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ग्राउंड रिपोर्ट

शहीद विजय मौर्य की स्मृति में सड़क बनाने के नाम पर योगी सरकार के जबरन किसानों की जमीन अधिग्रहण पर हाईकोर्ट की रोक, 3 सप्ताह में मांगा जवाब

Janjwar Desk
16 Dec 2022 2:04 PM GMT
शहीद विजय मौर्य की स्मृति में सड़क बनाने के नाम पर योगी सरकार के जबरन किसानों की जमीन अधिग्रहण पर हाईकोर्ट की रोक, 3 सप्ताह में मांगा जवाब
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(CRPF जवान विजय मौर्य की स्मृति में उनके पैतृक गांव तक सड़क बनाने के वादे को पूरा करने के बजाए निर्माण के नाम पर किसानों के साथ टकराव की स्थिति की जा रही है पैदा) file photo

https://janjwar.com/janjwar-special/in-the-name-of-building-a-road-in-the-memory-of-martyr-jawan-vijay-maurya-the-administration-is-cheating-the-farmers-772789

इस सड़क में हतवा, जिगिना मिश्र और छपिया जयदेव गांव के करीब 110 से अधिक किसानों की करीब दो एकड़ जमीन सड़क में जा रही है, घनी आबादी वाले इलाके के कारण इन जमीनों की अधिक बाजार मूल्य है, जिसका कोई भुगतान किए बिना सड़क में अधिग्रहित करने को लेकर किसानों को आश्चर्य भी है...

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

Deoria News : मुआवजा दिए बिना जबरन जमीन अधिग्रहण के विरोध में चल रहे आंदोलन पर किसानों की दरख्वास्त स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने राहत दी है। यह मामला यूपी के देवरिया जिले की है। योगी सरकार से किसानों को मुआवजा दिए बिना कराए जा रहे सड़क निर्माण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्काल रोक लगाते हुए तीन सप्ताह की मोहलत दी है। इस दौरान सरकार को यह जवाब देना होगा कि आखिर किस कानून के तहत बिना मुआवजा व अनुमति के किसानों की जमीन लेकर सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। गौरतलब है कि इस मसले पर जनज्वार ने प्रमुखता से ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की थी और आशंका जतायी थी कि मामला हिंसक रूप ले सकता है।

पुलवामा में शहीद हुए जवान विजय मौर्य की स्मृति में देवरिया जिले में स्थित उनके पैतृक गांव तक सड़क बनाने के वादे को पूरा करने के बजाए निर्माण के नाम पर किसानों के साथ जुल्म ढाने का यहां आरोप लगते रहा है। देवरिया जिले के भटनी क्षेत्र के छपिया जयदेव के लाल विजय मौर्य 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आंतकी हमले में शहीद हो गए। उनकी याद में लोगों की मांग पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तमाम घोषणाओं के साथ ही पैतृक गांव तक उनके नाम पर सड़क निर्माण की भी बात कही। लंबे इंतजार के बाद भी अब तक सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। इस पर यहां की वास्तविक स्थिति से शासन को अवगत कराए बिना प्रशासनिक अधिकारी हमेशा गुमराह करते रहे हैं। प्रशासन के तरफ से दी जा रही दलील के मुताबिक कुछ किसानों के विरोध के चलते सड़क निर्माण बाधित है।

उधर असली सवाल यह है कि सरकार ने सड़क निर्माण की घोषणा तो कर दी, पर इसके लिए जमीन के इंतजाम को लेकर विभागीय स्तर पर ठोस कार्ययोजना न तैयार कर चकरोड का चौड़ीकरण कर निर्माण शुरू करा दिया गया, जबकि मौके पर मौजूदा चकरोड से अतिरिक्त चैड़ीकरण के लिए जो जमीन प्रयोग में ली जा रही है, वह किसानों की है। बाजार मूल्य के अनुसार महंगी जमीन का मुआवजा दिए बिना जबरन प्रशासन उस पर निर्माण शुरू कर दिया, जिसका किसानों ने विरोध करना शुरू कर दिया।

इसको लेकर लड़ाई लड़ रहे जिगना मिश्र के किसान पवन मिश्र का कहना है कि हमारे याचिका पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति सीके राय की खंडपीठ ने तत्काल निर्माण रोक लगा दिया है। याची के अधिवक्ता नितेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पुलवामा आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ जवान विजय मौर्य के नाम से देवरिया जनपद के भटनी बाईपास से हतवा होकर जिगिना मिश्र गांव होते हुए छपिया जयदेव गांव तक 1.8 किलोमीटर सड़क निर्माण किया जा रहा है। नौ मार्च 21 को अधिसूचना जारी कर पीडब्ल्यूडी को निर्माण का कार्य सौंपा गया है। जिलाधिकारी तथा कमेटी ने यह कहते हुए याची की आपत्ति खारिज कर दी कि पहले से मौजूद चकरोड पर सड़क बन रही है।

ग्रामीणों ने जनज्वार को बताया था प्रशासनिक रवैये के चलते शहीद की याद में हो रहे सड़क निर्माण से एक हिंसक युद्ध की तस्वीर हो रही है तैयार

याची का कहना है कि चकरोड 13-20 कड़ी चौड़ी है और सड़क 30-35 कड़ी चौड़ी बन रही है। चौड़ीकरण में अतिरिक्त जमीन का मुआवजा नहीं दिया गया है। कोर्ट ने कहा, चकरोड का चौड़ीकरण किया जा रहा है, यह निर्विवाद तथ्य है। कोर्ट ने भटनी ब्लाक के जिगना मिश्र गांव के चक रोड गाटा संख्या 574, 558, 621 तथा 659 पर अगली सुनवाई तक निर्माण न करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी।

बताया जाता है कि देवरिया स्थित भटनी बाईपास से हतवा, जिगिना मिश्र होकर छपिया जयदेव तक स्वीकृत सड़क की लंबाई 1.8 किलोमीटर व लागत 1.17 करोड़ है। इसका शिलान्यास देवरिया जनपद के बंगरा बाजार में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय भागवत भगत खजड़ी वाले के जन्मदिवस 4 जनवरी 2021 को उप मुख्यमंत्री व लोक निर्माण मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने किया।

याचिकाकर्ता पवन मिश्र कहते हैं कि चक मार्ग की चैड़ाई 2.62 मीटर से लेकर 2.82 मीटर तक है। लोक निर्माण विभाग के मानक के अनुसार सड़क की चैड़ाई 3.75 मीटर व पेब्ड शोल्डर एक-एक मीटर होना चाहिए। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों व ठेकेदार ने जबरदस्ती किसानों के एतराज के बाद भी जेसीबी से खेत की खोदाई कराकर 5 मीटर से 7 मीटर चैड़ाई में मिट्टी कार्य कराया है, जिसके चलते किसानों की खेती बाधित है। यहां के अधिकांश किसानों का गुजर बसर खेती पर निर्भर है। मुआवजा की मांग एक वर्ष से किसान कर रहे हैं। इसके बाद भी अधिग्रहित भूमि का मुआवजा देने के बजाए प्रशासन जबरन निर्माण करा रहा है।

उधर किसानों के मांग पर शासन की अब तक की कार्रवाई की बात करें तो लोक निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव अभय कुमार ने 15 जून को उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी थी। इसके पूर्व 31 मई को जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने भी लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता से भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार अधिग्रहित जमीन का चार गुना मुआवजा व किसानों के जमीन से जबरन मिटटी निकालने पर रोक संबंधित मांग पर जांच कर रिपोर्ट मांगी थी।

हालांकि प्रभावित किसान अश्वनी के मुताबिक अब तक मुआवजे की राशि देने के संबंध में विभाग द्वारा कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया, जबकि अधिकारी अब यह भी कहने लगे हैं कि ग्रामीण सड़क के लिए जमीन खरीद का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में किसी भी हालत में मुआवजा नहीं दिया जा सकता।

हाल यह है कि इस सड़क में हतवा, जिगिना मिश्र और छपिया जयदेव गांव के करीब 110 से अधिक किसानों की करीब दो एकड़ जमीन सड़क में जा रही है। घनी आबादी वाले इलाके के कारण इन जमीनों की अधिक बाजार मूल्य है, जिसका कोई भुगतान किए बिना सड़क मे अधिग्रहित करने को लेकर किसानों को आश्चर्य भी है।

इस इलाके में किसानों के आंदोलन का अतीत अगर देखें तो भटनी-हथुआ रेल लाइन निर्माण में मांग के अनुसार अधिग्रहित भूमि का मुआवजा की मांग को लेकर संघर्ष का नतीजा रहा कि सरकार को परियोजना ही रद करना पड़ा। ये सब किसानों के आंदोलन के चलते हुआ। भटनी-हथुआ रेल लाइन को लेकर आंदोलन में शामिल रहे किसान ही एक बार फिर सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की जा रही भूमि के मुआवजे की मांग को लेकर डटे हैं, जिसको लेकर प्रशासन भी सकते में है।

पूर्व के आंदोलनों को याद कर प्रशासन का भी कहीं न कहीं मानना है कि मांगों की अनदेखी करने पर विरोध की तस्वीर बदल सकती है। इस बीच किसानों की याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा सरकार से जवाब तलब करने को आंदोलनकारी अपनी जीत मानते हैं। किसानों का मानना है कि यह हमारे अधिकारी की लड़ाई है। इसमें हमारी जीत तय है।

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