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ग्राउंड रिपोर्ट

Ground Report : आजमगढ़ में योगी की पुलिस ने मचाया तांडव, दलित महिलाओं ने लगाया यौन उत्पीड़न और लूटपाट का आरोप

Janjwar Desk
6 July 2021 5:46 PM IST
Ground Report : आजमगढ़ में योगी की पुलिस ने मचाया तांडव, दलित महिलाओं ने लगाया यौन उत्पीड़न और लूटपाट का आरोप
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योगीराज में पुलिसिया उत्पीड़न की कहानी, आजमगढ़ के दलित पीड़ितों की जुबानी

पीड़ित दलित महिला सुनीता कहती है, रात के तांडव के बाद एसडीएम गौरव कुमार और पुलिस क्षेत्राधिकारी सगड़ी गोपाल स्वरूप बाजपेयी बाजपेयी 1 जुलाई को घटनास्थल पर आए, पुलिस क्षेत्राधिकारी एसडीएम के सामने ही माँ बहन की भद्दी गालियां देते हुए हमसे बोले जो मजा रात में ढंग से नहीं आया, वही अब दिन में लेने आये हैं...

पवन जायसवाल की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। उत्तर प्रदेश की सुशासन और बेहतर कानून व्यवस्था का दम्भ भरने वाली सरकार का नंगा नाच आजमगढ़ के सगड़ी तहसील में देखने को मिला है। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर आजमगढ़ में दो दिन तक पुलिस ने जो तांडव मचाया, वह मानवता को शर्मसार करने से भी आगे निकलने वाला मामला है। यह घटना सबसे पहली बार 29 जून को सामने आयी थी, जिसके बाद लगातार 2 दिन तक पुलिस पर गांव में तांडव मचाने का आरोप है।

प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा का जवाब देते हुए आजमगढ़ पुलिस ने महिलाओं के कपड़े फाड़े, उनके प्राइवेट पार्टस पर डंडे से प्रहार किए। बेटियों और महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने के साथ भद्दी-भद्दी गालियाँ देने का आरोप भी पीड़ित पक्ष द्वारा लगाया गया है। पीड़ितों का कहना है कि इतने के बाद भी ज पुलिस का मन नहीं भरा तो तीन बुल्डोजर लगवाकर 4 मकानों को खण्डहर में तब्दील कर दिया। नई ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल को भी नहीं छोड़ा, घटना की तस्वीरें वहाँ का हाल बयां कर रही हैं।

घटना की सूचना पर वाराणसी से आधी रात में आजमगढ़ पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत पूरे घटनाक्रम को वीडियो के माध्यम से बयां कर रहे थे कि भारत के इतिहास में यह ऐसी पहली घटना होगी, जहाँ कानून के रक्षकों ने भक्षक बनकर उत्पात मचाया। मानवता हैवानियत का इतना विकृत रूप लेगी ऐसी कल्पना में भी रूह कांप जाएगी। अब स्त्रियों को यहाँ तक कहना पड़ रहा है कि अब किस तरह अपने माँ—बाप, सास-ससुर, पति और परिवार वालों को हम लोग मुँह दिखाएंगे।

यह घटना आजमगढ़ जनपद के राहुल पार थानाक्षेत्र के पलिया गांव में स्थित एक पासी बस्ती की है। यहाँ 29 जून को झोलाछाप बंगाली डॉक्टर आनंद विश्वास के बेटे लिट्टन विश्वास के पास गांव के पासी समाज की एक बेटी का आपत्तिजनक फ़ोटो मिला। उस फोटो से वह कई दिनों से लड़की को अवैध संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल कर रहा था। परेशान होकर उक्त लड़की ने अपने परिजनों से इस बात की शिकायत की। परिजनों ने ग्राम प्रधानपति पलिया मुन्ना पासवान, उनके चाचा राजपत पासवान को इस मामले की सूचना दी तो उन्होंने पंचायत के जरिये कई लोग मिलकर इस मामले को हल करने का दवाब बनाया और लिट्टन विश्वास को फटकार लगायी।

जानकारी के मुताबिक इसी से नाराज होकर लिट्टन विश्वास ने मामले की सूचना पुलिस को दे दी। मौके पर दो पुलिसकर्मी नशे में धुत्त हालत में पहुंचे थे और ग्राम प्रधानपति पलिया मुन्ना पासवान को मारने लगे। इस दौरान मुन्ना पासवान के नाक से खून बहने लगा। यह देख उक्त वहाँ मौजूद गांव के लोग आग बबूला हो गए और माहौल गरमा गया। ग्रामीणों ने नशे में धुत्त दोनों पुलिसकर्मियों को बुरी तरह पीट दिया। जब इस घटना के सम्बंध में पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह आजमगढ़ को सूचना मिली तो उन्होंने लगभग 200 पुलिसकर्मियों समेत सत्ता के करीबी कुछ बदमाशों को पलिया में पुलिस बल भेजा।

पुलिसकर्मियों ने 29 जून को ही रात में ग्रामप्रधान मुन्ना पासवान के चाचा राजपत पासवान के घर पर धावा बोल दिया और बुलडोजर चलवाना शुरू कर दिया। राजपत पासवान के बेटे मिंटू दिल्ली में रहते हैं और उसकी पत्नी मंजू को बेरहमी से पुलिसकर्मियों ने पीटा। मंजू के 6 माह के बच्चे उत्कर्ष को जमीन पर पटक दिया, जो खबर लिखे जाने तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। इस बीच मिंटू का छोटा भाई स्वतंत्र पासवान एक अस्पताल में अपने दुधमुंहे बच्चे की रिपोर्ट लेने गया था।

घरवालों का आरोप है कि पुलिसकर्मी मिंटू की बहन प्रियंका को घसीटकर ले गये। पुलिसवालों ने उसे बुरी तरह पीटा और उसके साथ भी जघन्यतम अपराध भी किया। हालांकि इस दौरान प्रियंका बार-बार बेहोश हो रही थी।

वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत को राजपत की बहन की बेटी गुड्डी ने बताया कि अन्य महिलाओं ने यह भी शिकायत की है कि उनके घर में रखे कई लोगों के सोने के हार, कंगन, चेन सहित लगभग 50 लाख के आसपास अनुमानित कीमत के गहने और महिलाओं ने जो गहने पहने थे, वे भी लूट लिए गए।

महिलाओं के साथ नृशंसता के बाद पुलिस ने सूर्यमान पुत्र श्यामदेव के घर पर बुल्डोजर चलवाना शुरू कर दिया। सूर्यमान की पत्नी सुनीता कहती है, जब हम लोगों ने विरोध किया तो पुलिसकर्मियों सहित आये हुए बदमाशों ने घर की महिलाओं को डंडे से बुरी तरह पीटा।

सुनीता का आरोप है, पुलिस और गुंडों ने मिलकर उनके ब्लाउस फाड़कर उनके साथ नृशंसता की। सड़क पर धकेलकर महिलाओं की साड़िया खींच ली गईं। पुलिस ने महिलाओं के गुप्तांगो में परिजनों के सामने डंडे घुसेड़ दिये।

पीड़ित महिलायें वीडियो में कहती सुनायी दे रही हैं कि यदि कोई महिला मीडियाकर्मी होती तो हम एक-एक करके अपने शरीर के जख्म दिखाते। हम लोगों की इज्जत उतर चुकी है, यदि आप लोग चाहें तो निजी अंगों के घाव भी हम लोग दिखा सकते हैं। सुनीता की 85 वर्षीय फुफिया सास को पुलिसकर्मियों ने नही बख्शा और बुरी तरह डंडे से पीटा है, जो उनके शरीर पर अब भी दिख रहे हैं।

पीड़ितों का आरोप है कि पुलिसिया उपद्रव यहीं नहीं थमा। सूर्यमान के बाद उनके छोटे भाई स्वतंत्र पासवान के परिवार पर पुलिस ने गुंडों के साथ धावा बोल दिया। स्वतंत्र पासवान ईट भट्ठा व्यवसायी हैं, उनके ट्रैक्टर को बुलडोजर से कुचल दिया गया। घर में लगे एसी और सामानों को तहस नहस कर दिया गया। उनके बच्चों के लैपटॉप जो अच्छे मैरिट पाने के दौरान अखिलेश यादव सरकार ने दिए थे, वे भी पुलिसकर्मियों ने लूट लिए।

इसके बाद ग्राम प्रधानपति मुन्ना पासवान की 15 वर्षीय बेटी शिवांगी और पत्नी मंजू को बुरी तरह पीटा गया और उनके भी कपड़े फाड़ डाले गये। इस दौरान पुलिस अश्लीलता के हर स्तर को पार कर गयी। मुन्ना पासवान की 40 वर्षीय बहन मंजू को भी लाठियों से पीटा गया।

पुलिसकर्मियों के गुंडागर्दी का अगला निशाना पास में ही रहने वाले बृजभान और उनकी पत्नी चम्पा देवी का परिवार बना। पुलिसकर्मियों ने उन्हें भी नहीं बख्शा और जमकर तोड़फोड़ मचायी। बृजभान की बेटी संध्या की हाल ही में 20 जून को शादी हुई थी। आरोप है कि उसके सभी गहने पुलिसकर्मियों द्वारा लूट लिए गए और संध्या के साथ भी अत्याचार की सभी सीमाएं लांघी गईं।

मेडिकल परीक्षण के लिए अस्पताल नहीं थे तैयार

योगी सरकार की हनक इस स्तर की है कि पुलिस ने जो किया उससे आजमगढ़ जनपद के माथे पर एक कलंक लग चुका है, लेकिन इसके बाद जब पीड़ित अस्पताल इलाज और मेडिकल परीक्षण के लिए जाते हैं तो वे हाथ खड़े कर देते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत ने पीड़ितों से बातचीत के आधार पर बताया कि जुल्म की सभी हदें पार करने के बाद अस्पताल के चिकित्सकों ने भी इलाज करने और मेडिकल परीक्षण करने से मना कर दिया था। हालांकि कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जब अस्पताल में ही धरना देना शुरू किया, तब जाकर अस्पताल प्रबंधन झुका और चोटिल लोगों का इलाज और जघन्यता की शिकार महिलाओं का मेडिकल परीक्षण हो पाया।

पुलिसवालों ने महिला से कहा रात का मजा दिन में लेने आये हैं

पीड़ित महिला सुनीता कहती है, 'रात के तांडव के बाद एसडीएम गौरव कुमार और पुलिस क्षेत्राधिकारी सगड़ी गोपाल स्वरूप बाजपेयी बाजपेयी 1 जुलाई को घटनास्थल पर आए तो पुलिस क्षेत्राधिकारी एसडीएम के सामने ही माँ बहन की भद्दी गालियां देते हुए मजाकिया लहजे में बोले, जो मजा रात में ढंग से नहीं आया, वही मज़ा अब दिन में लेने आये हैं। यह हैरान करने वाली बात है कि एक पुलिस अधिकारी हम महिलाओं के लिए इस तरह का शब्द इस्तेमाल कर रहा है। उनकी नजरों में दलितों की बहन-बेटियां हवस का सामान बन गई हैं। एक तो पहले से इतना कुकर्म योगी सरकार की इस पुलिस ने किया कि हम लोगों को अपने सास ससुर, माँ बाप सहित पूरे गांव के सामने पेटीकोट और ब्लाऊज में लाकर सड़क पर डंडे से पीटा गया। हमारे साथ घिनौना कृत्य किया गया कि अब बस हम लाश बन चुके हैं।

योगी आयें, नहीं तो लगा लूंगी फांसी

पीड़ित महिला सुनीता कहती है, योगी खुद को महंत होने का दावा करते हैं। उनकी पुलिस ने घर में रखे भगवान के मंदिर को भी तहस-नहस किया,और मूर्तियों को लातों से मार-मार कर तोड़ा है। बेटियों और बहुओं के आबरू पर उनकी पुलिस ने डाका डाला है। अब हम लोग न तो अपने परिवार को मुह दिखाने लायक बचे हैं और न ही अपने पतियों के सामने जाने लायक। अगर योगी और मोदी बेटियों की सुरक्षा का दावा करते हैं तो उनको इस घटनास्थल पर आना होगा। यदि नहीं आये तो फांसी का फंदा अपने गले में डालकर बच्चों के साथ हम सब आत्महत्या कर लेंगे। जिस तरह का तांडव उनके प्रशासन ने किया है, कानून से भरोसा उठ गया है। जब तक योगी नहीं आते, तब तक मैंं यही अपने परिवार के साथ सड़क पर रहूंगी क्योंकि हमारा घर अब बचा नहीं है, राशन में जहरीला पदार्थ मिला दिया गया है। जीवन जीने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक गांव के लगभग 28 व्यक्ति नामजद एव 143 अज्ञात लोगों पर पुलिस ने गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करके पूरे गांव में घेराबन्दी कर दी है। यही नहीं पास के नजदीकी गांव उन्नई में भी पुलिस दबिश देकर ग्रामीणों को उठा रही है। कई लोग दहशत में आकर गांव छोड़कर फरार हैं। गांव में केवल महिलाएं और बच्चे ही बचे हैं, जो पिछले तीन दिन से दहशत में हैं।

घटना पर गरमायी सियासत

हैरान करने वाली बात यह है कि जिस तरह पूर्वांचल का महत्वपूर्ण जिला आजमगढ़, जो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र भी है, इसके सगड़ी तहसील के पलिया गांव की पासी टोला में पुलिसिया तांडव हुआ, इसकी खबर मेनस्ट्रीम मीडिया से पूरी तरह गायब है। यहाँ तक कि सूचना क्रांति का दम्भ भरने वाली सरकार में इस घटना का केवल छिटपुट फ़ोटो ही कहीं-कहीं मिला है।

मामले का संज्ञान लेते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस घटना पर ट्वीट करके अफसोस जताया है और ट्वीट के जरिये सरकार पर दलित विरोधी मानसिकता से प्रेरित इस घटना की निंदा की। साथ ही उन्होंने दोषियों के ऊपर कार्यवाही और पीड़ितों को मुआवजा की मांग सरकार से की है। परिवार की सुरक्षा के लिए अपने प्रभारी अनिल यादव के नेतृत्व में सैकड़ो कार्यकर्ताओं को परिवार की सुरक्षा और बच्चों का ध्यान रखने का निर्देश दिया है। पीड़ित परिवार का भी यही कहना है कि पुलिस हमारी दुश्मन हो चुकी है, अब इन्हीं लोगों के सहारे हम लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जब तक ये लोग हम लोगों के बीच में है पुलिस हम लोगों को छू नहीं पा रही है।

पुलिस अधीक्षक ने कहा रासुका लगाएंगे

आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक को फोन करने पर वे कतरा रहे हैं और उनकी ओर से मीडियाकर्मियों को दो वीडियो जारी करके दिए जा रहे हैं। इस घटना के बाद भी तेवर नहीं बदले हैं। उन्होंने कहा है कि गांव के या गांव के आसपास के कोई भी लोग इस परिवारों की मदद के लिए यदि आगे बढ़ेंगे, उन पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाकर मुकदमा दर्ज करेंगे, जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि पुलिस अधीक्षक आज़मगढ़ में अंग्रेजी हुकूमत का रॉलेट एक्ट लगाना चाहते जो बिना अपील, बिना दलील,बिना वकील का कानून होगा। इतना तो तय है कि पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ अकेले यह निर्णय नहीं ले रहे हैं, इसके पीछे जरूर सत्ता का कोई मजबूत हाथ होगा।

हालांकि पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ द्वारा जारी वीडियो में उनके द्वारा बताया जा रहा है कि 29 जून को शाम 6:30 बजे रौना पार थानाक्षेत्र के पलिया बाजार में मुन्ना पासवान और उनके साथियों द्वारा लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की जा रही थी, जिसे वहाँ मौजूद लिट्टन विस्वास नाम का व्यक्ति द्वारा वीडियो बनाया जा रहा था। इसी मामले को लेकर उन लोगों में आपस मे मारपीट शुरू हो गई और जब रौना पार थानाध्यक्ष को इसकी सूचना मिलती है तो नजदीकी दो कांस्टेबल मुखराम यादव और विवेक त्रिपाठी पर मौके पर भेजा जाता है।

पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ का आरोप है कि बीचबचाव के दौरान मुन्ना पासवान और उनके साथियों ने एक पुलिसकर्मी को मारने लगे और इसकी वीडियो बनाने वाले दूसरे पुलिसकर्मी को भी मारा विवेक त्रिपाठी को गंभीर चोट आई है। इस संदर्भ में आरोपियों द्वारा घर के महिलाओं को आगे करके अपने बचाव का पक्ष रखने के लिए लगाया गया। सभी आरोपी फरार हैं। उनके ऊपर विभिन्न धाराओं में लिट्टन पासवान की ओर से तथा आजमगढ़ पुलिस की ओर से सरकारी कार्य मे बाधा डालने के सम्बन्ध में मुकदमा पंजीकृत करके वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। आवश्यकता पड़ने पर गैंगस्टर की भी कार्यवाही की जाएगी। फिलहाल सभी आरोपी फरार हैं, जिनके लिए पुलिस द्वारा दबिश दी जा रही है।

हालांकि थानाध्यक्ष रौनापार तारकेश्वर राय अब दावा कर रहे हैं कि मुकदमे से बचने के लिए ग्रामीणों ने खुद ही जेसीबी मंगाकर तोड़फोड़ और लूटपाट की।

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