरी चिंता कानून के शासन को लेकर है कि सरकार अपने आलोचकों को कैसे जवाब देती है। न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण ने जवाब दिया कि जब कोई सरकारी सेवा में प्रवेश करता है तो कुछ अनुशासनात्मक नियमों का पालन करना होता है। उन्होंने उच्च न्यायालय के दो फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि मुझे लगता है कि प्रवृत्ति यह है कि न्यायाधीश यह विचार कर रहे हैं कि आईएएस अधिकारियों को खुद को वैध और सभ्य तरीके से व्यक्त करने का अधिकार मिले।

जजों को किरण रिजिजू ने दी इस बात की चुनौती

द हिंदू अखबार को दिए एक साक्षात्कार के दौरान पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ( Kiran Rijiju ) ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जो हर समय बिना किसी प्रतिबंध के लोकप्रिय निर्वाचित प्रधानमंत्री को गाली देने की वकालत करते हैं, अगर वही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में रो रहे हैं! ऐसे लोग कभी भी कांग्रेस पार्टी द्वारा लगाए गए आपातकाल के बारे में बात नहीं करेंगे और न ही कुछ क्षेत्रीय पार्टी के मुख्यमंत्रियों की आलोचना करने की उनमें हिम्मत है। मुझे नहीं पता कि सुप्रीम कोर्ट के किसी पूर्व न्यायाधीश ने वास्तव में ऐसा कहा है या नहीं। अगर यह सच है तो यह बयान ही उस संस्था को नीचा दिखा रहा है जिसकी उन्होंने सेवा की है।

बता दें कि पूर्वन्यायमूर्ति श्रीकृष्ण 2006 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। अपनी सेवानिवृत्ति के बाद से उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार और भाजपा सरकार दोनों के लिए कई समितियों का नेतृत्व किया है। न्यायमूर्ति श्रीकृष्णा डेटा सुरक्षा मुद्दों का अध्ययन करने और उनकी पहचान करने और उन्हें संबोधित करने के तरीकों की सिफारिश करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का नेतृत्व कर चुके हैं।

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