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Allahabad Ground Report : इलाहाबाद के बाढ़ग्रस्त इलाकों में नारकीय जीवन जीने को मजबूर बाशिंदे, बाढ़ के बाद बीमारियों का खतरा
Allahabad Ground Report : उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में कुछ दिनों पहले भारी बारिश के कारण गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ गया था, जिस कारण यहां बाढ़ आ गई। जनज्वार की टीम ने इलाहाबाद का जायजा लिया, जो चंद रोज पहले बाढ़ में डूबा हुआ था। पानी जाने के बाद यहां सारा इलाका नर्क में तब्दील हो गया है। यह कोई छोटा क्षेत्र नहीं है बल्कि विश्वविद्यालय और हाईकोर्ट के आसपास का इलाका है। छोटा बघाड़ा और राजपुर इलाका है। यह दोनों ही क्षेत्र पूरी तरह डूबे हुए हैं और यह सरकार के हिसाब से भी बाढ़ क्षेत्र में बने हुए हैं लेकिन सरकार ने इस इलाके में सारी सुविधाएं दे रखी हैं।
बाढ़ के बाद इलाके की सड़के-गलियां बनी नर्क
बाढ़ से इलाकों की हालत इस कदर हो गई है कि अगले कई सप्ताह तक यहां रहना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है। यहां की सड़कों की हालत इस कदर बिगड़ी हुई है कि सड़के और गलियां सड़ चुकी है। यहां विषैले जानवर निकल सकते हैं। यहां स्थिति बहुत ही ज्यादा दयनीय है। ज्यादातर लोग बाढ़ के पानी से बचने के लिए अपने मकान की दूसरी मंजिल में रह रहे हैं। वहीं कुछ लोग पलायन कर चुके हैं। इस इलाके के कुछ लोगों को ही सरकार द्वारा एक पैकेट दिया जा रहा है, जिसके ऊपर लिखा है 'बाढ़ राहत सामग्री' और उस सामग्री के ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर भी छपी हुई है।
ऐसे में सवाल यह है कि अगर बाढ़ राहत सामग्री पर सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी है तो इन इलाकों की बदतर हालत और यहां रहने वाले लोगों की दयनीय स्थिति की जिम्मेदार भी सरकार ही है। इस बाढ़ में लोगों का लाखों रुपए का सामान बर्बाद हो रहा है और कुछ कच्चे मकान ढह जाते हैं, इसके लिए भी सरकार ही जिम्मेदार है।
बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर
इलाहाबाद के बाढ़ ग्रस्त इलाके की हालत काफी दयनीय है। इलाके के पूर्व पार्षद ने बताया कि पहले यहां जमीन सस्ती थी इसलिए लोगों ने यहां जमीन खरीद कर गंगा के पेट पर घर बनाया है। हाई कोर्ट और यूनिवर्सिटी बगल में होने से यहां छात्र और वकील ज्यादा रहते हैं। इस बाढ़ग्रस्त इलाके में 30 हजार रुपए वर्ग गज की कीमत पर जमीन बिकती है। यानी कि 30 लाख रूपए में 100 गज जमीन मिलेगी लेकिन तब भी इस महंगी जगह पर लोग जमीन खरीद कर अपना घर बनाने के लिए मजबूर है।
हर साल बाढ़ का करना पड़ता है सामना
पूर्व पार्षद ने बताया कि यहां हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है और बाढ़ के बाद बीमारियों का भी आगमन होता है। नगर निगम के कर्मचारी आकर दवा छिड़कते हैं लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। बारिश के मौसम में लगातार सड़के और गलियां खराब रहती हैं। हर जगह पानी भरा हुआ रहता है। विषैले जानवर निकलते हैं। साथ ही पूर्व पार्षद का कहना है कि सरकार इन इलाकों में बिजली पानी की सुविधा देती है इसलिए यहां लोग रहते हैं। राजपुर का पूरा इलाका पानी में डूबा हुआ था। इस इलाके के सभी घर आधे डूबे हुए थे। यहां के घरों और सड़कों की हालत बाढ़ की स्थिति को बयां कर रही है।
एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए नाव का इस्तेमाल
बाढ़ की भयानक स्थिति में भी यहां के लोग घर छोड़ने को तैयार नहीं होते हैं। सिर्फ इसलिए कि उन्हें घर में चोरी होने का डर रहता है। इलाके के एक निवासी ने बताया कि बाढ़ के समय घर की दूसरी मंजिल पर रहकर परिवार गुजारा करता है। जो कामकाजी लोग हैं, वो नाव के सहारे आना जाना करते हैं। इस इलाके से दूर एक छोटा सा कमरा किराए पर लेकर रहते हैं। बाढ़ के समय यदि परिवार घर छोड़कर चला जाता है तो लुटेरे नाव पर सवार होकर आते हैं और घर से सारा सामान लूट कर चले जाते हैं। इलाके के निवासी ने आगे बताया कि बाढ़ के कारण घर का सारा सामान छत पर शिफ्ट करना पड़ता है और उसे बारिश के पानी से बचाने के लिए सामान के ऊपर त्रिपाल ढकना पड़ता है।
कम किराए के कारण बाढ़ग्रस्त इलाके में रहते हैं मजदूर
बता दें कि यहां इलाके के घरों के अगल-बगल भी नाला पूरा पानी से भरा हुआ है। कम किराए के कारण मजदूर बाढ़ग्रस्त इलाके में रहने को मजबूर हैं। किराए पर रह रहे लोगों ने जनज्वार को बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाके में भी उन्हें 2 से 3 हजार रुपए तक का किराया देना पड़ता है। वहीं अगर वह बाढ़ग्रस्त इलाके से बहार किराए पर रहेंगे तो वहां उन्हें 5 हजार रुपए तक का किराया चुकाना होगा, इसलिए वह बाढ़ग्रस्त इलाके में रहने को मजबूर है।