DGP का इश्तेहार और ब्यूरोक्रेट के किताब लिखने-बोलने की पाबंदी पर इस खोजी पत्रकार को क्यों याद आया आपातकाल?
(यूपी के नए डीजीपी के पदभार गृहण का विज्ञापन और किताब लिखने व बोलने की पाबंदी पर सूबे में चर्चा होने लगी है)
जनज्वार, लखनऊ। राजनीति के इतिहास में पहली बार जो आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, वह यूपी की योगी सरकार में। जिला पंचायत चुनाव की अपार सफलता के बाद रविवार 4 जुलाई दो रोचक प्रसंग देखने को मिले। पहला ये कि यूपी के डीजीपी ने पदभार गृहण किया और उनका फुल पेज इश्तेहार छपवाया गया। दूसरा जो है उसमें ब्यूरोक्रेट अब पुस्तक नहीं लिख सकते।
वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा नए डीजीपी मुकुल गोयल का इश्तेहार ट्वीट करते हुए लिखते हैं कि 'भारतीय पुलिस सेवा @IPS_Associationके नियम या services conduct rules जो भी कहते हों पर नये डीजीपी को लेकर अखबार में छपा ये विज्ञापन चौंकाने वाले हैं? क्या कारपोरेट घराने बड़े अफसरों से अपने रिश्ते ऐसे जाहिर करेंगें?'
भारतीय पुलिस सेवा @IPS_Association के नियम या services conduct rules जो भी कहते हों पर नये डीजीपी को लेकर अखबारों में छपे ये विज्ञापन चौंकाने वाले हैं ?
— Deepak Sharma (@DeepakSEditor) July 4, 2021
क्या कारपोरेट घराने बड़े अफसरों से अपने रिश्ते ऐसे जाहिर करेंगें ? pic.twitter.com/sZdOmRrJbi
डीजीपी के इस विज्ञापन को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक हल्ला हो गया है। विज्ञापन जिसने छपवाया है वह मशहूर ज्वैलर्स मनोहर लाल हैं, जिनने डीजीपी की ज्वाइनिंग मात्र पर लाखों रूपये के इश्तेहार छपवा दिए। लाभ भी लाजिमी हो संभव है। फिलहाल दूसरी जो खबर निकली उसके मुताबिक अब कोई भी आईएएस अथवा पीसीएस आत्म संस्मरण अथवा कोई किताब नहीं लिख सकता।
अपने इस ट्वीट में खोजी पत्रकार दीपक शर्मा लिखते हैं कि 'सेवानिवृत IAS और IPS अफसरों में भीतर ही भीतर गुस्सा है। वजह, वे न अब किताब लिख सकते है और न ही अहम मुद्दों पर खुलकर बोल सकते हैं। ऐसा करने पर उनकी पेंशन रोक दी जायेगी।कई अफसर अदालत जाने की तैयारी में हैं। ऐसे आदेश Down pointing backhand index इमरजंसी में इंदिरा गांधी ने भी नहीं जारी किये थे।'
सेवानिवृत IAS और IPS अफसरों में भीतर ही भीतर गुस्सा है। वजह, वे न अब किताब लिख सकते है और न ही अहम मुद्दों पर खुलकर बोल सकते हैं। ऐसा करने पर उनकी पेंशन रोक दी जायेगी।कई अफसर अदालत जाने की तैयारी में हैं।
— Deepak Sharma (@DeepakSEditor) July 4, 2021
ऐसे आदेश 👇 इमरजंसी में इंदिरा गांधी ने भी नहीं जारी किये थे ! pic.twitter.com/Kso1McoPte
किए गये दो और ट्वीटों के जरिए दीपक शर्मा बताते हैं कि 'एक बेहद चर्चित रिटायर्ड Director General स्तर के अफसर ने बताया कि वे बड़ी मेहनत से अहम विषय पर किताब लिख रहे थे जिससे कई खुलासे और जानकारियां देश के लोगों को मिलती, पर इस आदेश के बाद उन्होने अपनी कलम तोड़ दी, सच लिखने का इरादा छोड़ दिया।'
सरकार में फल फूल रहे भ्रष्टाचार पर ये मेरी पसंदीदा किताब 👇है जो पद्मभूषण से सम्मानित retd IAS अफसर SS Gill ने लिखी है।
— Deepak Sharma (@DeepakSEditor) July 4, 2021
अब इसतरह की अहम जानकारी वाली किताबें या खुलासे हमें पढ़ने को नहीं मिलेंगे !
अगर गिल साहब आजलिखते ये किताब तो उन पर मुकदमा होता और बुढ़ापे में पेंशन रूक जाती ! pic.twitter.com/6SMHVMl7Pd
साथ ही जो दूसरा ट्वीट है वह यह कि 'सरकार में फल फूल रहे भ्रष्टाचार पर ये मेरी पसंदीदा किताब Down pointing backhand index है जो पद्मभूषण से सम्मानित retd IAS अफसर SS Gill ने लिखी है। अब इसतरह की अहम जानकारी वाली किताबें या खुलासे हमें पढ़ने को नहीं मिलेंगे। अगर गिल साहब आजलिखते ये किताब तो उन पर मुकदमा होता और बुढ़ापे में पेंशन रूक जाती।'
इन आदोशों के बाद सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। किसी ने डीजीपी के इश्तेहार पर लिखा कि 'अब यूपी पुलिस में नया चलन होगा और वह यह कि अबसे थानेदारों और जिलास्तर के अफसरों के भी इशतेहार छपने शुरू होने वाले हैं। तो किसी ने किताब ना लिखने पर कहा कि अब सही मायनो में आपातकाल आया है।'