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ग्राउंड रिपोर्ट

Ground Report : PM मोदी के काशी समेत पूर्वांचल में डंक मार रहा डेंगू, एक-एक कर दम तोड़ रहे मरीज

Janjwar Desk
1 Nov 2022 1:28 PM GMT
Ground Report : PM मोदी के काशी समेत पूर्वांचल में डंक मार रहा डेंगू, एक-एक कर दम तोड़ रहे मरीज
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PM मोदी के काशी समेत पूर्वांचल में डंक मार रहा डेंगू, एक-एक कर दम तोड़ रहे मरीज 

30 अक्टूबर को प्रयागराज, कौशाम्बी और प्रतापगढ़ में एक साथ 9 मरीजों की मौत डेंगू से हो गई, बनारस, मिर्जापुर, जौनपुर, भदोही और आजमगढ़ में डेंगू के कहर से लोग दहशत में हैं, सवाल है कि क्या डबल इंजन सरकार में स्वास्थ्य महकमों की तैयारी पूरी तरह से फेल हो गई है...

बनारस से पवन कुमार मौर्य की रिपोर्ट

पूर्वांचल में डेंगू, मलेरिया, टायफायड और अन्य संक्रामक बीमारी ने मासूम जनता पर कहर बरपाया हुआ है। डेंगू के डंक से मरीज एक-एक कर मौत के आगोश में समा रहे हैं। अस्पतालों के वार्ड फुल हो गए हैं। डबल इंजन की सरकार में स्वास्थ्य अमले के अफसर नीरो की बंसी बजा बजा रहे हैं कि सबकुछ फर्स्ट क्लास है, जबकि जमीनी हकीकत यह है पूर्वांचल में डेंगू से हालत बेकाबू हैं और अस्पतालों में व्यवस्थाएं नाकाफी हैं।

पूर्वांचल में डेंगू से मरने वालों का आंकड़ा 30 से अधिक हो चला है। एक ओर अस्पतालों में सुविधाओं के अभाव में जहां डेंगू पेशेंट की जान जा रही है तो दूसरी ओर जिला प्रशासन मौत और डेंगू पेशेंट के आंकड़ों को छुपाने में लगा हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस में 03, मिर्जापुर में 12, आजमगढ़ 01, भदोही 01 और जौनपुर में 03 मरीजों की डेंगू से मौत हो चुकी है। वहीं, 30 अक्टूबर, रविवार के दिन प्रयागराज, कौशाम्बी और प्रतापगढ़ में डेंगू से एक साथ 9 मरीजों की मौत जनपद में हड़कंप मचा गया है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या डबल इंजन सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था का ढांचा ध्वस्त होने की कगार पर जा पहुंचा है? क्या नेताओं और पार्टियों को जनता की याद सिर्फ वोट लेने और चुनाव के समय आती है? लाखों-करोड़ों खर्च के बाद भी जनपदों के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा क्यों रही है? डेंगू और अन्य बीमारियों के प्रकोप में पूर्वांचल की जनता को अपने हाल-पैर पर क्यों छोड़ दिया गया है?

"डॉक्टर राउंड पर आते हैं, तो एक मिनट से भी कम समय में मेरे बेटे को देखकर बिना कुछ बताये ही चले जाते हैं। नर्स भी अपने को किसी अधिकारी से कम नहीं समझती है। कई बार नर्स क्वार्टर का चक्कर कटाने के बाद भी नहीं आती है। रात में दर्द और परेशानी से मरीज छटपटाते रहते हैं। इनको देखने वाला कोई नहीं। वाराणसी नगर निगम और स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही के चलते मेरे बेटे को डेंगू हुआ है। पहले प्राइवेट में इलाज कराया, लेकिन प्लेटलेट्स गिरता ही जा रहा था। डोनर के होते हुए भी न ब्लड नहीं मिल रहा है और न ही प्लेटलेट्स। सवाल बेटे का है दिन-रात एक कर शहर भर के ब्लड बैंकों की खाक छानने के बाद 400 रुपए में मिलने वाला प्लेटलेट्स 1600 रुपए देकर खरीदा।"

वाराणसी जिला अस्पताल में शनिवार को पूरी रात दर्द से परेशान रहीं नौरंगी का कहना था कि पूरी रात कोई डॉक्टर नहीं आया

बनारस के कबीरचौरा स्थित एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय में 30 अक्टूबर को टडिया-चकविहि (सारनाथ) के दल सिंगर चौरसिया अपने 17 साल के बेटे को लेकर डेंगू वार्ड में भर्ती हैं। जनज्वार से हुई बातचीत में कहते हैं, "मेरे मोहल्ले में बाढ़ के जाने के बाद से एक बार भी फॉगिंग और ब्लीचिंग पाउडर नहीं छिड़का गया। इससे मच्छरों की भरमार है। आये दिन कोई न कोई संक्रामक बीमारी से ग्रसित हो रहा है। मैं स्टेशनरी की दुकान चलता हूँ। जैसे-तैसे परिवार का भरण-पोषण होता है। दो हफ़्तों से बच्चे को लेकर अस्पताल की भागदौड़ कर रहा हूँ। दुकानदारी चौपट हो गई है। अब तो पत्नी की भी तबियत बिगड़ रही है। बेटा ठीक हो जाए तो फिर पत्नी को इलाज के लिए अस्पताल ले आऊं।"

मोदी के संसदीय क्षेत्र में जनता संक्रामक बीमारी की चपेट में आकर त्राहिमाम कर रही है। पिछले 10 दिन में ही 50 से अधिक नये मरीज मिल चुके हैं। इसके बाद कुल मरीजाें की संख्या भी 229 तक पहुंच गई है। अस्पतालों की ओपीडी में भी मरीज सर्दी, बुखार और जोड़ों में दर्द की समस्या लिए पहुंच रहे हैं। वाराणसी जिला अस्पताल, मंडलीय अस्पताल, सीएचसी-पीएचसी समेत सभी प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। जिला अस्पताल में रविवार को सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन पेशेंट भर्ती वार्ड में चीख-पुकार और तीमारदारों की भागदौड़ मची हुई थी।

दवा काउंटर पर नर्स बुलाने पहुंचे तीमारदार

अपने बेड पर पंचकोशी की नौरंगी देवी बेसुध हालत में लेटी हुई थी। उदास आँखों से डॉक्टर की बाट जोह रही थी। बातचीत के क्रम में वह बताती हैं, इस अस्पताल में असुविधा है। इमरजेंसी में एक बोतल चढ़ी, उसके बाद यहां रेफर कर दिया गया। अब दिन के बारह बजने वाले हैं, और 15 घंटे से अधिक का समय बीत गया है। एक भी डॉक्टर हालचाल लेने नहीं आया है। पूरी रात डॉक्टर नदारद रहे। यह कैसी व्यवस्था है? कई बार बुलाने पर नर्स आती है तो अच्छा व्यवहार नहीं करती है। सभी दवाएं बाहर से लानी पड़ रही हैं।

वाराणसी जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड के बाहर डॉक्टर में इंतजार में फर्श पर बैठी महिलाएं

सैदपुर के अखिलेश कुशवाहा की प्लेटलेट्स डाउन हो गयी हैं। वह कहते हैं, बड़ी भागदौड़ के बाद प्लेटलेट्स का इंतजाम हो पाया है। हमारे यहां भर्ती होने से पहले ही डॉक्टर राउंड लेकर चला गया था। संदीप अपने बेड पर दवा लेकर बैठे हैं, और इंतजार कर रहे हैं कि डॉक्टर-नर्स आये और बताये कि दवा आदि कैसे सेवन करना है?

पास में ही अपनी पत्नी को लेकर भर्ती राजेंद्र कहते हैं, "सामान्य भर्ती वार्ड में पत्नी का इलाज चल रहा है। मरीज कराहते रहते हैं और डॉक्टर बुलाने पर भी नहीं आते। सिर्फ सुबह-शाम ही इनके दर्शन होते हैं। इस अस्पताल में प्लेटलेट्स उन्हीं लोगों को उपलब्ध है, जिनकी सेटिंग अथवा जुगाड़ है। जिनका कोई नहीं, उनका इलाज ऊपर वाले के हाथ में है।"

अस्पताल में डेंगू से पीड़ित पुलिसकर्मी का हालचाल लेते वाराणसी सीपी सतीश गणेश

वाराणसी के जिला मलेरिया अधिकारी एससी पांडेय बताते हैं, "जनपद में अब तक सबसे अधिक पांडेयपुर, पहड़िया, चितईपुर, सुंदरपुर, कंचनपुर, बीएलडब्ल्यू, शिवपुर, टकटकपुर,लंका आदि जगहों से डेंगू के मरीज मिले हैं। दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में लोहता, हरहुआ, रमरेपुर, सोयेपुर, तेवर आदि गांवों में रहने वाले मरीजों में भी डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। डेंगू के वर्षवार आंकड़ों में 2018 में 650, 2019 में 525, 2020-कोविडकाल, 2021में 350 और 2022 में अब तक वाराणसी जिले में 229 डेंगू के पेशेंटों की पुष्टि हो चुकी है। इन सभी जगहों पर लोगों को जागरूक करने के साथ ही नगर निगम, ग्राम पंचायत के स्तर पर विशेष स्वच्छता अभियान कराकर एंटी लार्वा का छिड़काव भी कराया जाएगा।"

मंडलीय अस्पताल में पर्ची कटाने उमड़े पेशेंट

गौरतलब है कि अब तक वाराणसी पुलिस विभाग में 29 केसेज डेंगू के रिपोर्ट हुए हैं।

मिर्जापुर में डेंगू का तांडव, नर्स समेत 12 की मौत

वहीं मिर्जापुर जनपद में अब तक डेंगू की चपेट में आने से 12 से अधिक मरीजों की मौत हो चुकी है। सोमवार 31 अक्टूबर की भोर में महिला चिकित्सालय में संविदा पर तैनात स्टाफ नर्स साक्षी सिंह पत्नी राजू सिंह निवासी ढेबरा जमालपुर की मौत हो गई। इस तरह जिले में अब तक डेंगू से 12 लोगों की मौत हो चुकी है, और तकरीबन सौ से अधिक डेंगू के मरीजों की पुष्टि हो चुकी है।

प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक अरविंद कुमार बताते हैं, 'ब्लड बैक में प्लेटलेट्स की कमी हो गई है। प्लेटलेट्स के लिए अब रक्तदान की जरूरत है। इसके लिए लोग आगे आए जिससे मरीजों को प्लेटलेट्स मुहैया कराया जा सके।

गाजीपुर में डेंगू पसार रहा पांव, बलिया में हालत खराब

वाराणसी के पास में स्थित गाजीपुर जनपद में डेंगू का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है और जिम्मेदार इस पर अंकुश लगा पाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे है। सोमवार 31 अक्टूबर को अलग-अलग स्थानों से 15 संदिग्ध मरीजो का सैंपल एलाइजा जांच के भेज दिया गया है।

बलिया के जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव बताते हैं, 'जनपद के अर्बन- 23, दुबहड़ 24, हनुमानगंज 21, गड़वार आठ, मनियर छह, बेलहरी छह, साेहांव चार, चिलकहर तीन, नवानगर तीन, बांसडीह तीन, बेरूआरबारी तीन, पंदह दो, बैरिया दो, रेवती दो व नगरा विकासखंड में एक डेंगू के मरीज पाए गए हैं।

सोनभद्र और चंदौली में भी डेंगू का डंक

सोनभद्र जनपद में अब तक डेंगू के 142 डेंगू के पेशेंट प्रकाश में आ चुके हैं। डेंगू के बढ़ते मामले से ग्रामीण और कस्बों में हड़कंप मचा हुआ है। हाल ही में मिले डेंगू पॉज़िटिव मरीजों में निरंजन 17 वर्ष पुत्र सुबोध निवासी धनौरा, राम बहादुर पुत्र 40 वर्ष तालिका प्रसाद निवासी खजुरी, अखिलेश 31 वर्ष पुत्र जयप्रकाश निवासी मनबसा, वीरेंद्र कुमार 28 वर्ष पुत्र दीनानाथ निवासी निमियाडीह और अक्षय कुमार 18 वर्ष पुत्र बनारसीलाल को डेंगू पीड़ित होने की रिपोर्ट आई है।

डॉक्टर के इंतजार में डेंगू मरीज, घटती प्लेटलेट्स बढ़ा रही परिजनों की टेंशन

चंदौली जनपद में डेंगू की बीमारी से निबटने के लिए जिले में तैयारी मुकम्मल नहीं है, लेकिन विभाग कागजी दावा करने से नहीं चूक रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है। पिछले वर्ष 146 संदिग्ध मरीजों में 25 डेंगू मरीजों की पुष्टि हुई थी। अब तक आधा दर्जन से अधिक डेंगू के पेशेंट के आंकड़े जानकारी में आए हैं। डेंगू से निपटने के लिए स्वास्थ्य महकमे का दावा है कि कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला चिकित्सालय व चकिया जिला चिकित्सालय में 10-10 बेड के अलावा धानापुर, भोगवारे, नौगढ़ व सकलडीहा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पांच-पांच बेड की व्यवस्था जल्द ही कर लिया जाएगा।

किशोर की मौत के बाद से भदोही में दहशत, देवरिया में मच्छरों का आतंक

भदोही जनपद में डेंगू खतरनाक रूप ले चुका है, और सरकारी अस्पताल में रोजाना लगभग एक हजार ओपीडी की पर्चियां कट रही हैं। मौसम में उतार—चढ़ाव, हर तरफ फैली गंदगी, मच्छरों की भरमार के बीच लापरवाही से वायरल फीवर, मलेरिया, टाइफाइड ने कालीन नगरी में पूरी तरह से अपने गिरफ्त में ले लिया है। 27 अक्टूबर, बुधवार को शहर के पीरखानपुर निवासी 16 वर्षीय किशोर की मौत ने दहशत पैदा कर दिया है। राजकीय अस्पताल महाराजा बलवंत सिंह वायरल फीवर, टाइफाइड के रोगियों से पटा पड़ा है। पैथोलाजी में हो रहे जांच के दौरान प्रतिदिन आठ से दस रोगी डेंगू के मरीज मिल रहे हैं।

वाराणसी डीएमओ दो से तीन दिन रोककर जारी कर रहा डेंगू के आंकड़ें। 27 अक्टूबर तक के डेटा में 229 डेंगू मरीज

देवरिया में डेंगू के मरीज की तादात 21 तक पहुंच गयी है। बाढ़ के बाद से जनपद के हर इलाके में मच्छरों की तादात में भयंकर इजाफा हुआ है। अब तो डेंगू वाहक मच्छर का लार्वा भी हर कहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य महकमा लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया है।

आजमगढ़ में भी गई डेंगू से जान, मऊ में घोर लापरवाही

आजमगढ़ के मुबारकपुर में संदिग्ध बुखार का प्रकोप कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही में एक डेंगू से ग्रसित वृद्ध मुहल्ला पुरानी बस्ती निवासी हाजी गुलाम नबी (80)की मौत भी हो गई। इसके बाद तो कस्बे में हड़कंप सा मच गया है। अब तक 33 नए मरीज सामने आए तो वहीं 64 बुखार से पीड़ित मरीजों का सैंपल स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डेंगू की जांच के लिए भेजा। संदिग्ध बुखार से प्रभावित मुहल्ले ही नहीं बल्कि पूरे कस्बे में हड़कंप मच गया है।

मऊ जिले में एक ओर डेंगू मरीजों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है तो वहीं, अपनी जिम्मेदारी से बेखबर लापरवाहों के चलते जिला अस्पताल में बना डेंगू वार्ड बीते कई दिनों से बंद है। दरअसल यहां आने वाले मरीजों का उपचार कर उन्हें रेफर कर दिया जा रहा है। वहीं कई मरीज पर्याप्त सुविधा न होने से निजी अस्पतालों को रुख कर रहे हैं।

डेंगू से होने वाली मौत से जौनपुर स्तब्ध

जौनपुर जनपद में बीते दो महीने से डेंगू के मच्छर नागरिकों को डंक मार रहे हैं। गत मंगलवार को खाद्य व रसद विभाग में तैनात सप्लाई इंस्पेक्टर 35 वर्षीय दिनेश कुमार पथिक की प्रयागराज में उपचार के दौरान मौत हो गयी। आनन-फानन में हुई मौत से हर कोई स्तब्ध है. वहीं, मड़ियाहूं में कक्षा 12 का एक छात्र भी डेंगू की चपेट में आ गया। बदलापुर में अभी भी मरीजों के मिलने का क्रम जारी है। डीएमओ के मुताबिक जिले में 366 मरीज अब तक डेंगू के चिन्हित हुए। मौजूदा समय में जिले भर में कुल 17 डेंगू मरीजों का उपचार चल रहा है।

जौनपुर के प्रशांत तिवारी कहते हैं, जनपद में डेंगू ने कहर बरपाया हुआ है, और महकमा सिर्फ खानापूर्ति में जुटा है। डेंगू के सैकड़ों मरीजों के मिलने के बाद भी नगर पालिका प्रशासन ने अभी तक मोहल्लों में फॉगिंग नहीं करायी है। सिर्फ कागजों में फॉगिंग और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है। जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।


प्रयागराज में एक ही दिन में डेंगू से 9 लोगों की मौत

प्रयागराज, प्रतापगढ़ और कौशाम्बी जिले को मिलाकर रविवार 31 अक्टूबर को 9 डेंगू पीड़ितों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। डेंगू की रोकथाम के दावे कर रहे स्वास्थ्य विभाग के सभी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। एक दिन की राहत के बाद डेंगू से फिर से कहर बरपाना शुरू कर दिया। इसमें सबसे अधिक प्रयागराज में दो छात्रों समेत पांच लोगों की जान गई। इसमें दोनों छात्र अभिषेक कुमार पटेल और अंकित कुशवाहा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्नातक के छात्र थे।

साहित्यकार व एक्टिविस्ट सुभाष चंद्र कुशवाहा कहते हैं, "इलाहाबाद विश्वविद्यालय का जुझारू छात्र, अंकित कुशवाहा नहीं रहे। डेंगू की फैली बीमारी और समुचित इलाज के अभाव में वह मर गए। देश में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियां, साफ-सफाई की खराब स्थिति, पानी निकासी की गन्दी व्यवस्था,आदि की वजहों से फैलती हैं और इसके शिकार ज्यादातर गरीब या निम्न मध्यवर्गीय समाज होता है. जिनके पास मच्छरों से बचाव के समुचित उपाय नहीं होते। इन बीमारियों से व्यवस्था को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इससे गरीब मरते हैं। व्यवस्था एड्स और कोविड से डरती है, क्योंकि ये बीमारियां, गरीबी, अमीरी नहीं चिन्हती। सबको लपेटती हैं।"

"मैं दीपावली के बाद गाँव, गोरखपुर होते लखनऊ पहुंचा तो ससुर जी के दुःखद मृत्यु का समाचार मिला और देवरिया आ गया। देवरिया में शाम होते ही मच्छर आप पर टूट पड़ते हैं। नालियों में पानी बजबजाता रहता है। अंग्रेजों के जमाने का जिला, आज तक सीवरलाइन की व्यवस्था न होने से, गंदगी में जी रहा है मगर कर्मकांडी और पाखंडियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वे पूरे जिले में हर कहीं हैं। कल घाघरा घाट पर शवदाह के समय नदियों में फेंके जा रहे कचरे को देखकर बहुत खिन्न हुआ। एक ओर नदियों को आप मां कहते हैं और दूसरी ओर, उनको खत्म करने के लिए जी जान लगाए हैं। डेंगू से देवरिया के अस्पतालों में भी जगह नहीं है।"

प्रयागराज में डेंगू से इलाहाबाद विवि के छात्र अंकित कुशवाहा की मौत रविवार को हो गई

पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी जनज्वार से बातचीत में कहते हैं, "भारतीय जनता पार्टी की सरकार जबानी जमा खर्च करती है। यूपी के स्वास्थ्य मंत्री का उनके प्रमुख सचिव ही नहीं सुनते। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पूरी तरीके से हर क्षेत्र में शोबाजी और दिखावा होता है। अस्पताल का तो और भी बुरा हाल है। बनारस में डीएम का पद कई दिनों से खाली है। क्या यूपी में कोई योग्य अधिकारी नहीं है कि जिलाधिकारी बनाया जाए। बनारस में इन दिनों डेंगू ने आतंक मचाया हुआ है, स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के चलते पूर्वांचल में एक-एक कर डेंगू मरीज दम तोड़ रहे हैं।"

वे आगे कहते हैं, "जिले में डेंगू फैला है, ऐसे समय में स्वास्थ्य महकमे के साथ डीएम को दौरा करना चाहिए, लेकिन डीएम-कमिश्नर (दोनों प्रभार कौशल राज शर्मा के पास है) किसी भी अस्पताल का दौरा नहीं कर रहे हैं। इससे सिस्टम के अधिकारियों और कर्मचारियों में साफ़ सन्देश है कि जनता की परेशानी और विभागों में अव्यवस्था से जब किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है तो वे भी लापरवाह बने हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकारी अस्पतालों के ब्लड बैंक बदहाल है। जनपद में मरीज को प्लेटलेट्स की व्यवस्था के लिए तीमारदार एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटक रहे हैं। बनारस के लोगों को प्रधानमंत्री को चुनने का फायदा ही क्या है कि जिला अस्पताल और मंडलीय अस्पताल में आधुनिक ब्लड-प्लेटलेट्स की मशीनें ही उपलब्ध नहीं है। डेंगू के मरीजों और मौत का आंकड़ा प्रशासन छिपाने में जुटी हुई है।"

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