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CJI UU Lalit : वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बने नवनियुक्त CJI यूयू ललित सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में कर चुके हैं अमित शाह की पैरवी

Janjwar Desk
28 Aug 2022 1:22 PM IST
CJI UU Lalit : वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बने नवनियुक्त CJI यूयू ललित सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में कर चुके हैं अमित शाह की पैरवी
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CJI UU Lalit : सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, ललित की ऐतिहासिक सुनवाई में "तीन तलाक" मामला शामिल है। वह पांच-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे, जिसने 2017 में 3-2 के बहुमत से फैसला सुनाया कि यह प्रथा "अवैध" और "असंवैधानिक" थी....

दिनकर कुमार की टिप्पणी

CJI UU Lalit : न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने 27 अगस्त को भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित संक्षिप्त समारोह में न्यायमूर्ति ललित को शपथ दिलाई। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई केंद्रीय मंत्री इस समारोह में शामिल हुए। न्यायमूर्ति ललित से पहले प्रधान न्यायाशीध के रूप में सेवाएं देने वाले न्यायमूर्ति एन वी रमना भी इस मौके पर मौजूद थे।

भारत के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को शीर्ष पद के लिए अपना उत्तराधिकारी नामित किया। रमना 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए और उनके स्थान पर जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के नए मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति ललित का कार्यकाल 74 दिन का होगा। वह 65 वर्ष के होने पर इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे।

2014 में वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बनाया गया। वो अभी तक के इतिहास में दूसरे ऐसे सीजेआईहोंगे जो सीधे वकील से सुप्रीम कोर्ट जज बने थे। सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में अमित शाह के वकील रहे यूयू ललित अभिनेता सलमान खान के काले हिरण का शिकार मामले में उनके वकील रह चुके हैं। इसके अलावा जस्टिस ललित जनरल वीके सिंह की जन्मतिथि विवाद मामले में भी वे वकील रह चुके हैं और पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से जुड़े भ्रष्टाचार के केस में भी। बहुचर्चित 2जी घोटाले में यूयू ललित को सीबीआई का स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश 64 वर्षीय न्यायमूर्ति यूयू ललित का कार्यकाल संक्षिप्त होगा, क्योंकि वह भी नवंबर में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी जगह जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ लेंगे। ललित भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले दूसरे जज होंगे। जस्टिस एसएम सीकरी पहले थे।

महाराष्ट्र में जन्मे ललित ने 1983 में अपना कानूनी करियर शुरू किया। उन्होंने 1985 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की और 1986 में दिल्ली चले गए। 2004 में वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बने। आपराधिक कानून का अनुभव होने के कारण उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों को संभाला। उन्होंने तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का प्रतिनिधित्व किया है। ललित ने 2जी घोटाला मामले में विशेष लोक अभियोजक के रूप में भी काम किया है। उन्हें अगस्त 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, ललित की ऐतिहासिक सुनवाई में "तीन तलाक" मामला शामिल है। वह पांच-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे, जिसने 2017 में 3-2 के बहुमत से फैसला सुनाया कि यह प्रथा "अवैध" और "असंवैधानिक" थी। उन्होंने अयोध्या की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया क्योंकि वह बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित एक मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए पेश हुए थे।

पिछले साल ललित की अगुवाई वाली एक पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के विवादास्पद 'स्किन टू स्किन' टच के फैसले को उलट दिया था। उच्च न्यायालय ने माना था कि एक आरोपी व्यक्ति और एक बच्चे के बीच "त्वचा से त्वचा का संपर्क" यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत मामला बनाने के लिए आवश्यक था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फैसला एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा।

इस साल जुलाई में न्यायमूर्ति यूयू ललित, एस रवींद्र भट और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने अदालत की अवमानना के मामले में भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को चार महीने की जेल की सजा सुनाई थी। माल्या को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने परिवार के सदस्यों को 40 मिलियन डॉलर देने के लिए अवमानना का दोषी ठहराया गया था।

जानना दिलचस्प है कि जस्टिस ललित के परिवार के लोग एक सदी से ज्यादा समय से वकालत के क्षेत्र में कार्यरत हैं। उनके दादा जी का नाम रंगनाथ ललित है जो महाराष्ट्र के सोलापुर में वकालत करते थे। उनके पिता उमेश रंगनाथ ललित ने सोलापुर से वकालत शुरू की। मुंबई में वकालत में उन्होंने काफी नाम कमाया। मुंबई हाई कोर्ट के वो जज भी रहे। 102 साल से ललित परिवार वकालत के पेशे में है।

यह जरूर है कि सीजेआई ललित की पत्नी अमिता उदय ललित का पेशेवर जीवन वकालत से अलग है। अमिता एक टीचर हैं जो नोएडा में दशकों से स्कूल चला रही हैं। जस्टिस ललित और अमिता के दो बेटे हैं। बड़े बेटे श्रेयस और उनकी पत्नी रवीना दोनों ही वकील हैं। छोटा बेटा हर्षद अपनी पत्नी राधिका के साथ अमेरिका में रहता है।

हाल ही में, न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ मामलों की सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत के सामान्य समय से एक घंटे पहले सुबह साढ़े नौ बजे बैठी थी। जस्टिस ललित ने कहा था, 'मेरे विचार से आदर्श रूप से हमें सुबह नौ बजे बैठना चाहिए। मैंने हमेशा कहा है कि अगर हमारे बच्चे सुबह सात बजे स्कूल जा सकते हैं, तो हम नौ बजे क्यों नहीं आ सकते।'

न्यायमूर्ति ललित की अगुवाई वाली पीठ ने 22 अगस्त को आम्रपाली घर विक्रेताओं के मामले की सुनवाई के लिए तीन सितंबर (शनिवार) को सुबह साढ़े 10 बजे से दोपहर एक बजे का समय निर्धारित किया, जबकि इस दिन शीर्ष अदालत में छुट्टी होती है। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में न्यायमूर्ति ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास केरल में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन का अधिकार है।

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