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VIDEO : प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के झोलों में राशन का गड़बड़झाला, जनता बोली दाल में जीरे के समान PM स्कीम
राशन सहित अन्य समस्याएं गिनाती कलावती. (Photo - Janjwar)
जनज्वार, कानपुर। 5 अगस्त 2021, प्रधानमंत्री ने गरीब जनता के लिए अन्न योजना झोले में कैद कर इतना व्यापक कर दिया कि, लोगों को समझ नहीं आ रही खायें या देखते रहें। 25 किलो साईज के झोलों में 2 किलो चावल और तीन किलो गेंहूं के बाद बड़े-बड़े मोदी ही मोदी दिखाई दे रहे थे। हालत ये रही कि पीएम टीवी पर चमक रहे थे तो जनता सड़कों पर लाईन में खट रही थी।
इस बीच जनता की मीडिया जनज्वार ने जब लोगों से बात की तो पता चला इस विशाल आयोजन में कुछ भी ऐसा नहीं था जो नया हो। नया था तो बस झोले, जिनमें, प्रधानमंत्री मोदी की एक तरफ बिग साईज फोटो तो दूसरी तरफ मोदी की बड़ी फोटो के साथ योगी जी भी विधमान थे। यूपी चुनाव को देखते हुए।
सवाल है, जब राशन दुकानदार हर महीने दो दफा राशन का वितरण करता है तब सरकार को झोले छपवाकर राशन वितरण की जरूरत क्यों पड़ी। राशन की मात्रा भी वही बांटी गई जो पहले से मिल रही है। तब इतना बड़ा प्रचार क्यों किया गया। इस विषय में सोशल मीडिया पर लिखी तमाम पोस्टों के मुताबिक यह सरकार का कोरा चुनावी प्रसार व हथकंडा था, बाकी कुछ नहीं।
बर्रा को एक राशन वितरक के यहां मोदी छाप झोले बोरियों पर रखे हुए दिख रहे थे। जबकि सभी राशन दुकानदारों को एक निश्चित मात्रा में झोले वितरित किए गये थे। तब झोले बच गये जिसका जवाब वितरक नहीं दे सका। जबकि जनता ने बताया कि किसी-किसी को झोले मिले हैं, बाकि दुकान की शोभा बढ़ा रहे हैं।
राशन की कतार में लगे जयप्रकाश बताते हैं, यहां घटतौली भी होती है, राशन भी कम दिया जाता है। लेकिन अब वही बात है कि, कहें किससे। कोई सुनने वाला भी तो नहीं है। इसी लाईन में खड़ी एक बुजुर्ग महिला का कहना है कि सरकार दे तो रही है, लेकिन बस उतना ही है जितना दाल में तड़का लगाने के लिए जीरे का प्रयोग किया जाता है।
राशन की घटतौली की बात भी इस दौरान हमें देखने को मिली। एक बुजुर्ग महिला से बात करने के दौरान उसने बताया कि उसका राशन कार्ड 7 यूनिट का है, जबकि उसे अन्न 6 यूनिट का दिया गया है। जिसके बाद हमें उस महिला का राशन कार्ड दुकानदार को दिखाया तो 7 यूनिट ही निकला। बाद में मामला खुला तब जाकर दुकानदार ने उसे 7 यूनिट का राशन दिया।
धर्मेंद्र नगर कच्ची बस्ती की शांती जायसवाल को राशन नहीं मिलता। पिछले 6 महीनो से वह राशन के लिए चक्कर लगा रही हैं, लेकिन हर बार उन्हें खाली हाथ ही लौटा दिया जाता है। कारण है कि उनका राशन कार्ड ही नहीं बना। उनकी विधवा पेंशन भी नहीं आती। ऐसे में वह दूसरों के घरों में बर्तन मांजकर अपना व बच्चों का पेट पालकर गुजारा कर रही हैं।
यहां रहने वाली कई महिलाओं ने राशन दुकानदार द्वारा की जा रही घटतौली और हेरफेर की शिकायत की। उनका कहना है कि यूनिट कम करके राशन का वितरण किया जाता है। सवाल उठाने पर वह भगा देता है या फिर राशन नहीम देता है। हमने पूछा की ऐसा क्यों तो बताया गया कि दुकानदार का कहना है राशन उपर से ही कम आता है। इसलिए कम ही दिया जाता है।
इस बस्ती की कई महिलाओं ने मंहगाई की बात उठाई। तेल, दाल, रिफाइंड इत्यादि घरेलू सामान आसमान छू रहा है, ऐसे में रोज कमाने खाने वाला आदमी भारी दिक्कतों का सामना कर रहा है। उपरी आमदनी भी तो सरकारी विभागों का जन्मसिद्ध अधिकार है। तब आमजनता जो अधिकतर सरकार और उसकी राशन योजनाओं पर रहती है, वह भी पतली हालत लिए घूम रही है। उपर से प्रचार तंत्र अधिकता से हावी है, जिसमें पीएम गोल्ड मेडलिस्ट हैं।